शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
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Written By संदीपसिंह सिसोदिया

भारत भी है 'सुपर आतंकवाद' के निशाने पर

भारत भी है ''सुपर आतंकवाद'' के निशाने पर -
बीतते समय के साथ आतंकवाद भी नित नए तरीके और तकनीकें अपनाता जा रहा है। जिस गति से तकनीकों व प्रौद्योगिकी का विकास हो रहा है, आतंकवादी भी इनका भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। अब तक आपने हाईटेक, सायबर और छद्म आतंकवाद के बारे में सुना होगा, पर इन सबसे कहीं बढ़कर आतंक का एक और खतरनाक चेहरा सामने आया है, जिसे विशेषज्ञ 'सुपर आतंकवाद' की संज्ञा दे रहे हैं।

  पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई कई आतंकवादी संगठनों को नैतिक, वित्तीय तथा हथियारों से मदद कर रही है, साथ ही कुछ सूत्रों के अनुसार हाल में हुए आतंकी हमलों की तफ्तीश के दौरान गृह मंत्रालय के सामने एक चौंकाने वाली चेतावनी आई है      
इसमें आतंकवादी अपनी घिनौनी वारदातों को अंजाम देने के लिए बड़े पैमाने पर सामूहिक संहार के लिए जैविक, रासायनिक तथा रेडियोधर्मी विकिरण फैलाने वाले जनसंहारक हथियारों (वेपन ऑफ मास डिस्ट्रक्शन) का इस्तेमाल कर सकते हैं, साथ ही इस मकसद के लिए आतंकवादी लोक यातायात के साधनों जैसे ट्रेन, बस, हवाई जहाज को अगवा कर हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इन हथियारों के जन सामान्य पर हमलों की आशंका और उसके भयावह परिणामों को देखते हुए इसे सुपर आतंकवाद बताया जा रहा है।

रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार अगर आतंकवादी 10 लाख की जनसंख्या वाले किसी शहर में मध्यम आकार का जैविक, रासायनिक तथा रेडियोधर्मी विकिरण वाला जन संहारक हथियार चला दें तो विस्फोट स्थल का 1-2 किमी का दायरा इसकी सीधी चपेट में आएगा और 5-6 क‍िमी तक के दायरे में विस्फोट से निकला विकिरण घातक प्रभाव छोड़ सकता है। साथ ही उस क्षेत्र को फिर से रहने लायक बनाने में कई वर्ष तथा अत्यधिक संसाधन लगेंगे।

अब प्रश्न यह उठता है कि क्या भारत के आतंकवादी संगठनों के पास यह हथियार हैं? या यह हथियार उन तक कैसे पहुँचेंगे? तो पहले सवाल का जवाब तो अभी नहीं दिया जा सकता, केवल ईश्वर से प्रार्थना की जा सकती है कि यह डर सिर्फ एक दु:स्वप्न सिद्ध हो, पर दूसरे सवाल का जवाब डराने वाला है।

हाल ही में सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई कई आतंकवादी संगठनों को नैतिक, वित्तीय तथा हथियारों से मदद कर रही है, साथ ही कुछ सूत्रों के अनुसार हाल में हुए आतंकी हमलों की तफ्तीश के दौरान गृह मंत्रालय के सामने एक चौंकाने वाली चेतावनी आई है कि आईएसआई इन आतंकवादियों को भारी हथियारों की पूर्ति कर किसी 'खास समय' इन्हें भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। इसके अलावा आईएसआई जम्मू-कश्मीर से लेकर बिहार, उत्तरप्रदेश, प. बंगाल और कई राज्यों में अपने आतंकी सेल बना चुकी है, जिन्हें आसपास के राज्यों में कार्रवाई के लिए खास टारगेट बताए जा चुके हैं।

महाराष्ट्र के अंडरवर्ल्ड से भी आईएसआई के गहरे सम्बन्ध रहे हैं और मुम्बई बमकांड में इसका सबूत भी मिल चुका है। अब आईएसआई गुजरात के अंडरवर्ल्ड के साथ अपनी लिंक जोड़ रही है, जिससे गुजरात की समुद्री सीमा से हथियारों तथा ड्र्ग्स को भारत पहुँचाया जा सके। इसका फायदा उठाकर आईएसआई जनसंहार के हथियारों को भी भारत में पहुँचा सकती है।

