मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. सेहत
  4. »
  5. जान-जहान
Written By WD

ग्लूकोमा यानी काला मोतिया

आँखों की अनदेखी ना करें

ग्लूकोमा यानी काला मोतिया -
NDND
भारत में अंधेपन के प्रमुख कारणों में से एक कारण काला मोतिया या ग्लूकोमा है। इस बीमारी के कारणों को देखने के पहले हमें आँख की रचना समझना होगी। आँख में स्थित कॉर्निया के पीछे आँखों को सही आकार और पोषण देने वाला तरल पदार्थ होता है, जिसे एक्वेस ह्यूमर कहते हैं।

लेंस के चारों ओर स्थित सीलियरी टिश्यू इस तरल पदार्थ को लगातार बनाते रहते हैं। और यह द्रव पुतलियों के द्वारा आँखों के भीतरी हिस्से में जाता है। इस तरह से आँखों में एक्वेस ह्यूमर का बनना और बहना लगातार होता रहता है, स्वस्थ आँखों के लिए यह जरूरी है।

आँखों के भीतरी हिस्से में कितना दबाव रहे यह तरल पदार्थ की मात्रा पर निर्भर रहता है। जब ग्लूकोमा होता है तब हमारी आँखों में इस तरल पदार्थ का दबाव बहुत बढ़ जाता है। कभी-कभी आँखों की बहाव नलिकाओं का मार्ग रुक जाता है, लेकिन सीलियरी ऊतक इसे लगातार बनाते ही जाते हैं।

ऐसे में जब आँखों में ऑप्टिक नर्व के ऊपर पानी का दबाव अचानक बढ़ जाता है तो ग्लूकोमा हो जाता है। अगर आँखों में पानी का इतना ही दबाव लंबे समय तक बना रहता है तो इससे आँखों की ऑप्टिक नर्व नष्ट हो सकती है। समय रहते यदि इस बीमारी का इलाज नहीं कराया जाता तो इससे दृष्टि पूरी तरह जा सकती है।

ग्लूकोमा के प्रकार

ओपन एंगल ग्लूकोमा- अधिकांश रुप से यही ग्लूकोमा होता है। इसमें तरल पदार्थ मुख्यतः आँखों की पुतलियों से होकर आँखों के दूसरे भागों में बहता है और द्रव वहाँ नहीं पहुँचता जहाँ इसे छाना जाता है। जिससे आँखों में इस द्रव का दबाव बढ़ जाता है कि दृष्टि कमजोर हो जाती है।

लो टेंशन या नॉर्मल एंगल ग्लूकोमा - इसमें आँखों की तंत्रिका नष्ट हो जाती है और देखने की क्षमता में कमी आ जाती है।

एंगल क्लोजर ग्लूकोमा - इस प्रकार के ग्लूकोमा में आँखों के द्रव का दबाव अचानक ही बहुत बढ़ जाता है, और दबाव को कम करने के लिए तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है।

कन्जनाइटल ग्लूकोमा - इसमें जन्म से बच्चे को ग्लूकोमा के लक्षण पाए जाते हैं।

क्या होते हैं लक्षण

NDND
अधिकांश लोगों को ग्लूकोमा के बारे में कम ही जानकारी है इसलिए इसके लक्षणों को तब तक पहचाना नहीं जाता जब तक कि उन्हें आँखों से कम नहीं दिखाई देने लगता। इस बीमारी के शुरुआती दौर में जब आँखों की तंत्रिकाओं की कोशिकाएँ मामूली रूप से टूटने लगती हैं तो आँखों के सामने छोटे-छोटे बिंदु और रंगीन धब्बे दिखाई देते हैं। पहले-पहल लोग इन लक्षणों को गंभीरता से नहीं लेते परिणामस्वरुप उन्हें हमेशा के लिए अपनी आँखों की रोशनी खोनी पड़ती है।

ग्लूकोमा के जितने भी प्रकार हैं उनमें से एक्यूट एंगल-क्लोजर ग्लूकोमा के लक्षणों की पहचान पहले से की जा सकती है क्योंकि यह बीमारी धीरे-धीरे आती है। इसके प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं लेकिन अलग-अलग लोगों में ये अलग हो सकते हैं- आँखों के आगे इंद्रधनुष जैसी रंगीन रोशनी का घेरा दिखाई देना, सिर में चक्कर और मितली आना, आँखों में तेज दर्द होना आदि।

हालाँकि एक्यूट एंगल ग्लूकोमा के ये लक्षण आँखों की दूसरी समस्याओं में भी देखे जा सकते हैं। उपरोक्त लक्षणों में से अगर आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को किसी भी लक्षण का आभास हो तो आप तत्काल नेत्र रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।
NDND
इन बातों से रहें सावधान

ग्लूकोमा के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि सामान्य रुप से पहले इसके कोई विशेष लक्षण दिखाई नहीं देते, जिनके आधार पर बीमारी को पहचाना जा सके। फिर भी इस संबंध में कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए-

अगर परिवार में माता-पिता को ग्लूकोमा है तो बच्चों को भी यह बीमारी हो सकती है।

अगर आप चश्मा पहनती हैं तो आप अपनी आँखों की नियमित जाँच जरूर करवाएँ।

डायबिटीज से पीड़ित लोगों को ग्लूकोमा का खतरा बना रहता है।

ब्लड प्रेशर बहुत अधिक या कम होने पर भी ग्लूकोमा हो सकता है। इसलिए अगर आपका ब्लडप्रेशर बहुत ज्यादा या कम रहता हो तो आपको नियमित रूप से आँखों की जाँच करवानी चाहिए।

हृदय रोग भी इस बीमारी का एक कारण है।

अगर आप हैं 40 वर्ष से अधिक कहैतो वर्ष में एक बार आँखों की जाँच जरूर कराएँ।

अगर छोटे बच्चे की आँखें सामान्य आकार से बड़ी दिखती हों, बच्चा सूर्य की रोशनी को सहन नहीं कर पाता हो या उसकी आँखों से पानी आता हो तो तुरंत जाँच करनी चाहिए।

कैसे होता है उपचार

NDND
ग्लूकोमा की पहचान सिर्फ एक नेत्र चिकित्सक ही आँखों की विस्तृत जाँच के द्वारा कर सकता है। इसकी जाँच मुख्यतः चार भागों में की जाती है- पहले सामान्य नेत्र परीक्षण किया जाता है, जिससे आँखों की दृष्टि क्षमता मापी जाती है। इसके बाद आँखों में थोड़ी देर तक आई ड्राप डालकर रखते हैं। उसके बाद मशीन से रेटिना और आँखों की तंत्रिका की गहन जाँच की जाती है। आँखों के साइड विजन की जाँच में वह कमजोर निकलता है तो इसका अर्थ यह है कि ऐसा व्यक्ति ग्लूकोमा से पीड़ित है।

जाँच के बाद उपचार की प्रक्रिया इस बात पर निर्भर करती है कि यह बीमारी अभी किस अवस्था में है। शुरुआती दौर में दवाओं से उपचार किया जाता है लेकिन यदि बीमारी गंभीर अवस्था में हो तो सर्जरी द्वारा भी इसका उपचार किया जाता है। ऑपरेशन के 15 दिनों के बाद रोगी बिल्कुल ठीक हो जाता है लेकिन ऑपरेशन के बाद भी डॉक्टर द्वारा नियमित जाँच और डॉक्टर द्वारा बताए निर्देशों का पालन जरूरी है।