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Written By WD

सावधान, कहीं दिवाली आपको रोगी न बना दे

Health and Diwali | सावधान, कहीं दिवाली आपको रोगी न बना दे
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सरकार और सामाजिक संस्था के लाख प्रयास के बाद भी हम हर साल लाखों करोड़ों रूपए के पटाखें फोड़ डालते हैं और न चाहते हुए भी हम अपने सेहत और पर्यावरण का नुकसान करते हैं। कई बार ऐसा होती है कि आपकी मस्ती के चलते दूसरों की सेहत बिगड़ जाती है। दीपावली के दिन पटाखों के चलते वातावरण तीन गुना अधिक प्रदूषित हो जाता है। यह खासकर गर्भवती महिलाओं, दमा, अस्थमा के मरीजों और बच्चों के लिए बेहद नुकसानदेह है।

मनुष्य के लिए 60 डेसिबल की आवाज सामान्य होती है। इससे 10 डेसिबल अधिक आवाज की तीव्रता दोगुनी हो जाती है, जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए घातक होती है। इसलिए अगर आप दीवाली पर पटाखों का धूम धड़ाका करने की तैयारी कर रहे हैं तो बेहतर होगा कि इससे सेहत को होने वाले नुकसान को भी जान लें।

- पटाखों के केमिकल कानों में जाने से कान बहने भी शुरू हो जाते हैं। मरीज बहरे तक हो जाते हैं।

- जिन लोगों को सांस की दिक्कत है उन्हें इस दिन परेशानी बढ़ जाती है। पटाखों के कण सांस के जरिए फेफड़ों में चले जाते हैं,इससे सांस लेने में दिक्कत पैदा होती है। जिससे नाड़ियों में सिकुड़न पैदा होती है।

- पटाखों से निकलने वाला कार्बन मोनो आक्साइड और सल्फर डाई आक्साइड फेफड़े और सांस की नली में सूजन पैदा कर सकता है।

- प्रदूषण,ठंड,उल्टा सीधा खा लेने समेत कुछ फैक्टर हैं जो दीवाली की रात हार्ट अटैक की वजह बनते हैं।

- दमा के मरीज,गर्भवती महिलाओं और बच्चों को पटाखों से दूर रखें।

- तेज आवाज वाले पटाखे गर्भस्थ शिशु के सुनने की शक्ति प्रभावित कर सकते हैं।

- पटाखों से दमा-अस्थमा के मरीजों पर अटैक का खतरा बढ़ सकता है।

- पटाखों की तेज आवाज से दिल की धड़कन बढ़ जाती है।

- पटाखों से निकलने वाली गैस से आंखों जलन होने लगती है।