आजादी की हलचल को कायम रखा
भारत छोड़ो आंदोलन में ब्रिटिश शासन के भारत विरोधी रवैये को देखते हुए समाजवादी मंडली के साथ अज्ञातवास में रहकर अरुणा आसफ अली ने राष्ट्र भ्रमण किया और आजादी की हलचल को कायम रखा।मुंबई में करो या मरो के आह्वान का प्रारंभ उन्होंने जोशो-खरोश के साथ राष्ट्रध्वज फहराकर किया था। 8 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पास होते ही 9 अगस्त को प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी शुरू हो गई थी।इसके पंद्रह दिन बाद भूमिगत समाजवादी नेताओं और उग्र कांग्रेसियों ने आंदोलन को संचालित करने के लिए एक केंद्रीय मशीनरी स्थापित की। इसकी स्थापना में अरुणा आसफ अली और सुचेता कृपलानी ने सक्रिय भूमिका निभाई और आंदोजन को खत्म करने की अँग्रेजी साजिश का डटकर मुकाबला किया।1946
तक अरुणा आसफ अली भूमिगत रहीं। इसी दौरान वे राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित हुईं। 1948 में वे समाजवादी वामपंथी मंडली से जुड़ीं, जो 1955 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का अंग बना। (नईदुनिया)