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Written By Naidunia
Last Modified: शनिवार, 7 जनवरी 2012 (12:21 IST)

मौसम को बदल रहा है चीन

- मुकुल व्यास

मौसम को बदल रहा है चीन -
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चीन में इस साल अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है और वह हर कीमत पर इस सिलसिले को बनाए रखना चाहता है। उसने प्रतिकूल कुदरती घटनाओं से कृषि को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर मौसम सुधार कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया है। मौसम परिवर्तन में चीन का मुख्य जोर कृत्रिम वर्षा पर है और उसने इसे अपनी पंचवर्षीय योजना के लक्ष्यों में शामिल कर लिया है।

सरकारी दैनिक 'चाइना डेली' के मुताबिक चीन अगले चार वर्षों में अपने पाँच मौसम नियंत्रण कार्यक्रमों के जरिए कृत्रिम वर्षा में 10 प्रतिशत की वृद्धि करना चाहता है।

चीनी वैज्ञानिक क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम वर्षा करवाने के लिए बादलों की तरफ सिल्वर आयोडाइड के कणों से भरे हुए रॉकेट या गोले दागते हैं। चीन ने 2008 के ओलिम्पिक खेलों में आसमान से धुँध और धुएँ के बादल हटाने के लिए मौसम सुधार तकनीक का सफल प्रदर्शन किया था। कृत्रिम वर्षा के जरिए राजधानी पेइचिंग को पानी के संकट से मुक्ति दिलाने में भी मदद मिली है। लेकिन मौसम में बदलाव की ये कोशिशें कभी-कभी बुरी तरह से विफल हुई हैं और महँगी भी साबित हुई हैं।

चीन में इस साल 57.1 करोड़ टन अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, लेकिन मौसम के कुदरती परिवर्तनों से देश की गेहूँ की फसल पर विपरीत असर पड़ सकता है। पिछले साल मध्य और पूर्वी चीन में भयंकर अकाल के बाद कृत्रिम वर्षा की कोशिशों के बाद वर्षा में 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। चीन चाहता है कि 2020 तक उसका वार्षिक अनाज उत्पादन कम से कम 55 करोड़ टन के स्तर पर बना रहे। यही वजह है कि चीनी सरकार मौसम सुधार कार्यक्रमों को जोर-शोर से बढ़ावा दे रही है।

अधिक वर्षा के लिए उसकी यह चाह बहुत पुरानी है और पेइचिंग का "टेम्पल ऑफ हेवन" इस बात का साक्षी है। यही वह स्थान है जहाँ चिंग राजवंश के सम्राट अच्छी वर्षा और भरपूर फसल के लिए प्रार्थना करते थे।

चीन की तरह भारत भी एक कृषि प्रधान देश है। अनाज उत्पादन के लिए हमें मानसून की वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता है जो कहीं ज्यादा और कम होती है। देश के कुछ हिस्से ऐसे हैं जहाँ लगातार अकाल की स्थिति बनी रहती है। वर्षा के मौसम में कुछ स्थान ऐसे होते हैं जहाँ वर्षा के पूरे आसार बनने के बाद भी बादल गायब हो जाते हैं।

इससे फसलों की बुवाई का समय हाथ से निकलने लगता है। आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग के चलते मानसून की अनिश्चितताएँ और बढ़ेंगी। कृत्रिम वर्षा के जरिए इन प्रतिकूल स्थितियों का मुकाबला किया जा सकता है। चीन के मौसम सुधार कार्यक्रमों की सफलता के बाद यह जरूरी हो गया है कि हम कृत्रिम वर्षा को प्रयोगों के दायरे से बाहर निकालकर उसे सरकारी योजना का एक प्रमुख लक्ष्य बनाएँ। सरकार को कृत्रिम वर्षा के लिए अनुसंधान का दायरा बढ़ाना चाहिए।