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संख्याओं से सजाइए एक सुनहरा करियर

संख्याओं से सजाइए एक सुनहरा करियर -
- अशोक जोशी

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आँकड़ों में गजब की ताकत होती है। ये आँकड़े ही लोकसभा और विधानसभा में तय करते हैं कि कुर्सी पर कौन बैठेगा। आँकड़ों से शेयर बाजार गिरता और उठता है तथा किसी देश की आर्थिक प्रगति से लेकर महँगाई का आकलन किया जाता है। उद्योगपतियों के लिए ये आँकड़े उनकी केशबुक में लिखे लाभ-हानि का प्रतीक होते हैं तो खिलाड़ियों के लिए यही आँकड़े उनके कीर्तिमान की किताब के पन्नों में नए अध्याय जोड़ते हैं।

आज जीवन के क्षेत्र में आँकड़ों का बोलबाला है। चाहे साक्षरता का प्रतिशत दर्शाना हो, चाहे परीक्षा परिणाम की सफलता या असफलता का पता लगाना हो, सारा गणित संख्याओं से शुरू होकर संख्याओं पर ही समाप्त होता है। किसी भी सूचना अथवा जानकारी को तैयार करने में सिर्फ और सिर्फ आँकड़े ही काम आते हैं।

अंतरिक्ष यात्रा से लेकर जमीन के नीचे किए जाने वाले परमाणु विस्फोट सभी में एक-एक संख्या और डेसिमल का अपना महत्व होता है। तो फिर करियर निर्माण के क्षेत्र में आँकड़ों का महत्व कैसे कमतर हो सकता है? जिन युवाओं को आँकड़ों से खेलने में आनंद आता हो वे सांख्यिकी अथवा स्टेटिस्टीक्स में एक शानदार भविष्य का जोड़-गुणा लगा सकते हैं।

उपयोग और उपयोगिता सांख्यिकी क
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सांख्यिकी में अनिवार्यतः गणितीय आँकड़ों को वैज्ञानिक तरीके से इकट्ठा कर उनका विश्लेषण किया जाता है तथा आँकड़ों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इस ज्ञान को सांख्यिकी विशेषज्ञ अथवा स्टेटिस्टीशियन द्वारा अर्थशास्त्र से लेकर चिकित्सा विज्ञान, मनोविज्ञान से लेकर मार्केटिंग, लोक स्वास्थ्य से लेकर जीव विज्ञान तथा खेल से लेकर फिल्मों तक डिजाइन करने, एकत्र करने तथा उनकी विभिन्न रूपों में व्याख्या करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।

वह आँकड़ों की व्याख्या करने के लिए अपनी गुणात्मक क्षमताओं और सांख्यिकीय ज्ञान तथा कई चुनौतीपूर्ण समस्याओं पर कार्य करने के लिए अपनी संप्रेषण कला का उपयोग करता है। ऐसे कई पेशे हैं, जो मुख्यतः आँकड़ों पर निर्भर होते हैं।

सांख्यिकी के विभिन्न क्षेत्
जिन क्षेत्रों में सांख्यिकी का अपरिहार्यतः उपयोग है, उनमें अपराध सांख्यिकी, जनगणना सांख्यिकी, चिकित्सकीय सांख्यिकी, रोजगार सांख्यिकी (बेरोजगारी के आँकड़े), साक्षरता, फिल्मों की बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट, टीवी सीरियल की टीआरपी, क्रिकेट का स्कोर, तेल का स्टॉक, बाजार की हलचल, सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं के आँकड़े, जन्म-मृत्यु दर, जनसंख्या सांख्यिकी, चुनावी आँकड़े, जिला-शहर-राज्य संबंधी आँकड़े, पर्यटन सांख्यिकी शामिल हैं।

इन सभी क्षेत्रों में कार्य करने के लिए विश्लेषणात्मक दिमाग और स्टेटिस्टीशियन की समग्र क्षमता का होना अनिवार्य है। क्योंकि स्टेटिस्टीशियन ही लोगों को बता सकते हैं कि इन आँकड़ों का क्या मतलब है और ये आम जनता के लिए कितने लाभकारी हो सकते हैं।

