शुक्रवार, 29 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. »
  3. बीबीसी हिंदी
  4. »
  5. बीबीसी समाचार
  6. ''सरकार के गठन से पहले वामदलों से चर्चा करेंगे''
Written By BBC Hindi

'सरकार के गठन से पहले वामदलों से चर्चा करेंगे'

We will discuss to left later eletion-mulayam | ''सरकार के गठन से पहले वामदलों से चर्चा करेंगे''
पंद्रहवीं लोकसभा के लिए हो रहे चुनावों के बाद एक बार फिर सत्ता की चाबी क्षेत्रीय दलों के हाथों में होगी। हर क्षेत्रीय दल महत्वपूर्ण है और ज्यादातर बड़े क्षेत्रीय दल में प्रधानमंत्री पद का एक न एक दावेदार है।

BBC
समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायमसिंह यादव एक ऐसे ही एक नेता हैं, जिनसे हमने विशेष बातचीत की।

इस बातचीत में वे न केवल पूर्व मुख्यमंत्री कल्याणसिंह के साथ उनकी हाल की निकटता का बचाव करते नजर आए, बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि अमरसिंह से अन्य नेता जलते हैं और जो लोग उन पर आरोप लगाते हैं, वे स्वार्थी हैं। उन्होंने करीबी सहयोगी आजम खान को भी दबी जुबान में चेतावनी दे डाली। पेश हैं इस विशेष बातचीत के मुख्य अंश-

क्या साइकिल इस बार केंद्र में सत्ता तक पहुँच रही है?
समाजवादी पार्टी चाहती है कि अगली सरकार समाजवादी पार्टी के समर्थन वाला गठबंधन ही बनाए। पिछली बार हमने देश हित में कांग्रेस सरकार को बचाया और सरकार में शामिल नहीं हुए। प्रधानमंत्री और सोनिया गाँधी ने हमसे सरकार में शामिल होने का आग्रह किया था, पर हम बाहर ही रहे नहीं तो लोग कहते कि हमने सत्ता के लालच में उनकी सरकार बचाई।

हम मानते थे कि परमाणु करार देश के हित में है, पर इस बार हम चुनाव के बाद ये तय करेंगे कि हमें क्या करना है।

  राजनीति में संवाद बंद नहीं होना चाहिए। चुनाव बाद हम वाम दलों के नेताओं से बात करेंगे और कोई भी निर्णय समाजवादी पार्टी, लालूप्रसाद यादव और राम विलास पासवान वाम दलों के साथ मिलकर ही लेंगे।       
स बात की कितनी संभावना है की मनमोहनसिंह प्रधानमंत्री ना हों?
मैं अभी कुछ नहीं कह सकता। चुनाव के बाद किस पार्टी की कितनी सीटें आती हैं, ये उस आधार पर तय होगा।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी कहा है कि वे अगली बार तीसरे मोर्चे को बल देने के लिए सरकार में शामिल हो सकते हैं। आपका वाम दलों के साथ पुराना रिश्ता है, क्या आप उन्हें समर्थन दे सकते हैं?
जहाँ तक वाम दलों का संबंध है, हमारे रिश्ते हमेशा अच्छे रहे और हमने कई निर्णय साथ भी किए। वे परमाणु करार के समय हमसे नाराज हो गए थे।

अमरसिंह ने प्रकाश करात से मिलने का समय माँगा था, पर उन्होंने मिलने से इनकार कर दिया। राजनीति में संवाद बंद नहीं होना चाहिए। चुनाव बाद हम वाम दलों के नेताओं से बात करेंगे और कोई भी निर्णय समाजवादी पार्टी, लालूप्रसाद यादव और राम विलास पासवान वाम दलों के साथ मिलकर ही लेंगे।

एक समय आपको मौलाना मुलायम और कल्याणसिंह को हिन्दू ह्रदय सम्राट कहा जाता था। आप दोनों में तो बेर और केर का संबंध था। आज कल्याणसिंह आपको प्रधानमंत्री बनाने के लिए पूरी ताकत से साइकिल पर पैडल मार रहे हैं?
यह विचारधारा का प्रश्न है। कल्याणसिंह भले ही मुख्यमंत्री थे, लेकिन जो भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस का निर्णय था, वे उसे नहीं टाल सकते थे। कल्याणसिंह पार्टी के अनुशासन से बंधे थे।