पंजाब में फिर से अशांति फैलाने के लिए आईएसआई ने प्रयास शुरू कर दिए हैं और पूर्वोत्तर के अलगाववादी संगठनों को भी भड़काना तथा कई प्रकार से मदद देना आईएसआई के सामान्य कार्य-कलापों में शुमार है।

दक्षिण भारत आईएसआई के गेम प्लान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहाँ मासूस युवकों को गुमराह कर 'जिहाद' के नाम पर भारत के खिलाफ भड़काया जा रहा है तथा इन्हें आतंकवादी संगठनों में भर्ती किया जा रहा है, जिनका इस्तेमाल सिर्फ 'ट्रांसपोर्टर' या 'ट्रिगर' के तौर पर किया जा सकेगा यानी इन स्थानीय लोगों के जरिये विस्फोटक निशाने तक ले जाया जाएगा और इन्हें निश्चित स्थान पर सामान पहुँचाते ही स्लीपर सेल के दूसरे सदस्य द्वारा कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा।

कुछ रिपोर्टों में आगाह किया गया है कि नेपाल में माओवादी सरकार के आने के बाद भारत-नेपाल सीमा के जरिये हथियारों, नकली मुद्रा की तस्करी जोर पकड़ सकती है। चीन के पिट्ठू माओवादी वैसे ही भारत में लाल गलियारा बनाने का ख्वाब सँजोए हैं। कई बार ऐसे संकेत भी मिले हैं क‍ि माओवाद‍ियों तथा आईएसआई के बीच सम्बन्ध हैं।

पाकिस्तान में चल रही राजनैतिक अनिश्चितता भी भारत के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकती है। अब तक मुशर्रफ के शासनकाल में भारत-पाक रिश्ते सबसे अधिक सुधरे माने गए थे, पर उनके सत्ता से जाते ही पाकिस्तान में कट्टरपंथी ताकतों खासतौर पर आईएसआई का वर्चस्व होते देर नहीं लगेगी, यह ताकतें सिर्फ भारत के खिलाफ जहर उगलने से ही सत्ता में बनी रह सकती हैं तथा कारगिल युद्ध की तरह स्थिति बनने पर अपना हित सिद्ध करने के लिए यह जनसंहार के हथियारों का इस्तेमाल करने या 'करवाने' से नहीं गुरेज करेंगी ।

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कबीलाई क्षेत्रों में अमेर‍िका के दबाव के चलते मुजाहिदीन और कई विदेशी आतंकवादियों ने धरती के स्वर्ग कश्मीर की तरफ रुख किया है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कई आतंकवादी शिविर तथा इनके लॉंचिंग पैड हैं। हाल ही में पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सुरक्षा चौकियों पर की गई भारी गोलाबारी इन आतंकियों को भारतीय सीमा में घुसाने के लिए कवर फायर था। इसकी परिणति जम्मू के चिनौर में हुए आतंकी हमले से भी साबित होती है।

बांग्लादेश तो वैसे ही आईएसआई की छाया में चल रहा है। भारत में हजारों बांग्लादेशी तकरीबन हर रोज अवैध तरीके से घुसपैठ करते हैं। नकली मुद्रा की तरह इनकी आड़ में कभी भी जनसंहार के हथियार तस्करी के माध्यम से भारत पहुँचाए जा सकते हैं।

एक बार ऐसे हथियारों के भारत आने के बाद बहुत संभव है कि आतंकवादी सामान्य यातायात के साधनों जैसे बस, ट्रक या हवाई जहाज द्वारा हमला करने में कामयाब हो जाएँ। आईएसआई के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए तथा हाल के आतंकी हमलों चाहे वो अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास पर आत्मघाती हमला हो, अहमदाबाद बम धमाके हों या जम्मू में हुआ हमला, भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को इस स्पष्ट खतरे का सामना करने के लिए प्रयास तेज करना होंगे।