गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. »
  3. व्रत-त्योहार
  4. »
  5. गणेशोत्सव
Written By ND

दूर्वार्पण विधि

दूर्वार्पण विधि -
- डॉ. रामकृष्ण डी. तिवारी

सांसारिक कामनाएँ इस संसार में आए प्रत्येक व्यक्ति को होती हैं। कई कामनाओं का संबंध मूल आवश्यकता से होता है। इसी इच्छापूर्ति की प्राप्ति के लिए व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार प्रयास करता है। लेकिन भौतिक प्रयत्न से भी फल नहीं मिलने पर आशा ईश्वरीय चमत्कार कीओर जाती है। जिसकी प्राप्ति तभी संभव होती है जब आपेक्षक सविधि कोई अनुष्ठान करता है। इसमें गणेशजी की साधना शीघ्र फलदायी है। इनके अनेक प्रयोग में उनको प्रिय दूर्वा के चढ़ाने की पूजा शीघ्र फलदायी और सरलतम है।

इसे किसी भी शुभ दिन प्रारंभ करना चाहिए। इसे गणेशजी की प्रतिष्ठित प्रतिमा पर करें। इक्कीस दूर्वा लेकर इन नाम मंत्र द्वारा गणेशजी को गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप व नैवेद्य अर्पण करके एक-एक नाम पर दो-दो दूर्वा चढ़ाना चाहिए। यह क्रम प्रतिदिन जारी रखने एवं नियमित समय पर करने से जो आप चाहते हैं उसकी प्रार्थनागणेशजी से करते रहने पर वह शीघ्र पूर्ण हो जाती है। इसमें इस प्रयोग के अतिरिक्त विघ्ननायक पर श्रद्धा व विश्वास रखना चाहिए।

ॐ गणाधिपाय नमः
ॐ उमापुत्राय नमः
ॐ विघ्ननाशनाय नमः
ॐ विनायकाय नमः
ॐ ईशपुत्राय नमः
ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः
ॐ एकदन्ताय नमः
ॐ इभवक्त्राय नमः
ॐ मूषकवाहनाय नमः
ॐ कुमारगुरवे नमः

गणेशजी की कृपा में ये सहायक हैं
* लाल व सिंदूरी रंग प्रिय है।

* दूर्वा के प्रति विशेष लगाव है।

* चूहा इनका वाहन है।

* बैठे रहना इनकी आदत है।

* लिखने में इनकी विशेषज्ञता है।

* पूर्व दिशा अच्छी लगती है।

* लाल रंग के पुष्प से शीघ्र खुश होते हैं।

* प्रथम स्मरण से कार्य को निर्विघ्न संपन्ना करते हैैं।

* दक्षिण दिशा की ओर मुँह करना पसंद नहीं है।

* चतुर्थी तिथि इनकी प्रिय तिथि है।

* स्वस्तिक इनका चिन्ह है।

* सिंदूर व शुद्ध घी की मालिश इनको प्रसन्ना करती है।

* गृहस्थाश्रम के लिए ये आदर्श देवता हैं।

* कामना को शीघ्र पूर्ण कर देते हैं।