स्त्रोत : नईदुनिया अवसर
कार्य की प्रकृति
अपना कार्य करने के लिए स्टेटिस्टीशियनों द्वारा कई वैज्ञानिक तथा व्यावहारिक तरीकों का उपयोग किया जाता है। इसमें प्रश्नावली, सर्वेक्षण, जनमत संग्रह तथा जीवविज्ञान, अर्थशास्त्र, अभियांत्रिकी, चिकित्सा, भौतिकी, समाजशास्त्र तथा मनोविज्ञान जैसे कई क्षेत्रों से जुड़ी वास्तविक जीवन की समस्याओं की डाइग्नोस्टिक टेस्ट का प्रयोग किया जाता है। वे विश्वसनीय स्रोतों से डाटा इकट्ठा करते हैं।

वैज्ञानिक तरीकों से उनका विश्लेषण करते हैं। सांख्यिकी उपस्करों का उपयोग करते हैं तथा चार्टों, ग्राफों, सारिणियों आदि के माध्यम से अपने निष्कर्षों को प्रस्तुत करते हैं। उनके निष्कर्ष के आधार पर अपने सर्वेक्षण के संभावित अनुप्रयोगों को अपनाने की सलाह देते हैं तथा प्रस्तुत समस्या के लिए समाधान खोजने में मदद करते हैं। कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जहाँ सामाजिक, आर्थिक, चिकित्सकीय, राजनीतिक तथा पारिस्थितिकी समस्याओं के लिए गणितीय तथा सांख्यिकी ज्ञान का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है।

सांख्यिकी कार्य के अंतर्गत किसी उपभोक्ता विपणन संस्था, निगम अथवा परामर्श फर्म के लिए उत्पादों तथा सेवाओं के लिए उपभोक्ता माँग का विश्लेषण किया जाता है। इसमें उत्पादों के विकास तथा गुणवत्ता घटकों का कार्य भी शामिल है। आमतौर पर स्टेटिस्टीशियन ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल अथवा कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए परीक्षण जाँच तथा उत्पादन मूल्यांकन कार्य करते हैं। विकास के अलावा वे निर्माण, आकलन, मूल्यांकन, दायित्व तथा जोखिम प्रबंधन और फर्मों के विपणन विभाग से भी संबद्ध रहते हैं।

वे वित्तीय सेवा क्षेत्रों में परिसंपत्तियों तथा दायित्वों की व्यवस्था करने के साथ-साथ कतिपय निवेशों से जुड़े जोखिमों तथा लाभ की गणना का काम भी करते हैं। जिस तरह से इन दिनों शेयर मार्केट में रोजाना उतार-चढ़ाव आ रहा है तथा महँगाई का ग्राफ इधर-उधर हो रहा है उसे देखते हुए भी स्टेटिस्टीशियनों का काम बढ़ गया है।

पात्रत
वैसे तो अधिकांश सांख्यिकी कार्यों के लिए वांछित पात्रता के रूप में गणित अथवा सांख्यिकी मुख्य विषय के रूप में लेकर स्नातक उपाधि लेने से भी इस क्षेत्र में प्रवेश तो मिल जाता है, लेकिन यदि करियर को अच्छी दिशा देना हो तो इन विषयों में स्नातकोत्तर उपाधि ज्यादा उपयोगी होती है। और यदि मास्टर्स डिग्री के साथ पीएचडी कर ली जाए तो करियर को पंख लगने से कोई नहीं रोक सकता है।

इसके साथ अक्सर अर्थशास्त्र, नेचुरल साइंस, कम्प्यूटर साइंस, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन तथा कॉमर्स विषयों का कॉम्बिनेशन अच्छा माना गया है, क्योंकि इन क्षेत्रों में सांख्यिकी कार्य लगातार चलता ही रहता है। सांख्यिकी में बीएससी करने के लिए भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र तथा गणित विषयों में न्यूनतम 50 प्रश अंकों के साथ 10+2 होना आवश्यक है।

गणित विषय होने से सांख्यिकी की भाषा तथा सिद्धांत को समझने में आसानी होती है। वैज्ञानिक ज्ञान विषयवस्तु को समझने तथा समस्याओं की तकनीकी पृष्ठभूमि समझने में मददगार साबित होता है। कम्प्यूटर का ज्ञान न केवल गणना करने में सहयोग प्रदान करता है, बल्कि उसकी मदद से आँकड़ों को ग्राफ तथा चार्टों और सारिणी में दर्शाना आसान होता है।

