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Written By ND

13 साल से वह स्टेरॉयड्स पर थी

एलोपैथिक

13 साल से वह स्टेरॉयड्स पर थी -
यह एक 67 साल की महिला का केस है जो पिछले 35 सालों से दमा से पीड़ित थीं। अक्सर इनका रोग इतना तीव्र हो जाता था कि हर छः महीने में इन्हें 20-22 दिन अस्पताल में भर्ती होना पड़ता था।
  किसी ने कहा कि यह बीमारी शरीर में कीड़े होने के कारण होती है और घासलेट पीने से ठीक होती है। इस महिला ने तकलीफ से निजात पाने के लिए घासलेट तक पिया। किसी ने सुझाया कान छिदवाने से दमा दूर होता है तो दोनों तरफ के कान सात-सात जगह से छेद दिए गए।      
एमवाय अस्पताल से लेकर शहर का एक भी निजी या सरकारी अस्पताल ऐसा नहीं बचा था,जहाँ ये इलाज के लिए भर्ती नहीं हुई थीं। मरीज पर हर तरह की दवाओं का प्रयोग हो चुका था लेकिन हर प्रयास बेकार साबित हुआ। एक जमाने में दमे के इलाज में एड्रीनलीन के इंजेक्शन लगाए जाते थे

इन्होंने वे भी लगवाए। किसी ने कहा कि यह बीमारी शरीर में कीड़े होने के कारण होती है और घासलेट पीने से ठीक होती है। इस महिला ने तकलीफ से निजात पाने के लिए घासलेट तक पिया। किसी ने सुझाया कान छिदवाने से दमा दूर होता है तो दोनों तरफ के कान सात-सात जगह से छेद दिए गए। किसी ने बताया कि गुरुपूर्णिमा पर खीर खाने से यह रोग दूर होता है तो वह भी करके देख लिया। गरज यह कि मरीज ने आयुर्वेदिक, यूनानी, सिद्धा, एक्यूपंक्चर वगैरह सब तरह के इलाज करा लिए, लेकिन बीमारी अपनी जगह पर बनी रही। इसी सिलसिले में उसने अपने सीने पर एक्यूपंक्चर के तार तक लगवा लिए। इस तरह 15-17 साल तक इलाज चलता रहा। परेशानी थी कि थमने का नाम ही नहीं ले रही थी।


इस दौरान किसी चिकित्सक ने उन्हें दवाई लिखी जो कि स्टेरॉयड थी। इस दवा से उन्हें फायदा हो गया। अब क्या था मरीज ने बाद में डॉक्टर के पास जाना ही उचित नहीं समझा और जब भी दमे की तकलीफ शुरू होती थी वे पुराने पर्चे के आधार पर दवा खरीदकर खाती रहीं। इस तरह उन्हें स्टेरॉयड पर 13 साल बीत गए। इसी बीच उन्हें हज यात्रा पर जाने का मौका मिला। वहाँ भी उनकी स्टेरॉयड्स खत्म हो गए। तकलीफ बढ़ गई तो वहाँ उपलब्ध डॉक्टर को दिखाया जो कि पाकिस्तानी था। उसने मरीज को सलाह दी की कि अपने वतन जाकर यह दवा छोड़ देना।इस सलाह के बावजूद उन्होंने थोड़े समय तक स्टेरॉयड और खाई।

इतने सालों तक स्टेरॉयड खाने के बाद उसके साइड इफेक्ट का असर शरीर पर दिखाई देने लगा था। उन्हें हड्डियों में दर्द रहने लगा था। इस पर एमवाय अस्पताल में उन्होंने हड्डी रोग विभाग में दिखाया, जहाँ यह निदान किया गया कि हड्डियों में दर्द स्टेरॉयड्स की वजह से है। मरीज को मेडिसिन विभाग में रैफर किया गया। वहाँ स्टेरॉयड के इन्हेलर चालू किए गए। तीन हफ्तों में मरीज में फर्क दिखाई देने लगा। उनका दमा अब नियंत्रण में आ चुका था। अब सालभर में एकाध बार ही चिकित्सक की सलाह पर स्टेरॉयड लेती हैं

स्टेरॉयड इन्हेलर के फायद
दमा के इलाज के लिए मुँह से ली जाने वाली स्टेरॉयड पाचन प्रणाली से होते हुए बहुत अल्प मात्रा में फेफड़े में पहुँचती है। इसलिए असर भी बहुत प्रभावशाली नहीं होता और मरीज को राहत पहुँचाने के लिए अधिक शक्तिशाली स्टेरॉयड खिलाना पड़ते हैं। स्टेरॉयड इन्हेलर से दो फायदे हैं एक तो दवा सीधे फेफड़े में पहुँचती है जहाँ रोगाणु होते हैं। दूसरे इसकी मात्रा भी अल्पांश में होती है। इससे दवा मरीज के पाचन तंत्र से होकर नहीं गुजरती और मरीज स्टेरायड्स के साइड इफेक्टस से बच जाता है

- डॉ.सलिल भार्गव, प्रोफेसर, पल्मोनरी मेडिसी
वरिष्ठ चिकित्सक हैं और मरीजों की कई कल्याणकारी योजनाओं से जुड़े हैं। देश-विदेश के कई कॉन्फ्रेंस में शोधपत्रों का वाचन कर चुके हैं।