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Written By WD

50 की उम्र में भी खूबसूरत डिम्पल

50 की उम्र में भी खूबसूरत डिम्पल -
- सुनीमिश्र
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बॉबी गर्ल डिम्पल कपाडि़या 8 जून को अपनी उम्र के 50 वर्ष पूरे कर रही हैं। किसी भी इंसान या कलाकार का पचास साल का होना, यों देखा जाए तो कोई बहुत बड़ी घटना नहीं है मगर फिर भी अपने चहेते कलाकार की यात्रा, संघर्ष और उसकी जगह ही उसके मुरीदों के दिलों में अपनी एक जगह बनाती है। ऐसे में उसका पड़ाव तय करना उसके चाहने वालों को खुशी देता है और आनंद भी प्रदान करता है। डिम्पल का पचाल साल का होना भी इसी तरह का है।

यह कितना दिलचस्प है कि सोलह साल की उम्र में फिल्मों में अभिनय की शुरूआत करने वाली डिम्पल इस उम्र में चौंतीस साल फिल्मों में काम करने का अनुभव लिए हुए हैं। ग्लैमर गर्ल से अपने कैरियर की शुरूआत करने वाली डिम्पल आगे चलकर जिस तरह परिपक्व और प्रभावशाली अभिनेत्री के रूप में प्रख्यात हुईं वह कम महत्वपूर्ण नहीं है। आज जब वे पचास साल की हैं तो भी उनकी खूबसूरती, उनका आकर्षण जस का तस है। उनमें आज भी मोहित कर लेने की वही क्षमता है जिसकी कल्पना हमने ‘बॉबी’ में उन्हें देखकर सबसे पहले की थी।

1973 में जब राजकपूर की फिल्म ‘बॉबी’ देश भर में प्रदर्शित हुई थी तो जैसे तहलका मच गया था। ‘बॉबी’ फिल्म बेहद सफल हुई थी। कहानी, गाने और कलाकारों का अभिनय सब कुछ आश्चर्य से भर देने वाला था। फिल्म की नायिका के रूप में डिम्पल कपाडि़या तो जैसे उस दौर की जवां पीढ़ी के सपनों की नायिका बन गई थीं।

डिम्पल आगे चलकर और न जाने कितनी फिल्मों में काम करतीं मगर डिम्पल ने तब के सुपर सितारे राजेश खन्ना से शादी करके लाखों चाहने वालों का दिल तोड़ दिया। शादी करके डिम्पल फिल्मों से दूर हो गयीं और उनके चाहे वाले अपना मन मसोसकर रह गये। डिम्पल बारह साल फिल्मों से दूर रहीं मगर दर्शकों के दिलों से वे दूर नहीं हो पाईं। वैवाहिक जीवन उनके सपनों को साकार न कर सका जो उन्होंने अपना कैरियर दाँव पर लगाकर देखे थे।

बीच-बीच में उनके अक्सर फिल्मों में आने की खबरें आती थीं मगर पहली ही फिल्म से ऐतिहासिक सफलता का वरण करने वाली डिम्पल को कुछ साल तक दोबारा शुरूआत के लिए ऐसी फिल्म न मिली जिसके जरिए वो उसी दमखम के साथ पुनर्वापसी कर पातीं। 1984 में उन्हें ‘जख्मी शेर’ और ‘मंजिल मंजिल’ दो फिल्में मिलीं मगर उनका वैसा स्वागत नहीं हुआ। रमेश सिप्पी ने जब 1985 में ‘सागर’ बनायी तो उन्होंने डिम्पल को उस उन्मुक्त अंदाज में पेश किया जिससे दर्शक एक बार फिर बॉबी की डिम्पल को तरोताजगी के साथ देख सकें। ।

डिम्पल के लिए टूटी वैवाहिक जिन्दगी के हतोत्साह को अपनी सफलता के माध्यम से उत्साह में बदल देने की अथाह बेचैनी थी। डिम्पल ने दोबारा फिल्में मिलने के बाद अपने कैरियर को पहले अपने ग्लैमर से सुरक्षित किया फिर उसके बाद अच्छे निर्देशकों की सशक्त फिल्में करके अपने आपको प्रूव भी किया। उन्होंने अपने कैरियर और जिन्दगी दोनों की परिधि से अवसाद को बाहर कर दिया और नया जीवन शुरू किया।

डिम्पल की अभिनय क्षमता को आँक कर कई प्रतिष्ठित निर्देशकों ने उन्हें अपनी फिल्मों में काम दिया। ऐसे निर्देशकों में रमेश सिप्पी, महेश भट्ट, नाना पाटेकर, गुलजार, राहुल रवैल, सुभाष घई, गोविन्द निहलानी, एन चन्द्रा, जेपी दत्ता शामिल हैं। डिम्पल को लम्बे कैरियर में अनेक मान-सम्मान भी प्राप्त हुए हैं। ‘रुदाली’ के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला है।

अपनी पुनर्वापसी के प्रारम्भ में जो डिम्पल एक बार फिर निर्देशकों और दृश्यों की मांग पर बॉबी की ही तरह अपने सेक्सी लुक को अपने संघर्ष में औजार की तरह प्रयोग में ला रही थी, उन्हीं डिम्पल की पर्सनैलिटी ने आगे चलकर जिस तरह की गरिमा हासिल की वो अनूठी है।

अपनी पर्सनैलिटी में डिम्पल आज भी एक खूबसूरत, प्रभावशाली और आकर्षक नजर आती हैं। उनकी आँखों को पढ़ो तो गहराई में जाने का अनुभव होता है। उनका देखना, संवाद कहना और जज्बाती होना अनुभूतियों में गहरे विचलन को आवेग देता है। डिम्पल एक ऐसी अभिनेत्री हैं जिनको देखकर पिछले दौर की नायिकाओं की गरिमा का स्मरण हो जाता है। एक दशक से भी ज्यादा लम्बे अन्तराल के बाद बदली फिल्मी दुनिया में आत्मविश्वास के साथ आना और स्थापित होना कम आसान बात नहीं है। डिम्पल कपाडि़या ने अपने आत्मविश्वास से सफलता अर्जित की। यह उम्र उनकी खूबसूरती के प्रति और मोहित करती है और यह खूबसूरती सफलता की है, प्रतिभा की है और आत्मविश्वास की जिसमें बराबर का स्वाभिमान भी शामिल है।

प्रमुख फिल्में : बॉबी, सागर, ऐतबार, जख्मी औरत, जाँबाज, दृष्टि, लेकिन, प्रहार, रूदाली, क्रान्तिवीर, दिल चाहता है, बीईंग सायरस, लीला