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Written By ND

माधवन का जन्मदिन

पढ़ाई के अलावा और कुछ भी करना है जरूरी

माधवन का जन्मदिन -
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दोस्तो, मेरा जन्म जमशेदपुर में हुआ था। बचपन में सभी मुझे मैड्डी कहकर बुलाते थे और आज भी मेरे प्यार का नाम यही है। मेरे पिताजी जमशेदपुर में टाटा स्टील कंपनी में मैनेजमेंट एक्जीक्यूटिव थे। मम्मी बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर थीं। दोस्तो, मैंने अपने बचपन में बहुत धमाचौकड़ी की और मेरा ध्यान इधर-उधर की बातों में खूब रहा, इन बातों का आगे चलकर मुझे फायदा ही मिला।

मैं आप सभी को भी यही सलाह दूँगा कि पढ़ाई करते हुए दूसरी एक्टिविटी में भी भाग लेते रहना। इससे तुम दब्बू नहीं रहोगे। जब मैं तुम्हारी तरह पढ़ाई कर रहा था तो मेरा सपना था कि मैं पायलट बनूँ। आकाश में उड़ने वाले प्लेन मुझे खूब रोमांचित करते थे। मैंने एनसीसी भी इसलिए ही ज्वाइन की थी कि आगे चलकर मुझे पायलट बनने में मदद मिलेगी। मुझे बचपन में कभी नहीं लगता था कि मैं बड़ा होकर एक्टर बनूँ, पर देखो बड़ा होकर बन गया।

दोस्तो, जब मैं १८ साल का था तब कॉलेज की तरफ से सांस्कृतिक राजदूत के तौर पर मेरा चयन कनाडा जाने के लिए हुआ था। यह सब अलग-अलग तरह की चीजों में मेरी दिलचस्पी की वजह से ही हुआ था। इसलिए तो कहता हूँ कि सिर्फ किताबें पढ़ने से ज्यादा जरूरी है हर तरह की गतिविधि में भाग लेना। जब मैं २२ साल का था तब महाराष्ट्र बेस्ट कैडेट चुना गया। बेस्ट कैडेट चुने जाने पर मुझे तीन दूसरे कैडेट के साथ इंग्लैंड जाने का मौका मिला।

इंग्लैंड में हम तीनों को रॉयल आर्मी, नेवी और एअर फोर्स के साथ थोड़ी ट्रेनिंग लेने का मौका था, पर मेरी उम्र ६ महीने ज्यादा होने से मैं यह ट्रेनिंग लेने से चूक गया। इसमें मेरी कोई गलती नहीं थी। खैर जो भी हुआ हो, इस सम्मान से मुझे और मेरे माता-पिता को बहुत खुशी हुई थी। बचपन में ऐसा कोई सम्मान मिलना कितने गौरव की बात होती है। पायलट न बन पाने का आज मुझे कोई दुख नहीं है। अब मैं फिल्मों में पायलट के रोल करके अपना शौक पूरा कर लेता हूँ। "रंग दे बसंती" में फ्लाइट लेफ्टिनेंट अजय राठौड़ वाला मेरा रोल याद है ना आपको।

मित्रो, तुम्हें बता दूँ कि मैंने पब्लिक स्पीकिंग में भी रुचि ली और इसे भी मैंने दिल से सीखा। पब्लिक स्पीकिंग में मेरी पकड़ देखकर मुझे टोक्यो में होने वाली यंग बिजनेसमैन कांफ्रेंस में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। तो ये सारे मौके पढ़ाई के साथ दूसरी चीजें करने से मुझे मिले। मैं सिर्फ किताबें ही नहीं पढ़ता रहा बल्कि जिंदगी के दूसरे रंग भी देखता रहा।

स्कूल, कॉलेज के दिनों में मैं नाटक भी करता रहता था। इन सारी बातों के साथ पढ़ाई पर ध्यान देना भी जरूरी है। दूसरी चीजों को करते हुए मैंने इलेक्ट्रॉनिक्स में बीएससी किया। माता-पिता चाहते थे कि मैं एक बढ़िया कंपनी में नौकरी कर लूँ पर उनके साथ थोड़ी-बहुत बातचीत से मैंने एक्टिंग में अपना करियर शुरू किया। कुछ विज्ञापन फिल्में की और फिर बड़ी फिल्में भी। पब्लिक स्पीकिंग ने फिल्म में एक्टिंग करना थोड़ा आसान बना दिया। मणिरत्नमजी ने मुझे एक्टिंग की दुनिया में जमाने के लिए बहुत मेहनत की। उनसे बहुत सी बातें सीखने को मिली।

  मेरे यहाँ दो अल्सेशियन रहे हैं- प्रिंसेस और सिंभा। मैं जानवरों का बचाव करने वाली संस्था "पीटा" से भी जुड़ा हूँ। आगे ५ जून को पर्यावरण दिवस आ रहा है तुम अपने पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए क्या कर सकते हो, सोचो।      
दोस्तो, तमिल मेरी मातृभाषा है, हिन्दी और अँगरेजी भी मुझे अच्छे से आती है। इन तीनों ही भाषाओं को जानने से मैं इन तीनों भाषाओं की फिल्मों में काम कर सका। ज्यादा भाषाएँ जानने पर कुछ भी करो राह आसान हो जाती है। तुम भी एक से ज्यादा भाषाएँ सीखने की कोशिश करना। अपनी मातृभाषा और अँगरेजी के अलावा कोई और भाषा भी अच्छे से सीखोगे तो तुम्हारे काम आएगी। मुझे सोना, नेट-सर्फिंग और चैट करना पसंद है।

इसके अलावा मैं पूरी तरह शाकाहारी हूँ। जानवरों से प्यार करता हूँ। मेरे यहाँ दो अल्सेशियन रहे हैं- प्रिंसेस और सिंभा। मैं जानवरों का बचाव करने वाली संस्था "पीटा" से भी जुड़ा हूँ। आगे ५ जून को पर्यावरण दिवस आ रहा है तुम अपने पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए क्या कर सकते हो, सोचो। पढ़ाई के अलावा इस तरह की एक्टिविटी से शुरूआत करो। हम सभी को तरह-तरह के काम करने चाहिए और उनसे कुछ न कुछ जरूर सीखते रहना चाहिए। आप सभी सीखते रहने वाली बात याद रखना।