शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
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Written By ND

मैं ठहरा अनाड़ी

- पूरन सरमा

मैं ठहरा अनाड़ी -
ND

प्रेम में अनाड़ी बने रहने का अपना क्रेज और आनंद है। आजकल तो खैर ब्रिलियंट प्रेमियों की आवश्यकता है। पहले अनाड़ी प्रेमियों की बड़ी कद्र थी। प्रेमिकाएँ सब खेल समझती थी, लेकिन प्रेमी अनाड़ी हुआ करते थे। जैसे दिलीप कुमार की कई फिल्में अनाड़ीपन को बेस करके ही बनी। जनता ने उन्हें खूब देखा और पसंद किया। मैं, थोड़ा उसी जमाने का हूँ। इसलिए स्वभावगत अनाड़ी भी रहा हूँ।

यानी हमसे प्रेम करने वाली प्रेम करती रही और हमें इसकी अनुभूति ही नहीं रही। सदा एक तमन्ना बनी रही कि कोई हमसे भी प्रेम करता। एक अथाह प्यास लिए बेचैनी से टहलते रहे।

एक दिन जो महिला हमें अच्छी लगती थी, उसने एकांत में रोका और कहा-'आपकी आँखें हैं?'

मैं बोला-'दोनों हैं?'

'और दिमाग?'

'वह भी है।'

ND
'फिर न तो तुम देखते हो और न सोचते हो। तुम अनाड़ी तो नहीं हो।'मुझे लगा प्रेम का पासा चल निकला है। इसलिए अनाड़ी बनकर बोला-'मुझे देखते और सोचते हुए डर लगता है। तुम्हें आपत्ति नहीं हो तो मैं ये दोनों काम करने लगूँ। दरअसल मैं लंबे समय से इस पहेली को नहीं सुलझा पा रहा हूँ।'

'पहेली तब सुलझाओगे न, जब तुम्हारा अनाड़ीपन जाए। देखो, थोड़ा सलीके से रहा करो-मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ।'

मैं बोला-'बड़ी मेहरबानी। खासतौर पर इस बात के लिए कि आपने मुझे बता दिया वरना मैं ठहरा अनाड़ी, प्रेम-प्रसंगों के बारे में समझता नहीं हूँ।'

'उसकी चिंता मत करो। वह मुझ पर छोड़ दो। प्रेम का मार्ग इतना कठिन तो नहीं है कि तुम उस पर चल ही नहीं सको।'

'लेकिन वह प्रेम का पंथ कराल कहा' तथा 'बहुत कठिन है डगर पनघट की' वाली कहावतों से मैं पस्त हुआ पड़ा हूँ। मेरा मतलब इस सर्दी में थोड़ा च्यवनप्राश खा लूँ, यदि आपकी अनुमति हो तो। 'मैंने कहा।'

'फिर वही अनाड़ीपन। तुम अनाड़ीपन को खा जाओ च्यवनप्राश की जगह। अन्यथा मुझे अपना प्रस्ताव विड्रा करना पड़ेगा।' क्या मतलब? मैं समझा नहीं।'

'समझोगे कैसे तुम ठहरे अनाड़ी। देखो, एक तो तुम पुरानी फिल्में देखना अविलंब बंद करो। हो सके तो नई फिल्में देखो। कोई ऐसी आँखमिचौली खेलो कि मैं ठगी-सी रह जाऊँ।' मैं बोला-'तो मैं क्या करूँ?' 'तुम मुझे प्रभावित करो, नायिका ने कहा।

'देखो, मैं ठहरा भोला और अनाड़ी। हो सके तो मुझे माफ कर दो। दरअसल मैं शादी शुदा हूँ।