समय के साथ
सलिल चतुर्वेदी
आज मैं कल को लेकरगया मिलने परसों सेवहाँ देखा बैठा हैतरसों नरसों सेहम सब ने हाथ मिलाए औरचल दिये मिलने बरसों से बीच में महीनों के ढाबे पर खाना खायाकुछ पूरणमासियों की रेड़ीयों पर चाय पीथक गये तो सुबह के अस्तबल से
सूर्योदय के घोड़े किराये पर लिए जब बरसों के घर पहुँचे तो देखाकि शतक भी आया हुआ हैसबने अपनी घड़ियाँ मिलाईं और समय की बारात में शामिल हो गए । साभार : तद्भव