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Written By भाषा
Last Modified: इस्लामाबाद , शनिवार, 16 अक्टूबर 2010 (18:24 IST)

कसाब और अंसारी का बयान जरूरी-पाक

कसाब और अंसारी का बयान जरूरी-पाक -
मुंबई हमलों में लश्कर-ए-तैयबा सरगना जकीउर रहमान लखवी और छह अन्य की संलिप्तता की सुनवाई कर रही पाकिस्तान की आतंकवाद निरोधी अदालत ने शनिवार को कहा कि जब तक अजमल कसाब और फहीम अंसारी जैसे प्रमुख गवाहों का बयान नहीं होता, मामला आगे नहीं बढ़ सकता है।

न्यायाधीश मलिक मोहम्मद अकरम अवान ने यह बात तब कही जब अभियोजन पक्ष के वकील उन्हें अंसारी के लिए गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट की तामील और प्रमुख गवाहों से पूछताछ के लिए एक आयोग भेजने पर भारत से लिखित अनुमति पाने के दो प्रमुख मुद्दों पर संतुष्ट नहीं करा पाए।

रावलपिंडी में बंद कमरे में आतंकवाद निरोधी अदालत की कार्यवाही संचालित कर रहे न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन की ओर से दाखिल एक रिपोर्ट में यह जिक्र किया गया है कि मुंबई हमलों के सिलसिले में जीवित गिरफ्तार एकमात्र आतंकवादी अजमल कसाब के लिए जारी एक दूसरे गैर जमानती वारंट का तामील नहीं कराया जा सका क्योंकि एक भारतीय अदालत ने उसे दोषी करार दे कर सजा-ए-मौत सुनाई है और वह काल कोठरी में है।

न्यायाधीश ने रेखांकित किया कि अभियोजन पक्ष की रिपोर्ट में भारतीय नागरिक अंसारी के लिए जारी वारंट पर कोई चर्चा नहीं है। अंसारी को मुंबई की एक अदालत ने बरी कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक न्यायाधीश ने कहा कि जब तक वारंट तामील कराने की प्रक्रिया पूरी नहीं होती और अदालत को अंसारी जैसे गवाहों का बयान लेने का मौका नहीं मिलता, सुनवाई आगे नहीं बढ़ सकती।

न्यायाधीश ने भारत जाकर कसाब, कसाब का इकबालिया बयान दर्ज करने वाले मजिस्ट्रेट और मुंबई हमलों की जाँच आगे बढ़ाने वाले पुलिस अधिकारी समेत 24 प्रमुख गवाहों के साथ साक्षात्कार करने के लिए एक आयोग के गठन पर सरकार के आवेदन पर अभियोजन पक्ष तथा बचाव पक्ष के वकीलों की विस्तृत दलीलें भी सुनीं।

सूत्रों ने बताया कि अभियोजन पक्ष न्यायाधीश को संतुष्ट करने में अक्षम रहा कि आयोग की भारत यात्रा के लिए भारतीय अधिकारियों से पाकिस्तान को लिखित अनुमति मिली है।

बचाव पक्ष के वकीलों ने भारतीय मीडिया के क्लिपिंग पेश किए जिसमें कहा गया है कि अगर पाकिस्तानी अधिकारियों से इस संबंध में कोई आग्रह मिलेगा तो भारत सरकार आयोग को देश की यात्रा के लिए इजाजत देने पर विचार करेगी।

अभियोजन पक्ष ने यह भी दलील दी कि भारत के आग्रह पर इंटरपोल ने पाकिस्तानी सेना के दो अधिकारियों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है, उससे मामला जटिल हो गया है। सूत्रों ने बताया कि आयोग भारत भेजने के प्रस्ताव पर दलील पेश करने का सिलसिला अगली सुनवाई तक पूरा हो जाएगा।

पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक ने हाल ही में कहा था कि आयोग का भारत जाना और प्रमुख गवाहों के बयान दर्ज करना जरूरी हो गया है। बहरहाल, बचाव पक्ष के वकीलों ने इस आयोग का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया। (भाषा)