गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By WD

केदारनाथ सिंह को देखते हुए

केदारनाथ सिंह को देखते हुए -
निशांत
WDWD
केदारनाथ सिंह को देखते हुए
एक बाघ देखा

केदारनाथ सिंह को देखते हुए
एक बाप देखा

केदारनाथ सिंह को देखते हुए
सिर्फ केदार देखा

और कुछ नहीं।


केदारनाथ सिंह को लड़ते हुए

फर्क पड़ता है, केदार
तुमने जहाँ लिखा है ' प्यार'
वहाँ लिख दो सड़क''
फर्क क्या पड़ता है

बस्ती में एक लड़की
रस्सी से झुलते हुए पाई जाती है, केदार
उसके प्रेमी ने कहा था
फर्क नहीं पड़ता
यह मेरे युग का मुहावरा है।

तुम्हारी आँखों में बैठा हुआ सच
मेरी आँखों में बैठे हुए सच जैसा नहीं है,
केदार ,फर्क पड़ता है

साभार : तद्भव