मैं तुम्हारे पास एक भाषा एक नदी लेकर आया हूँ उठो तुम इसमें अपना तर्जुमा कर लो क्योंकि तुम भाषा में अभी इतने उत्तेजित वेग जनित नहीं हो पाए हो कि तुम्हें साफ-साफ पढ़ा और समझा जा सके। केवल तलवार उठाने से कोई योद्धा नहीं होता न तो आँख मूंद कर लड़ते रहने से कोई निर्णय। तेवर और तलवार के लिए जरूरी है पानी पानी के लिए जरूरी है धार धार उस नदी से पूछो जो चट्टानों को कूटती है और अपने साथ एकमेव कर उसे बहा ले जाती है।