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गुजर जाएगा कारवाँ
नंदलाल भारती आओ बोये फूल काँटों का क्या काम है,गुजर जाएगा कारवाँ रहने वाला नाम है।कोयले की कोठरी से निकल चले बच के,पत्थरों पर कर्म के निशां छोड़ दे।आज ना आएगी याद, यही होता आ रहा,कल थे अजनबी, उन्हीं का गीत गा रहा जमाना।लकीर का नतीजा करम का है तराना,अनेक दंड, किसी को जहर परोसा गयाकल के थे सिपाही, आज उन्हीं को मसीहा कहा गया।बढ़े चले जहरीले तूफान में प्यारे, कल जयगान करेंगे ये जो,आज दुश्मन बन बैठे हैं हमारे।