स्त्रोत : नईदुनिया अवसर
सांख्यिकी में एमएससी करने के लिए सांख्यिकी विषय लेकर बीएससी अथवा बीए उत्तीर्ण होना आवश्यक है। 50 प्रश अंक लेकर कम्प्यूटर साइंस में बीएससी करने वाले भी इसमें प्रवेश ले सकते हैं। कुछ विश्वविद्यालयों में इसके लिए प्रवेश परीक्षा भी देनी होती है, जिसमें गणित के अलावा रिजोनिंग तथा एप्टिट्यूट टेस्ट ली जाती है। चूँकि सांख्यिकीय आँकड़ों का उपयोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होता है, इसलिए सांख्यिकी में करियर बनाने वालों का अँगरेजी पर अच्छा नियंत्रण होना चाहिए।

अनगिनत अवस
सांख्यिकी में करियर बनाने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि आप अपनी अभिरुचि को विज्ञान, प्रौद्योगिकी अथवा व्यापार के सभी क्षेत्रों से जोड़ सकते हैं। इनमें कृषि, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, अभियांत्रिकी, मार्केटिंग, इंश्योरेंस, मेडिसिन, जनस्वास्थ्य कानून, स्टॉक मार्केट तथा अनुसंधान सभी कुछ शामिल है। इतना ही नहीं चूँकि इन सभी क्षेत्रों में आँकड़ों की उपयोगिता लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे इस क्षेत्र में करियर निर्माण के अवसर भी अनगिनत होते जा रहे हैं।

निजी क्षेत्रों को प्रबंधन, उत्पादन, गुणवत्ता, औषधि, फार्मास्यूटिकल रिसर्च, चिकित्सीय उपकरण अनुसंधान, अभियांत्रिकी, परिवहन, बीमा, कम्प्यूटर तथा डाटा प्रोसेसिंग सेवाओं, जोखिम आकलन तथा मार्केटिंग कार्य के लिए स्टेटिस्टीशियनों की आवश्यकता होती है। इसके अलावा कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों में भी शिक्षण, सांख्यिकी अनुसंधान तथा परामर्श के लिए इनकी आवश्यकता होती है।

सरकारी अभिकरणों में कृषि, श्रम, शिक्षा तथा जनगणना से जुड़ी योजना तथा विकास सेवाओं के लिए आँकड़ों के संकलन, विश्लेषण तथा व्याख्या के लिए स्टेटिस्टीशियनों को नियुक्त किया जाता है। भारत सरकार के अधीन सरकारी सांख्यिकी प्रणाली का सर्वोच्च निकाय योजना मंत्रालय के नियंत्रण में कार्यरत सांख्यिकी विभाग है, जो केंद्रीय सांख्यिकी संगठन तथा भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के साथ समन्वय स्थापित कर विभिन्न क्षेत्रों तथा योजनाओं संबंधी आँकड़ों का संकलन तथा प्रकाशन करता है।

भारत सरकार की सांख्यिकी सेवा में करियर बनाने के लिए संघ लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय प्रतिस्पर्धी परीक्षा में सम्मिलित होना पड़ता है, जिसके लिए किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय अथवा संस्थान से सांख्यिकी अथवा गणितीय सांख्यिकी अथवा एप्लाइड स्टेटिक्स में मास्टर्स डिग्री का होना आवश्यक है।

अन्य सरकारी विभाग जहाँ सांख्यिकी में करियर बनाया जा सकता है उनमें योजना आयोग, द नेशनल कौंसिल ऑव एप्लाइड इकानॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर), इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड मेनपॉवर रिसर्च (आईएएमआर), इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर), स्टेटिस्टीकल एंड इकॉनामिक ब्यूरो, सामाजिक-आर्थिक अनुसंधान से जुड़े संस्थान, बैंकों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के सरकारी उपक्रम शामिल हैं।

इतना ही नहीं सांख्यिकी विषय वाले भारतीय सांख्यिकी सेवा, भारतीय आर्थिक सेवाओं के साथ-साथ सिविल सेवाओं की परीक्षा में शामिल होकर अपने करियर को आसमान की बुलंदी प्रदान कर सकते हैं।

इसलिए यदि आप जोड़-गुणा करने में माहिर हैं तथा आपको आँकड़ों से खेलने में दिलचस्पी है तो आप सांख्यिकी विषय अपना कर अपनी प्रतिभा के बल पर करियर निर्माण में कितनों को पीछे छोड़ सकते हैं इसकी गणना के लिए भी आपको एक बार फिर अपने स्टेटिस्टीक्स पर निगाह मारनी पड़ेगी।

स्त्रोत : नईदुनिया अवसर