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Written By WD

हर शख़्स तड़पता हुआ मिला

sahitya | हर शख़्स तड़पता हुआ मिला
रोहित जै
NDND
इश्क़ हमको मिला तो बनके इश्तिहार मिला
नुमाइशों से भरा आपका किरदार मिला

हर एक शख़्स यहाँ हमको बेक़रार मिला
हर एक आँख में खुशियों का इंतज़ार मिला

यूँ तो दुनिया में बहुत लोग मिले थे हमको
जिसे भी ढ़ूँढ़ना चाहा वो ही फ़रार मिला

कोई आवाज़ सुनाई तो दे रही थी हमें
मगर उठाई नज़र तो फ़क़त ग़ुबार मिला

हर एक शख़्स तड़पता हुआ मिला हमको
हर एक सिम्त हमें ग़म का कारोबार मिला

मै उसको कैसे अपना हालेदिल बयाँ करता
बेइख़्तियार मिला मुझको जितनी बार मिला

इसे क़िस्मत कहूँ या ज़िंदगी का खेल कहूँ
हर एक राह का पत्थर हमें मज़ार मिला

NDND
किसी शराब में तासीर वो नहीं पाई
ग़मेदुनिया में जो प्यारे हमें ख़ुमार मिला

किसी को वास्ता नहीं है किसी से भी यहाँ
हर एक शख़्स यहाँ मुझको रहगुज़ार मिला

कि जैसे बू छुपी हुई हो फूल में 'रोहित'
हर एक राख में सोया हुआ शरार मिला।