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Written By India FM

कैमरे के सामने आप सिर्फ अभिनेता होते हैं : अभिषेक

कैमरे के सामने आप सिर्फ अभिनेता होते हैं : अभिषेक -
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अभिषेक बच्चन इस वर्ष ‘गुरू’ नामक हिट फिल्म दे चुके हैं। लेकिन फिल्मों से ज्यादा वे चर्चित रहे हैं अपनी और ऐश्वर्या की शादी को लेकर। अभिषेक की फिल्म ‘झूम बराबर झूम’ प्रदर्शित होने जा रही है। यशराज फिल्म्स की इस फिल्म को लेकर दर्शकों में भारी उत्साह है। पेश है अभिषेक से बातचीत :
‘झूम बराबर झूम’ में आपका पसंदीदा गाना कौन सा है?
वैसे तो पूरा अलबम सुनने लायक है और कोई एक गीत चुनना बेहद मुश्किल है। फिर भी मुझे प्रिती और मुझ पर फिल्माया गया गीत ‘बोलना हल्के-हल्के’ बहुत पसंद है।

आपको इस फिल्म में ऐसा क्या दिखाई दिया जो आपने इसे करने का फैसला किया?
इस फिल्म की कहानी मुझे ‘बंटी और बबली’ की शूटिंग के दरमियान सुनाई गई थी। जब इसका नाम ‘संगम में’ था। जब यह दिल्ली स्टेशन से किंग्स क्रॉस स्टेशन तक की कहानी थी। धीरे-धीरे इसकी कहानी में निखार और स्टाइल आता गया। मुझे इस बात की खुशी है कि मैं इस फिल्म की कहानी से जबसे जुड़ा हुआ हूँ जब यह विचार थीं। मुझे इसकी स्क्रिप्ट और मेरा चरित्र शुरू से ही पसंद था। एक विचार को फिल्म में परिवर्तित होते देखना बहुत आनंददायक होता है।

एक अभिनेता के रूप में ‘बंटी और बबली’ से लेकर ‘झूम बराबर झूम’ तक आप कितने परिपक्व हुए हैं?
मेरे हिसाब से बात है आत्मविश्वास की। जब मैं ‘बंटी और बबली’ में काम शुरू करने वाला था तब मुझे ऐसा लगता था कि मैं कर पाऊँगा या नहीं। क्या मैं उस स्तर तक पहुँच पाऊँगा जितनी कि मुझसे अपेक्षा की गई है। मैंने उस स्तर तक पहुँचने के लिए कठोर परिश्रम किया। ‘बंटी और बबली’ देखने के बाद मुझे शाद पर बहुत विश्वास हो गया। उसने मुझ पर बतौर अभिनेता हमेशा विश्वास किया और मेरे अंदर छुपे अभिनेता को बाहर निकाला। ‘झूम बराबर झूम’ के समय मुझे अपने आप पर बेहद विश्वास था।

शाद और अभिषेक की जुगलबंदी के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
शाद के साथ मैं बहुत आरामदायक महसूस करता हूँ। उसके सामने मैं पूरी तरह खुला हुआ हूँ। वह बहुत ही खुले दिमाग वाला व्यक्ति है और ऐसे लोग कलाकार को अच्छे लगते हैं। वह अपने कलाकारों को बेहद चाहता है और उनकी बच्चों जैसी देखभाल करता है। जब मैं और रानी ‘बंटी और बबली’ कर रहे थे तब हमारे साथ सेट पर बच्चों जैसा व्यवहार किया जाता था।

जब आप अपने घर के सदस्य के साथ काम करते हैं, तो कैसा लगता है?
आप जब कैमरे के सम्मुख होते हैं तो आप सिर्फ एक अभिनेता होते हैं। आपको सारे रिश्ते-नाते भूलाने होते हैं। यदि आप अपने रिश्तों के बारे में सोचने लगे तो अभिनय पर ध्यान नहीं दे पाएँगे। उदाहरण के लिए यदि कैमरे के सामने आप मि अमिताभ बच्चन के साथ खड़े हैं और सोचने लगे हे भगवान ये तो मेरे पापा है तो आप गए काम से। हमें व्यावसायिक दृष्टिकोण अपनाना पड़ता है और ये थोड़ा मुश्किल है।

आप बॉबी देओल के साथ पहली बार काम कर रहे हैं। कैसा रहा अनुभव?
मैं हमेशा से ही बॉबी के साथ काम करना चाहता था। मैं उसे जब से जानता हूँ जब मैं बच्चा था। आखिर हमें साथ में काम करने का मौका मिल ही गया। मैं इसलिए भी बहुत खुश हूँ कि साथ में काम करने के लिए ये एकदम सही फिल्म है और अच्छा हुआ कि हमें पहले मौका नहीं मिला। बॉबी बहुत ही प्यारा इंसान है। वह मदद के लिए हमेशा तैयार रहता है। मैंने जैसा उसके बारे में सोचा था वैसा ही या उससे भी बढ़कर उसे पाया। मैं अपने आपको बहुत खु‍शकिस्मत मानता हूँ कि मैं भी उस फिल्म का हिस्सा हूँ जिसमें बॉबी है।

और लारा का साथ कैसा लगा?
’मुंबई से आया मेरा दोस्त’ के बाद लारा के साथ ये मेरी दूसरी फिल्म है। वह मेरी बहन जैसी है। लारा ने बतौर अभिनेत्री बहुत तरक्की की है। ‘झूम बराबर झूम’ उसके कैरियर को एक नई दिशा देंगी। उसका रोल बहुत मुश्किल था और उसने हमें निराश नहीं किया। उसने बहुत अच्छा काम किया है। कई बार उसके प्रदर्शन से खुश होकर यूनिट के सभी सदस्यों ने ताली बजाई हैं।

आप एकल नायक वाली फिल्म करना चाहते हैं या बहुसितारा वाली फिल्म?
मुझे तो सितारों की भीड़ वाली फिल्में पसंद है। अकेले कैमरे के सामने खड़े होकर संवाद बोलना बहुत ही बोरिंग काम है। सब मिलकर परिवार जैसे काम करते हैं तो उसका मजा ही कुछ और होता है।