शुक्रवार, 29 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. साहित्य
  4. »
  5. हरिवंशराय बच्चन
Written By BBC Hindi

अमिताभ की नजर में हरिवंश राय बच्चन

अमिताभ की नजर में हरिवंश राय बच्चन -
जब कभी मैं खुद को मुश्किल या हताशा में पाता हूँ। उनकी किसी पुस्तक को पढ़ने लगता हूँ और मुझे एक रास्ता नजर आने लगता है। ये शब्द सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के हैं। पर केवल उन्हें ही नहीं बल्कि हिन्दी के कई लेखकों, कवियों और साहित्यकारों को प्रख्यात लेखक हरिवंश राय बच्चन की रचनाएँ पढ़कर रास्ता नजर आया था।

उनकी चर्चित कति मधुशाला बीसवीं सदी की सर्वाधिक लोकप्रिय पुस्तकों में से एक है और उसके अब तक पचास से अधिक संस्करण निकल चुके हैं। इस पुस्तक ने हिन्दी की कई पीढ़ियों को प्रभावित किया था।

हरिवंश राय बच्चन अपने पुत्र के ही नहीं बल्कि अनेक लोगों के प्रेरणास्रोत थे। आलोचकों की राय में मधुशाला धर्मनिरपेक्षता का भी प्रतीक है। उसकी प्रसिद्ध पंक्ति है। मंदिर मस्जिद बैर बढ़ाते, मेल कराती मधुशाला। इस पुस्तक से उन्हें अभूतपूर्व लोकप्रियता मिली और वे साहित्य जगत में दूर गए।

अमिताभ बच्चन ने पिछले दिनों अपने पिता के 94वें जन्म दिन पर एक पत्रिका के लेख में लिखा भी था। मेरा मानना है कि पूरी 'मधुशाला' सिर्फ मदिरा के बारे में नहीं, अपितु जीवन के बारे में भी है। हालावाद दरअसल यह बताता है कि मदिरा और अन्य तत्वों को हटाकर जीवन को किस तरह समझा जा सकता है।

एक बरस में एक बार ही जलती है होली के ज्वाला
एक बार ही लगती बाजी जलती दीपों की माला
दुनियावालों किन्तु किसी दिन आ मदिरालय में देखें
दिन को होली रात दिवाली रोज मनाती मधुशाला

यहाँ उन्होंने मदिरा को एक प्रतीक के रूप में लिया है जिसमें मधुशाला एक जीवन और रात एक उत्सव है। इसी तरह जीवन के मूल सिद्धांतों पर भी मधुशाला के माध्यम से रोशनी डाली गई है कि किस तरह आप एक राह पकड़कर अपनी मंजिल हासिल कर सकते हैं-

मदिरालय जाने को घर से चलता है पीने वाला
किस पथ से जाऊँ असमंजस मे है वो भोलाभाला
अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं ये बतलाता हूँ
राह पकड़ तू एक चला चल पा जाएगा मधुशाल

अमिताभ ने उस लेख में लिखा हैं। सिर्फ मधुशाला ही नहीं, उनकी हर पुस्तक हर कविता में आपको एक गहरी दृष्टि मिलती है। एक अलग नजरिया मिलता है।

अमिताभ ने लिखा है- उनकी कविताओं में जीवन से जुड़ी मुश्किलों के हल भी देखने को मिलते हैं जब कभी मैं खुद को मुश्किल में या हताशा में पाता हूँ तो उनकी किसी भी पुस्तक को उठाकर पढ़ने लगता हूँ और मुझे एक रास्ता नजर आता है। आगे बढ़ने की शक्ति मिलती है। उम्मीद और सकारात्मक सोच का ऐसा उदाहरण और कहां मिलेगा, जिसमें कहा गया हो-

है अंधेरी रात पर दीया जलाना कब मना ह

मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि यदि उनके व्यक्तित्व को समझना है तो उसके लिए उनके साहित्य को पढ़ना बेहद आवश्यक है। वह एक अद्वितीय व्यक्तित्व हैं।

अमिताभ के शब्दों में मेरे पिता एक गरीब निम्न मध्यवर्गीय परिवार से आए हैं। एक पत्रकार के रूप में उनकी तनख्वाह उस समय पच्चीस रुपए थी। उन्होंने जमीन पर बैठकर लालटेन की रोशनी में पढ़ाई की। लेकिन इससे कभी उनकी लगनशीलता पर असर नहीं पड़ा। उन्होंने अपना पूरा जीवन पढ़ने-लिखने में ही लगाया। सख्त अनुशासन और किसी भी काम के पूरी तत्परता से पूरा करना उनके व्यक्तित्व का ऐसा पहलू रहा जिसका प्रभाव सिर्फ मुझ पर नहीं बल्कि पूरे परिवार पर रहा है।

अपने पिता को जहाँ मैंने हमेशा एक बेहद क्षमतावान, प्रतिबद्ध और ज्ञान से परिपूर्ण शख्सियत के रूप में पाया। आरंभ से से ही उनके व्यक्तित्व का गुण रहा कि जब भी वह कोई हाथ में काम लेते तो अपनी पूरी लगन के साथ उसे निडर होकर पूरा करते हैं।

उनकी यह निडरता उनके लेखन में भी देखने को मिलती है और उनके सोच में भी यही कारण है कि उन्होंने साहित्य में एक नई धारा का प्रवर्तन किया। हालाबाद जिसमें उन्होंने यह समझाया कि मधुशाला के माध्यम से जीवन को किस तरह समझा जा सकता है।

बच्चन के गीत ही नहीं बल्कि कविताएँ भी मर्मस्पर्शी हैं। वे सहज, सरल और मन को छूने वाली कविताएं हैं। उनकी एक ऐसी ही मार्मिक कविता है जो जीवन में आशावाद को जगाता है-

जो बीत गई सो बात कई
जीवन में एक सितारा था
माना वो बेहद प्यारा था
वो छूट गया तो छूट गया
अंबर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
पर पूछो टूटे तारों से
जब अंबर शोक मनाता है

हरिवंश राय बच्चन के निधन से पूरा हिन्दी समाज शोक संतप्त है, लेकिन उनकी यह कविता मृत्यु पर जीवन की विजय का संदेश हमेशा देती रहेगी।