केदारनाथ सिंह को देखते हुए
निशांत केदारनाथ सिंह को देखते हुएएक बाघ देखाकेदारनाथ सिंह को देखते हुएएक बाप देखाकेदारनाथ सिंह को देखते हुएसिर्फ केदार देखाऔर कुछ नहीं।केदारनाथ सिंह को लड़ते हुए फर्क पड़ता है, केदारतुमने जहाँ लिखा है ' प्यार' वहाँ लिख दो सड़क''फर्क क्या पड़ता हैबस्ती में एक लड़कीरस्सी से झुलते हुए पाई जाती है, केदारउसके प्रेमी ने कहा थाफर्क नहीं पड़तायह मेरे युग का मुहावरा है। तुम्हारी आँखों में बैठा हुआ सचमेरी आँखों में बैठे हुए सच जैसा नहीं है, केदार ,फर्क पड़ता है ।साभार : तद्भव