'पुस्तकें आपके द्वार' योजना का शुभारंभ
मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इंदौर की अनूठी पहल
'
वक्त के अनुसार जीवन पद्धति बदलती है और उसके अनुसार ही सोचना हमारी जरूरत है। 'पुस्तकें आपके द्वार' योजना का उद्धेश्य महज पुस्तकें उपलब्ध करना ही ना हो बल्कि पुस्तकें पढ़ने के लिए लोग भी तैयार करने होंगे।' उक्त विचार भाजपा सासंद सुमित्रा महाजन ने मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इंदौर द्वारा प्रस्तुत अभिनव योजना 'पुस्तकें आपके द्वार' का शुभारंभ करते हुए व्यक्त किए। डॉ.सरजूप्रसाद तिवारी पुस्तकालय में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सुमित्रा महाजन के साथ वेबदुनिया के संपादक जयदीप कर्णिक भी उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि इस योजना का विचार स्वयं सुमित्रा महाजन का था जिसे समिति ने प्राथमिकता से रूचि लेते हुए क्रियान्वित किया। श्रीमती महाजन ने बताया कि उस समय कल्पना बस इतनी ही थी कि किताबें लायब्रेरी में ही सजी ना रहे वरन् सही हाथों में पहुंचे। इस योजना ने आकार ग्रहण किया तो हार्दिक प्रसन्नता है लेकिन मेरा आग्रह इस बात पर अधिक है कि पुस्तकें मांग और पूर्ति के सिद्धांत को नए रूप में अपनाते हुए उपलब्ध कराई जाए यानी पुस्तकों की मांग का निर्माण करना भी हमारा ही दायित्व है। यह काम हो सकता है 30 प्रमुख केन्द्र संचालित करने वाले पुस्तक प्रेमियों द्वारा। उन्हें परस्पर पुस्तक चर्चा भी कुशलता से करनी होगी। सुंदर संप्रेषण ही पाठकों को आकर्षित कर पाएगा और निरंतरता में बांधे रख सकेगा। उन्हें ही चर्चा कर यह पता लगाना होगा कि कौन सी पुस्तक अधिक मांग में है और समिति को सूचित कर उसकी उपलब्धता भी सुनिश्चित करनी होगी। पुस्तकालय मंत्री राकेश शर्मा ने अपने आधार वक्तव्य में इस अनूठी योजना की संपूर्ण जानकारी दी। उनके अनुसार, पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार का स्तरीय समृद्ध साहित्य उपलब्ध हैं लेकिन अलमारियों में बंद पड़ा रहता है दूसरी तरफ पाठक उसके लिए लालायित बना रहता है। इस दुविधा की स्थिति से निपटने के लिए इस योजना ने आकार लिया है। जिसमें यह तय किया गया कि इंदौर शहर के विविध क्षेत्रों में 30 प्रमुख ऐसे केन्द्र स्थापित किए जाए जहां आसपास के पुस्तक प्रेमी एकत्र होकर अपनी मनपसंद किताब का वाचन कर सकें। इन पुस्तकों को केन्द्र तक ले जाने का दायित्व भी समिति ने अपने जिम्मे लिया है। यही नहीं अगर केन्द्र पर किसी पाठक की इच्छित पुस्तक नहीं मिली तो अगली बार उसे उपलब्ध कराने का भी प्रयास किया जाएगा। साथ ही समय-समय पर पुस्तक चर्चा हेतु सभागार भी नि:शुल्क उपलब्ध काराया जाएगा।