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Written By WD

कल्पना के सपनों की ऊँची उड़ान

Kalpana Chawala Nasa Columbia | कल्पना के सपनों की ऊँची उड़ान
महेश सिसौदिया

जन्म : 1 जुलाई 1961
मृत्यु : 1 फरवरी 2003

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मित्रो, आसमान में कौन उड़ने की इच्छा नहीं रखता? निश्चय ही आप हम सभी। यही सपना देखा था हमारी अपनी मोंटू ने। क्या कहा आपने कौन मोंटू? अरे भाई! जिसे आज सारा विश्व कल्पना चावला के नाम से जानता है ना वही भारतीय मूल की पहली अंतरिक्ष यात्री।

मोंटू ने अपने शहर ही नहीं अपने इस राष्ट्र का नाम भी चमकाया है इस पूरे विश्व में। 'दिल है छोटा सा बड़ी सी आशा' उसने भी आसमान को छूने की इच्छा जगा ली थी अपने मन में।

मोंटू बचपन में सीधी-सादी और शरारती भी थी और बहादुर भी। उसने कराते भी सीख रखे थे। कभी-कभी शरारती मोंटू अपने बाल अपने ही हाथों से काट लिया करती थी। मोंटू का सर्वाधिक शौक था विमान उड़ाना और अंतरिक्ष की यात्रा करना। संगीत सुनना, चाय पीना, समोसे खाना बहुत पसंद था।

मोंटू की इच्छा थी भरत नाट्‍यम सीखने की जो कुछ सीमा तक पूरी भी हुई। मोंटू ने जब भी कुछ पाने की इच्छा रखी तो उसको अथक परिश्रम से प्राप्त भी किया। मोंटू का इस ऊँचाई तक पहुँचने में परिवार के सभी सदस्यों का पूरा सहयोग रहा।

हमारी मोंटू का चयन हुआ नासा द्वारा भेजे जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों में। अब मोंटू बन गई थी पूरे विश्व की कल्पना चावला। पूरा भारत गर्व महसूस कर रहा था अपनी इस बेटी पर। कल्पना की तो आश्चर्य की कोई सीमा ही नहीं थी। 1997 में अंतरिक्ष यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा किया। पुन: एक बार फिर कल्पना का चयन हुआ कोलंबिया यान में अंतरिक्ष यात्री के रूप में सन् 2003 में। वे अपने साथ अंतरिक्ष में गीता, गणेश प्रतिमा और पिताजी के हाथ का हिन्दी में लिखा पत्र लेकर गईं।

कल्पना चावला की इस दूसरी सफल यात्रा से लौटने का इंतजार था पूरे राष्ट्र को। सभी आशा संजोए बैठे थे कि भारत की बेटी कब इस धरती पर अपने कदम रखेगी। लेकिन ईश्वर को कुछ और ही स्वीकार था। सूचना प्राप्त हुई कि धरती की ओर लौट रहा नासा का कोलंबिया यान पृथ्वी से कुछेक किलोमीटर की दूरी पर हवा में टुकड़े-टुकड़े हो गयाभारत की वह बेटी जिसने इस देश का नाम इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों में अंकित किया था वही हो गई इस इतिहास का हिस्सा।

'अपने सपनों के बारे में सोचो कि वहाँ तक कैसे पहुँच सकते हो यह आवश्यक नहीं कि जो रास्ता लक्ष्य तक पहुँचने में सबसे छोटा लगता हो वही सबसे अच्छा भी हो। अपने सपनों के लिए रास्ते पर चलो और अपनी धरती माँ का ध्यान रखना मत भूलो' - कल्पना चावला