मैं एश्वर्या राय जैसी बनना चाहती थी
हंसिका मोटवानी- 8 अगस्त जन्मदिन पर विशेष
प्यारे साथियों, मेरा बचपन प्यारे प्यारे काम करते हुए बीता। मैं आपके बारे में भी ऐसा ही सोचती हूँ कि इन दिनों आप पढ़ाई के साथ खूब प्यारे प्यारे काम कर रहे होंगे। दोस्तों, बारिश के साथ स्कूल जाने के अपने मजे हैं और इन दिनों स्कूल के दोस्तों के साथ किसी ट्रिप पर जाना भी बहुत अच्छा लगता है। मेरा स्कूल अभी पिछले दिनों ही छूटा है इसलिए मुझे स्कूल की ज्यादा याद आती है। हमारे बचपन की बहुत सी यादें स्कूल से जुड़ी होती हैं। स्कूल में हमें कई दोस्त और सहेलियाँ मिलती है जो बड़े हो जाने पर भी हमसे जुड़ी रहतें हैं। मेरे भी स्कूल के कई दोस्त हैं जो मुझसे अभी भी जुड़े हैं। स्कूल के दोस्ती सबसे पक्की दोस्ती है।साथियों, मेरा जन्म मुंबई में हुआ। यह शहर मुझे बहुत अच्छा लगता है। मैं बिल्कुल आप जितनी थी तब से एक्टिंग करने लगी थी। यह मौका मुझे मिला था जुही चावला की वजह से। पुरा वाकया मजेदार है। मेरी मम्मी डॉक्टर हैं और एक बार जूही दीदी उनसे मिलने आई। उन्होंने मुझे बातचीत करते हुए और मुँह बनाते हुए देखा और मम्मी से कहा कि हंसिका एक्टिंग बहुत अच्छी करती है और उसके टेलेंट की तरफ ध्यान देना चाहिए। उन्होंने मम्मी से कहा कि इन दिनों में जिस फिल्म में काम कर रहीं हूँ उसमें एक छोटी बच्ची का रोल है। बस फिर क्या था वह रोल मुझे मिल गया। इस तरह मैं फिल्मी दुनिया में आ गई। यह फिल्म अटक गई लेकिन जूही दीदी की वजह से मुझे सेंट्रो कार की एड फिल्म मिल गई। इसमें शाहरुख खान के साथ काम किया। चूँकि जूही दीदी और शाहरुख खान अच्छे दोस्त थे इसलिए मुझे इस एड फिल्म में काम करने का मौका मिल गया। उसके बाद मुझे 'कोई मिल गया' जैसी फिल्म मिली। इस फिल्म में तो मुझे खूब दोस्त मिले। इस फिल्म के दौरान हमने खूब मस्ती की। दोस्तों मैंने 'देश में निकला होगा चाँद', 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' सीरियल में भी काम किया है। इन तमाम बातों के बीच यह भी जानना जरूरी है कि में एक्टिंग करती थी तो पढ़ाई कब करती थी और स्कूल कैसे जाती थी। तो सुनो, मैं जिस सीरियल में एक्टिंग करती थी एसके प्रोड्यूसर और डायरेक्टर से कहकर मेरी शूटिंग दोपहर दो बजे के बाद रखवाती थी। एक बजे मेरी स्कूल से छुट्टी हो जाती थी। और फिर में शूटिंग की लोकेशन पर पहुँच जाती थी। कई बार तो मैं वहाँ किताबें भी ले जाती थी ताकि बीच में समय मिलने पर पढ़ सकूँ। कई बार मैंने स्कूल का होमवर्क इसी तरह किया।जब मैंने एक्टिंग करना शुरू किया था तब मैं एश्वर्या राय जैसी बनना चाहती थी। वे मुझे बहुत अच्छी लगती थी। दोस्तों में तेलुगु, मराठी, हिंदी, अंग्रेजी और अपनी मातृभाषा सिंधी बहुत अच्छे से बोल लेती हूँ। इतनी भाषाएँ जानने का फायदा यह है कि में इन सभी भाषाओं में काम कर सकती हूँ।आगे बढ़ने के लिए यह बात ध्यान रखना जरूरी है कि एक-एक सीढ़ी चढ़ते जाओ। आप सभी दोस्त भी इस बात को ध्यान रखेंगे और हमेशा नया कुछ न कुछ सीखने की कोशिश जरूर करते रहेंगे।आपकीहंसिका मोटवानी