शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. सेहत
  4. »
  5. यूँ रहें स्वस्थ
Written By ND

जानें रूट कैनाल पद्धति

जानें रूट कैनाल पद्धति -
डॉ. लीना श्रीवास्त
NDND
बीते जमाने में दाँत खोखले होने पर निकालने के सिवा कोई चारा नहीं होता था। आज दंत चिकित्सा विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है। अब खोखले दाँतों को बचाना आसान हो गया है। रूट कैनाल ट्रीटमेंट मूल दाँतों को बचाने का तरीका है।
दाँतों की ऊपरी सतह यानी इनेमल पर सड़न हो तो उसे फिलिंग करके ठीक कर लिया जाता है, लेकिन जब सड़न जड़ (पल्प) तक पहुँच जाती है तो मरीज को बेहद दर्द होता है। ऐसे दाँतों को अब रूट कैनाल पद्धति से बचा लिया जाता है, जबकि पहले इन्हें निकाल दिया जाता था। दाँत निकालने का नुकसान यह होता था कि निकले हुए दाँतों के खाली हो चुके स्थान पर आसपास के दाँत खिसकने लगते थे। इससे एक तो मुँह का शेप बिगड़ता था, दूसरे खाना चबाने में तकलीफ होती थी। इसका एक ही उपाय था नकली दाँत लगाना। नकली दाँत भी दो तरीके से लगाए जाते हैं। एक किस्म का नकली दाँत निकल सकने वाला होता है, दूसरे किस्म के नकली दाँत को फिक्स कर दिया जाता है।

प्रत्येक दाँत में एक या एक से अधिक रूट कैनाल होती है। हर कैनाल में पल्प मौजूद रहता है। पल्प के अंदर नाड़ियाँ, खून की नलिकाएँ तथा जोड़ने वाले ऊतक होते हैं। सड़ने के कारण पल्प नष्ट हो जाता है जिससे असहनीय पीड़ा होती है।

क्या है रूट कैनाल पद्धति
सड़े हुए दाँत के ऊपरी हिस्से यानी क्राउन से ड्रिल करके कैनाल को खोल लिया जाता है। इसके साथ पूरा पल्प निकाल लिया जाता है। इसके बाद पूरे कैनाल की हाइड्रोजन पैराक्साइड एवं सोडियम हायपोक्लोराइड से सफाई की जाती है। फिर गटापार्चा फिलर से इसे पूरी तरह भर दिया जाता है। इसके बाद सिल्वर फिलिंग या टूथ कलर फिलिंग से दाँत को सील कर दिया जाता है। दाँत को मजबूती प्रदान करने के लिए रूट कैनाल ट्रीटमेंट के बाद इस पर कैप अथवा क्राउन लगाना आवश्यक होता है। क्राउन नहीं लगाने पर दाँत टूट सकता है।
कितना समय लगता है
प्रारंभिक अवस्था में इलाज कराने पर एक अथवा दो सिटिंग में ही इलाज पूरा किया जा सकता है। पहली सिटिंग में ट्रीटमेंट टाइम 30-40 मिनट तक हो सकता है। अगर मरीज की लापरवाह से वहाँ संक्रमण हो जाए तो 4 से 5 सिटिंग लग सकती हैं।
आधुनिक उपकरण
दंत चिकित्सा विज्ञान के आधुनिक उपकरणों ने जहाँ मरीजों की पीड़ा को कम किया है वहीं दंत चिकित्सक का काम भी आसान कर दिया है। वायरलेस डिजिटल एक्स-रे के उपयोग से रूट कैनाल ट्रीटमेंट अधिक कुशलतापूर्वक और कम समय में किया जा सकता है। मरीज को लैपटॉप पर उसके दाँत का एक्स-रे दिखाया जा सकता है। दाँत का आकार भी इसमें बड़ा और स्पष्ट दिखाई देता है। इससे चिकित्सक का काम भी आसान हो जाता है।
कितना दर्द होता है
दंत चिकित्सा में मरीज को कितना कम या ज्यादा दर्द हो रहा है, इसका बड़ा महत्व है। लगभग सभी मरीज रूट कैनाल ट्रीटमेंट में होने वाले दर्द के बारे में जानना चाहते हैं। मरीज को सबसे पहले एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं। इससे मरीज को संक्रमण का जोखिम कम हो जाता है। यदि मरीज को असहनीय दर्द हो तो लोकल एनेस्थेसिया दिया जाता है। अगर इससे भी दर्द न मिटे तो पल्प डिवाइटालाइजर का प्रयोग किया जाता है। इससे मरीज को बिलकुल दर्द महसूस नहीं होता।