मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
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Written By WD

एक नदी लेकर आया हूँ

एक नदी लेकर आया हूँ -
भगवतलाल 'उत्पल'
NDND
मैं तुम्हारे पास
एक भाषा
एक नदी
लेकर आया हूँ
उठो
तुम इसमें अपना
तर्जुमा कर लो
क्योंकि तुम भाषा में
अभी इतने उत्तेजित
वेग जनित नहीं हो पाए हो कि
तुम्हें साफ-साफ पढ़ा
और समझा जा सके।
केवल तलवार उठाने से
कोई योद्धा नहीं होता
न तो आँख मूंद कर
लड़ते रहने से कोई निर्णय।
तेवर और तलवार के लिए
जरूरी है पानी
पानी के लिए जरूरी है धार
धार उस नदी से पूछो
जो चट्‍टानों को कूटती है
और अपने साथ एकमेव कर
उसे बहा ले जाती है।