गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By समय ताम्रकर

अज्ञात : दर्शकों के साथ धोखा

Agyaat : Film Review | अज्ञात : दर्शकों के साथ धोखा
IFM
बैनर : यूटीवी मोशन पिक्चर्स
निर्माता : रामगोपाल वर्मा, रॉनी स्क्रूवाला
निर्देशक : रामगोपाल वर्मा
संगीत : इमरान, बपी, टुटुल
कलाकार : नितिन रेड्डी, प्रियंका कोठारी, गौतम रोडे, इशरत अली
* यू/ए * 12 रील
रेटिंग : 0/5

मान लीजिए आप आइसक्रीम खाने जाते हैं। आपसे पहले पैसे लेकर खाली कोन पकड़ा दिया जाता है। आइसक्रीम के बारे में आप पूछते हैं तो जवाब मिलता है कि इसके लिए आपको अगले सीजन में आना पड़ेगा। यह सुनकर आप जैसा महसूस करेंगे कुछ वैसी ही ठगे जाने की भावना ‘अज्ञात’ देखने के बाद भी महसूस होती है।

आधी-अधूरी फिल्म को प्रदर्शित कर दिया गया और कहा गया कि रहस्य ‘अज्ञात 2’ में खोला जाएगा। इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि इस फिल्म का दूसरा भाग बनेगा या नहीं। अगर आधी फिल्म ही बनाई गई है तो यह बात दर्शकों को पहले बताई जानी चाहिए कि फिल्म को दो हिस्सों में बनाया जाएगा और ‘अज्ञात’ दूसरे भाग में ज्ञात होगा। एक तरह से ये सरासर धोखाधड़ी है।

कहानी है एक जंगल की, जिसमें फिल्म की यूनिट शूटिंग कर रही है। कैमरे में खराबी आ जाती है। नए कैमरे को पहुँचने में दो-तीन दिन का समय लगेगा। समय बिताने के लिए यूनिट के लोग घने जंगल में जाते हैं। सिर्फ सेतु ही जंगल का रास्ता जानता है। एक अजीब-सी आवाज सब सुनते हैं। सेतु यह जानने जाता है कि यह किसकी आवाज है, लेकिन वह मारा जाता है।

IFM
घबराए हुए सभी लोग जंगल में फँस जाते हैं और निकलने की कोशिश करते हैं। दो-तीन और लोग रहस्यमय परिस्थितियों में मारे जाते हैं। कुछ घबराकर आत्महत्या कर लेते हैं ताकि सिर्फ नायक और नायिका ही बचें।

अंत में चमत्कारिक तरीके से वे जंगल से बाहर निकलते हैं। सभी जानने के लिए बेचैन रहते हैं कि वो ‘अज्ञात’ कौन है, लेकिन तभी स्क्रीन पर लिखा आता है कि इसके बारे में आपको ‘अज्ञात 2’ में बताया जाएगा।

शायद निर्देशक रामगोपाल वर्मा और उनके लेखकों ने सोचा होगा कि फिल्म की शूटिंग शुरू करो, थोड़े समय बाद वे अंत लिख लेंगे। लेकिन वे क्लाइमैक्स सोच नहीं पाए और उन्होंने अधूरी फिल्म को ही प्रदर्शित कर दिया। माना कि वे सीक्वल बनाना चाहते हैं, लेकिन कम से कम उस अज्ञात शक्ति के बारे में तो बताना उनका फर्ज है। प्रयोग के नाम पर कुछ भी कर लेने की छूट नहीं होती है।

कहने को तो फिल्म थ्रिलर है, लेकिन थ्रिल इसमें से नदारद है। सैकड़ों बार इस तरह की परिस्थितियाँ फिल्म या टीवी में दोहराई जा चुकी हैं। थ्रिलर फिल्म में निर्देशक की कल्पनाशीलता का बहुत महत्व होता है, लेकिन रामू इसमें मार खा गए। एक-दो दृश्यों को छोड़ वे कहीं भी प्रभावी नहीं दिखे। उनके पास कहने को ज्यादा कुछ नहीं था, इसलिए कैमरे की आँख से वे जंगल और प्रियंका कोठारी की देह दिखाते रहे।

प्रियंका कोठारी को छोड़ ज्यादातर उन कलाकारों को लिया गया है, जिनसे हिंदी फिल्म देखने वाले परिचित नहीं हैं। तेलुगू फिल्म के स्टार नितिन रेड्डी ने हिंदी फिल्मों में अपनी शुरुआत की है और उनका अभिनय प्रभावी है।

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प्रियंका कोठारी और अभिनय में छत्तीस का आँकड़ा है। गौतम रोडे और इशरत अली थोड़े लाउड हो गए हैं। रवि काले और अन्य कलाकारों ने अपना काम ठीक से किया है। सुरजोदीप घोष ने जंगल को खूब फिल्माया है। अमर-मोहिले का बैकग्राउंड म्यूजिक उम्दा है। गीत-संगीत के नाम पर कुछ घटिया गाने फिल्म में जबरन ठूँसे गए हैं।

रामगोपाल वर्मा कुछ फिल्में पूरी लगन से बनाते हैं और कुछ को बनाते समय उनके अंदर बैठा निर्देशक मक्कार हो जाता है। ‘अज्ञात’ में तो उन्होंने पैसा लेकर दर्शकों को मूर्ख बनाया है। अब उन्हें क्या कहा जाए, ये आप बताइए।