बुधवार, 24 अप्रैल 2024
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Written By WD

पहले जान लें वरना फिर मत कहना

होली का भविष्यफल

पहले जान लें वरना फिर मत कहना -
- डॉ. शिव शर्मा

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नील-गगन के नक्षत्रों के आधार पर, अतिप्राचीन नगरी उज्जयिनी के खगोल और भूगोल-शास्त्री होली के पावन अवसर पर पेश कर रहे हैं, शानदार ज्योतिषीय रिपोर्ट- होली का भविष्यफल। अतः सभी बंधुओं और भाभियों से निवेदन है कि इसका लाभ उठाएँ तथा अपने-अपने गणित और फलित के अनुसार ही चलें। अन्यथा होने वाले प्रभावों के लिए सीना फाड़कर तैयार रहें।

गंजे लोग- सभी गंजत्व-धारी प्राणियों से निवेदन है कि वे होली के अवसर पर टोपी, टोपा या हेलमेट धारण कर घूमें। अपने केशों पर कंघी भी करना हो तो टोपी के अंदर ही हाथ डालकर करें। नकली रंगों से सावधान रहें। ये रंग यदि मस्तिष्क में चले गए सीधे, तो नक्षत्रों के हिसाब से मस्तिष्क-हानि की पूर्ण संभावना है।

परीक्षार्थी- यह होली परीक्षार्थियों के लिए शुभ होगी। परीक्षाएँ प्रारंभ हो गई हैं और वर्षभर तक परीक्षार्थियों को पढ़ने-लिखने का सुअवसर नहीं मिल पाया है। वैसे भी परीक्षा उत्तीर्ण कर लेने से कोई काम-धाम मिलना तो संभव नहीं है। अतः पढ़-लिखकर नवाब बनने की कहावत अब चरितार्थ होने वाली नहीं है। अब तो यदि कबड्डी या क्रिकेट खेलना ही सीख गए तो एक अदद नौकरी मिल जाएगी। अतः परीक्षार्थियों को पढ़ने-लिखने में समय नहीं गँवाना चाहिए। बाजार में वैसे भी प्रश्न मय उत्तरों के छपे-छपाए मिलते हैं।

अतः परीक्षार्थियों के लिए यह होली शुभ है। वे वर्षभर एक अक्षर भी नहीं पढ़े हों, कोई बात नहीं लेकिन परीक्षा अवश्य दें। हमारे भविष्यफल के अनुसार सभी का उच्च अंकों से पास होना सुनिश्चित है। अधिक से अधिक आप यह करें कि हनुमानजी को प्रसाद चढ़ाकर ही परीक्षा भवन में प्रवेश करें। इससे सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होंगी। इस वर्ष परीक्षार्थियों का भविष्य बहुत उज्ज्वल नजर आ रहाल है। बस उन्हें थोड़ा कष्ट उठाकर, प्रातः जल्दी उठना है और स्नान-ध्यान कर परीक्षा हॉल तक पहुँचना जरूर है।
  नील-गगन के नक्षत्रों के आधार पर, अतिप्राचीन नगरी उज्जयिनी के खगोल और भूगोल-शास्त्री होली के पावन अवसर पर पेश कर रहे हैं, शानदार ज्योतिषीय रिपोर्ट- होली का भविष्यफल। अतः सभी बंधुओं और भाभियों से निवेदन है कि इसका लाभ उठाएँ।      


राजनेता- राजनीतिज्ञों के लिए यह होली फलदायी प्रतीत नहीं हो रही है। बढ़ती महँगाई से आम लोग काफी त्रस्त हैं। रंग-गुलाल के दामों में भी तीव्र वृद्धि हुई है। टैक्सों की भरमार है। जिन वायदों पर वे चुनाव जीते, पूर्ण नहीं हुए हैं। लोग अपने प्रतिनिधियों को इस होली में रंग-गुलाल न सही तो धूल-धमाल के साथ ही ढूँढेंगे। अतः उन्हें सलाह दी जाती है कि वे इस होली में, अपने घरों में ही बैठे रहें तथा अपने-अपने दलों के घोषणा-पत्रों का सस्वर पाठ करते रहें।

कर्मचारी- कर्मचारियों के लिए भी यह होली शुभ नहीं है। वेतन तो कई माह से मिल नहीं रहा है, अब नौकरी पर भी शनि की महादशा है। अतः किसी भी प्रकार का सरकारी या विभागीय लिफाफा हाथ में न लें। ऑफिस में भी कोई फाइल न खोलें तथा कोई भी कागज बिना वजन के इधर-उधर न खिसकाएँ। हो सके तो कार्यालयों से लंबी छुट्टी ले लें या दफ्तर जाएँ भी तो अपनी कुर्सी पर न बैठें।

