ऐलोपैथी और आयुर्वेद दोनों साथ-साथ
'न्यू ईयरा मेडिसिन' का नया अध्याय
धनंजय अंतरराष्ट्रीय ख्याति के हार्ट सर्जन नरेश त्रेहन च्यवनप्राश का सेवन करते हैं। ऑल इंडिया आयुर्वेदिक कांग्रेस के तीन दिवसीय शताब्दी समारोह के दौरान डॉ. त्रेहन ने यह रहस्योद्घाटन किया है कि वे स्वयं च्यवनप्राश का सेवन करते हैं। वह इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित हैं। भारत सरकार के आयुर्वेद सलाहकार डॉ. एसके शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर पुनर्विचार की माँग कर दी है जिसमें दोनों पैथियों को अलग-अलग रहने का निर्देश दिया गया है। यह माना जा रहा है कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल सात अक्टूबर को ऑल इंडिया आयुर्वेदिक कांग्रेस का उद्घाटन कर रही है। वह 'न्यू ईयरा मेडिसिन' (नए युग की दवा) का नया अध्याय शुरू करेगी। 'न्यू ईयरा मेडिसिन' विचारधारा के जनक डॉ. त्रेहन हैं। इस पद्धति में ऐलोपैथी और आयुर्वेद दोनों साथ-साथ होंगे। वह गुड़गाँव में स्थापित अस्पताल कॉम्प्लेक्स मेडांटा मेडिसिटी में दवा की इस पद्धति को शुरू करेंगे। उनका कहना है कि इससे इलाज का खर्च घटकर आधा हो जाएगा। आयुर्वेदिक दवाओं का प्रयोग मरीजों की इम्यूनिटी (रोगों से लड़ने की क्षमता) बढ़ाने के लिए करेंगे। सुप्रीम कोर्ट का फैसला दोनों पैथियों की आपसी लड़ाई का परिणाम था, लेकिन अब खुद दोनों पैथियों के बीच गलबहियाँ हो रही हैं। इस नए माहौल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का क्या होगा, इस सवाल पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के विभाग आयुष में आयुर्वेद सलाहकार डॉ. एसके शर्मा ने कहा कि इस फैसले पर पुनर्विचार जरूरी है। उनका कहना है कि इमरजेंसी की कुछ स्थितियों में वैद्य अगर प्राथमिक उपचार के रूप में एलोपैथी दवा का उपयोग कर भी लें तो कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। ऑल इंडिया आयुर्वेदिक कांग्रेस के अध्यक्ष व दिल्ली के जाने-माने आयुर्वेदिक वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा ने इस सवाल पर कहा कि वह अपने इलाज में एलोपैथी दवाओं का प्रयोग कतई नहीं करते लेकिन दोनों पैथियों में एक-दूसरे का पूरक बनने की अकूत संभावनाएँ हैं। दोनों पैथियों में समन्वय की वकालत करने वालों का कहना है कि जापान की तर्ज पर मेडिकल कॉलेजों के लिए मिश्रित पाठ्यक्रम बनाए जाएँ। जापान में एमबीबीएस छात्रों को 30 प्रतिशत वैकल्पिक इलाज पढ़ाया जाता है।