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Written By WD

अब किसकी जीत-हार होगी...?

अब किसकी जीत-हार होगी...? -
- डॉ. रामकृष्ण सिंगी

FILE


हो गया मतदान, देखना है कि
किसकी जीत आखिरकार होगी।
और इस जीत में अन्तर्निहित
किस नियति-दंश की हार होगी।।

जीतेगा यदि कोई घाघ-लफ्फाज,
तो जनता हारेगी।
विजयी होगा कोई सियाजी धन्धेबाज,
तो जनता हारेगी।।

जीता गर कोई ख्यातनाम दागी,
तो जनता हारेगी।
अन्तर्कलह में जीता कोई बागी,
तो जनता हारेगी।।

घोटालों में पारंगत, कोई जीता
तो जनता हारेगी।
सम्प्रदायवादी उन्मत‍, कोई जीता
तो जनता हारेगी।।

हारेगा जनतंत्र अगर
'दल-दल' में रथ फंस गया कभी।
गठबन्धनों की तंग गलियों में
विराट जनपथ फंस गया कभी।।

जन आकांक्षा हारेगी यदि
अब भी ना स्थिर सरकार बनी।
असमय विघटन की रहे अगर
संसद पर एक तलवार तनी।।

प्रजातंत्र की जी‍त व जीत जनता की
सही मानिए तब।
कर्त्तव्यनिष्ठ, निष्कलंक सांसदों से
संसद का गठन जानिए जब।।

पर अब तो यह एक व्यर्थ सपना है
ऐसे उम्मीदवार ही नहीं बचे।
गुमसुम बैठेंगे कोनों में यदि
कोई भूल से जा पहुंचे।।

क्या कहिए ऐसे चुनावों को
जिनमें विश्वसनीय उम्मीदवार न मिलें।
जनता की आकांक्षा पूरक,
एक सक्षम, स्थिर सरकार न मिले।।