पूर्व की तरह अधिक से अधिक समय चाय की कैंटीन में व्यतीत करें। साहबों के लिए यह होली कुछ-कुछ ठीक लगती है। नए वेतनमानों से सर्वाधिक भला तो साहब-वर्ग का ही हुआ है। छँटनी भी नीचे से हो रही है, ऊपर तक आने में कई वर्ष लगेंगे। तब तक साहब रिटायरमेंट ले लेंगे। अतः साहब वर्ग को इस होली में, खूब रंग-गुलाल खेलना चाहिए और हो सके तो अधीनस्थों को होली पर अपने निवास पर बुलवाकर, मिलन-समारोह आयोजित करना चाहिए।
कुँवारे- कुँवारे होली पर घर में बंद रहें। इससे बड़े दहेज वाले आपको पसंद कर सकते हैं। घर गंदा नहीं होगा। पानी की बचत होगी और आपके शर्ट पर कोई 'मूर्ख' होने का ठप्पा नहीं लगा सकेगा, जो कि आप हैं।

बुद्धिजीवी- कथित बुद्धिजीवियों पर फाल्गुन की इस पूर्णिमा पर विशेष कोप है।

कविगण- होली के हास्य कवियों की कविताएँ, मंच पर हूट होंगी। होलिका दहन की रात को कवि-सम्मेलन में नहीं जाएँ। श्रोतागण आपको भक्त प्रहलाद बनाने को उतारू हैं क्योंकि आप गत 20 वर्षों से उन्हें एक-सी कविताएँ सुनाते चले आ रहे हैं।

चंदा माँगने वाले- चंदा माँगने वालों पर तो इस वर्ष विशेष, शनि-कलेक्टर लगा हुआ है। शनि-कलेक्टर का कहना है कि इतना चंदा माँगा जा चुका है कि लोगों के पास देने को कुछ बचा ही नहीं है। चंदा माँगने जो आए, उसके सामने आप अपना रसीद-कट्टा भी रख दें। चंदा हमें आदिकाल से प्रिय है। किसी कवि ने ठीक कहा है- 'गजधन, गोधन, बाजिधन और रतनधन खान, जब आवे चंदाधन, सब धन धूरि समान'। लेकिन इस बार चंदा माँगने वालों पर ग्रहों की वक्र दृष्टि है। जब पूरा समाज ही माँगने लगेगा तो देने वाला कौन होगा? अतः ग्रह चाहते हैं कि माँगने वाले कम ही रहें और देने वाले अधिक। अतः इस वर्ष भूलकर भी चंदा न माँगें।

व्यापारी- मिलावट करने वाले व्यापारियों के लिए यह होली शुभ है। वे अपने घर, दफ्तर, दुकानें खुली रखें और खूब रंग लगाएँ। स्नान न करें और घर-भर के लोगों का रंग एकत्रित कर रख लें। मिलावट में काम आएगा और खूब धन प्राप्त होगा।

बाबू- मध्य और निम्न वर्ग के बाबू लोग होली का विरोध करें और शांति कमेटी के सदस्य बन जाएँ। होली के बाद महँगाई बढ़ेगी। होली पर रंग डलवाया तो वर्षभर रंगीन वस्त्रों में ऑफिस जाना होगा। आप लोगों के जीवन का हर दिन होली है। प्रतिदिन फटे वस्त्र और फटे जूते पहने रहते हैं। महँगाई के रंग से मुख श्याम रहता ही है। अतः होली न खेलें और यह कहें, 'दौलत वालों ने होली का सहारा लेकर, हम गरीबों की गरीबी का उड़ाया है मजाक!'

अमीर लोग- उच्च वर्ग के लिए यह होली शुभ है। होली के दिन अपनी कार में बैठकर, फटे-पुराने वस्त्र धारण कर, इनकम टैक्स अधिकारियों के यहाँ अवश्य जाएँ, टैक्स माफ होगा। निर्धनों से खूब गले मिलें और समाजवाद पर उन्हें लेक्चर पिलाएँ।

गरीब लोग- निम्न वर्ग के लिए तो हर दिन होली और हर रात दिवाली होती है। ये लोग ज्योतिष पर विश्वास नहीं करते और एक माह पूर्व ही फाग गाने लगते हैं। रूखा-सूखा खाकर भी इस कदर अपनी हस्ती-मस्ती में रहते हैं कि भविष्यवक्ता का दिल जलने लगे। इसलिए ये लोग निश्चिंत होली मनाएँ।