गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By WD

ग्रीष्म ऋतु में पालन करें

सेहत डेस्क

ग्रीष्म ऋतु में पालन करें -
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* दिन में 1-1 गिलास करके बार-बार ठंडा पानी पीते रहना चाहिए। विशेषकर घर से बाहर निकलते समय एक गिलास ठंडा पानी, बिना प्यास के भी, पीकर ही बाहर निकलना चाहिए। इस उपाय से लू नहीं लगती। इसी तरह रात को 10 बजे के बाद जागना पड़े तो हर घण्टे 1-1 गिलास पानी तब तक पीते रहें जब तक सो न जाएँ। इस उपाय से वात और पित्त का प्रकोप नहीं होता।

* सुबह शौच जाने से पहले ठंडा पानी पीने की आदत डालना चाहिए। शुरू में पानी की मात्रा एक कप रखें, फिर बढ़ाते जाएँ और जितनी ज्यादा मात्रा में पी सकें उतनी मात्रा में पीने लगें। इसे उषा पान करना कहते हैं। इससे कब्ज का नाश होता है और पेट के साथ-साथ पूरे शरीर में शीतलता बनी रहती है।

* धूप में घूमते हुए या बाहर के गर्म वातावरण से घर पहुँचकर तुरंत ठंडा पानी या कोई ठंडा पेय नहीं पीना चाहिए। थोड़ी देर ठहरकर शरीर को ठंडा करके और पसीना सुखाकर ही ठंडा पानी पीना चाहिए। फ्रिज या बर्फ का पानी नहीं पीना चाहिए। पीना ही हो तो फ्रिज के पानी में आधा सादा पानी मिला कर या थोड़ी देर फ्रिज से बाहर रखने के बाद पीना चाहिए।

* रसोई घर में काम करते हुए प्यास लगे तो तत्काल ठंडा पानी न पिएँ। बाहर आकर पानी पीकर थोड़ी देर से काम शुरू करें, ताकि जल्दी प्यास न लगे। थोड़ा विश्राम करके घूँट-घूँटकर पानी पिएँ।

* महिलाएँ शिशु को दूध पिलाते समय इस बात का विशेष कर ध्यान रखें कि आपका शरीर गर्म न हो। किसी भी कारण से शरीर में बढ़ी हुई उष्णता को सामान्य करके ही दूध पिलाना चाहिए।

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* ग्रीष्म ऋतु में सुबह सूर्योदय से पहले उठ कर शौच क्रिया एवं स्नान से निवृत्त हो जाने से शरीर में अतिरिक्त उष्णता नहीं बढ़ पाती। कुछ महिलाएँ रसोई घर के काम से निवृत्त होकर दोपहर को स्नान करती हैं। इससे शरीर में उष्णता बढ़ती जाती है। ग्रीष्म ऋतु में ऐसा न करके सूर्योदय से पहले ही स्नान कर लें, फिर रसोई घर में काम करें। दरअसल यह एक स्वास्थ्यरक्षक नियम है।

* ग्रीष्म ऋतु में दिनचर्या के दैनिक कार्यों के समय में परिवर्तन करें। जो काम आप अभी तक दोपहर व धूप में करते रहे हैं, उन्हें सुबह या शाम को किया करें, ताकि सूर्य की धूप और तेज गर्मी से बच सकें।