शनिवार, 20 अप्रैल 2024
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Written By WD

आतंकवादी हमलों में जनता की भूमिका

आतंकवादी हमलों में जनता की भूमिका -
डॉ. आशीष जैन
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जिस गति से आतंकवादी शहरों में विस्फोट कर रहे हैं, उससे लगता है कि आज कोई भी शहर सुरक्षित नहीं है। इस मामले में सरकार और प्रशासन जो कदम उठा रहे हैं, वे निश्चित तौर पर नाकाफी हैं। हम सिर्फ उम्मीद ही कर सकते हैं कि भविष्य में व्यवस्था सुधरेगी, परंतु इसमें जनता की भागीदारी की भी आवश्यकता है। ऐसी किसी स्थिति में हमारी क्या भूमिका होना चाहिए?

सावधानी एवं तैयारी -
अपनी जेब अथवा अपने पर्स में कोई भी एक फोटो परिचय-पत्र रखें जिससे जरूरत के समय आपकी पहचान हो सके। एक कागज पर अपना नाम, पता और परिचित का नाम और फोन नं. लिखें और उसे सुरक्षित रखने के लिए लेमिनेट करवा लें।

अपने मोबाइल में अपने करीबी रिश्तेदारों का फोन नं., उनके नाम से सुरक्षित करने के बजाय दोस्त, पत्नी, पति, पुत्र के नाम से सुरक्षित करें। इससे जरूरत के समय कोई भी आपके परिजनों तक समाचार पहुँचा दे।

कोशिश करें कि किसी भीड़ वाली जगह पर बच्चों को न ले जाएँ।

  जिस गति से आतंकवादी शहरों में विस्फोट कर रहे हैं, उससे लगता है कि आज कोई भी शहर सुरक्षित नहीं है। इस मामले में सरकार और प्रशासन जो कदम उठा रहे हैं, वे निश्चित तौर पर नाकाफी हैं ...      
बाजार में जाते समय इस बात का ध्यान हमेशा रखें कि अगर उस समय भगदड़ होती है तो हमें कहाँ से बाहर निकलना है। बड़े मॉल में जाते समय हर तल के निकास द्वार की जानकारी रखें। अगर निकास द्वार बंद है अथवा उस रास्ते में कोई अड़चन है तो अधिकारियों को सूचित करें।

अपने आसपास होने वाली किसी भी संदिग्ध गतिविधि या वस्तु की जानकारी उपस्थित अधिकारियों अथवा पुलिस को दें। उसे आप अपने मोबाइल में तस्वीर या फिल्म के रूप में कैद भी कर सकते हैं।
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विस्फोट के समय

आप संयम से काम लें (हालाँकि यह बहुत ही मुश्किल काम है)। कोशिश करें कि भगदड़ न हो। कोई युवक या युवती पहल करके निकास मार्गों की पहचान कर भीड़ को उस ओर जाने के लिए निर्देशित कर सकता है।

अगर आप दूसरों की मदद करने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं तो वहाँ से दूर चले जाएँ। स्वजनों को सूचित करना नही भूलें।

न तो घटनास्थल से भाग जाना कायरता है और न भीड़ के साथ खड़े रहने में बहादुरी। दरअसल अगर आप घटनास्थल पर ही ‘माजरा' देखने के लिए खड़े हैं तो आप उन लोगों के लिए मार्ग में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं जो वाकई मदद कर सकते हैं।

कोई भी पहल कर लोगों को सड़क अथवा निकास मार्ग से हटने के लिए प्रेरित कर सकता है, यह भी महत्वपूर्ण है। इससे भी कई जरूरतमंदों को समय पर अस्पताल ले जाने में मदद मिलेगी।

क्षतिग्रस्त इमारतों से दूर रहें। यह खतरनाक हो सकती हैं।

घटना के वक्त घायल लोगों को ‘किसी भी तर’ तुरंत अस्पताल ले जाने की जल्दी न करें, ये उनके लिए प्राणघातक भी हो सकता है।

अगर आप स्वयं घटना में जख्मी हुए हैं और बिना किसी सहायता के अस्पताल जा सकते हैं तो घटना क्षेत्र से दूर के अस्पताल ही जाएँ, क्योंकि कुछ देर बाद पास के अस्पताल में और भी गम्भीर मरीज आएँगे।

पहले स्थिति को समझें -

अगर प्रभावित व्यक्ति खतरे में नहीं है तो वह जहाँ है और जिस अवस्था में है उसे वहीं रहने दें। आप उसके पास रहकर सांत्वना दे सकते हैं। अगर होश में है तो उसे कुछ घूँट पानी भी पिला सकते हैं। अगर उसे कहीं से खून निकल रहा है तो उस जगह दबाव बनाकर खून को रोकने का प्रयास करें और प्रशिक्षित सहायता का इंतजार करें। खून रोकने के लिए किसी दुपट्टे या रस्सी, सुतली का इस्तेमाल किया जा सकता है।

गंभीर मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस का इंतजार ही करना उसके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। अगर आपको लगता है कि सहायता आने में समय लग सकता है, तभी मरीज को वहाँ से ले जाएँ।

अगर प्रभावित व्यक्ति का खून नहीं रुक रहा है और आपको नहीं लगता है कि उसकी हड्डी टूटी है तो उस हाथ अथवा पाँव को जमीन से ऊपर उठा दें।

  गंभीर मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस का इंतजार ही करना उसके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। अगर आपको लगता है कि सहायता आने में समय लग सकता है, तभी मरीज को वहाँ से ले जाएँ ....      
प्रभावित व्यक्ति की गर्दन का विशेष खयाल रखें, खासतौर पर बेहोश मरीज की गर्दन का। किसी भी अवस्था में व्यक्ति को अस्पताल ले जाते समय उसकी गर्दन लटकना नहीं चाहिए। एम्बुलेंस अथवा किसी और वाहन में मरीज को चढ़ाते समय भी गर्दन के नीचे अपनी बाँह को लगाएँ। अगर स्ट्रेचर नहीं है तो चार या पाँच व्यक्ति मिलकर एक घायल की मदद कर सकते हैं।

ध्यान रहे कि घटनास्थल पर किसी भी वस्तु को न तो उठाएँ और न ही हाथ लगाएँ। ये विस्फोटक हो सकती है या फिर आगे होने वाली जाँच में व्यवधान उत्पन्न कर सकती है।आतंकवादियों के इरादों को नाकाम करने के लिए हम सभी की भागीदारी होना चाहिए।