...लेकिन अब उन्होंने अब साफ कह दिया है कि उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ बिना शर्त दोस्ती की है। इसी कारण से कल्याणसिंह पाँव में असहनीय पीड़ा होने के बावजूद समाजवादी पार्टी के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं।

  समाजवादी विचारधारा किसी की बपौती नहीं है। ऐसा नहीं कि केवल वही समाजवादी हो सकता है, जो लोहिया से मिला हो, उन्हें देखा हो। अमरसिंह हैं समाजवादी विचारधारा के। जया बच्चन ने माना हैं समाजवादी विचारधारा को।      
...पर इस दोस्ती के चलते मुसलमान नेता पार्टी छोड़ गए और आजम खान भी बहुत नाराज हैं?
कौन छोड़ गया बताइए?

शाफीकुर्र रहमान बर्क, सलीम शेरवानी
उन्हें तो हमने पार्टी से निकाला है। सलीम शेरवानी इलाहाबाद में घूम रहे थे। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वे मंत्री बनेंगे। हमने उन्हें राज्यमंत्री बनवाया। बर्क को जहाँ से लड़ा रहे थे, वहाँ से वे लड़ना नहीं चाहते थे।

...और आजम खान?
आजम खान पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से हैं। आज भी वे महामंत्री हैं। ठीक है उनकी मर्जी के हिसाब से टिकट नहीं मिला, पर उन्हें यह समझना चाहिए कि जयप्रदा पार्टी भी अधिकृत उम्मीदवार हैं। खान को उनके लिए और पार्टी के अन्य प्रत्याशियों के लिए काम करना चाहिए। अब भी उनके पास समय है।

अगर आजम खान नहीं माने तो क्या उन्हें पार्टी के बाहर जाना होगा?
यह समाजवादी परिवार के भीतर की बात है। इस बात का निर्णय चुनाव बाद करेंगे। मुझे उम्मीद हैं वे मान जाएँगे। उन्हें पार्टी के निर्णय के अनुसार काम करना चाहिए।

आजम खान अमरसिंह को बहुत कोसते हैं। आपके पुराने साथी बेनीप्रसाद वर्मा हों या राज बब्बर या आजम, सभी अमरसिंह से नाराज हैं?
ये लोग स्वार्थी हैं। अमरसिंह का नाम इसलिए लेते हैं, क्योंकि अमरसिंह मेहनत करते हैं। अमरसिंह से जलते हैं। मीडिया में भी कुछ लोग अमरसिंह से जलते हैं। जलन का तो मेरे पास कोई इलाज नहीं है।

  कल्याणसिंह भले ही मुख्यमंत्री थे, लेकिन जो भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस का निर्णय था, वे उसे नहीं टाल सकते थे। कल्याणसिंह पार्टी के अनुशासन से बंधे थे।      
जितनी सभाएँ मैं करता हूँ, उतनी ही वे भी करते हैं। पार्टी में जो मेहनत करेगा, वह आगे बढ़ेगा। आज मीडिया में उनका नाम है। हर दल में लोग उन्हें पूछते हैं। पार्टी के कार्यकर्ता उन्हें मानने लगे हैं।

क्या उत्तरप्रदेश में बिना दबंगों के राजनीति नहीं चल सकती। जो दबंग पहले आपके साथ थे, वे अब हाथी पर सवार हैं?
मुझे आर्श्चय है कि यह बात आप कैसे कह रहे हैं। मेरी पार्टी में तो कोई गलत छवि का आदमी रहा ही नहीं।

मुख्तार अंसारी, अफजल अंसारी?
ये मेरी पार्टी के सदस्य कब थे। इन्होंने टिकट माँगा पहले दे दिया, बाद में पता चला कि इनकी छवि खराब है जनता में, तो टिकट काट दिया। समाजवादी पार्टी में कभी कोई अपराधी नहीं रहा और रहा है तो उसे निकाल बाहर किया है।

आज अपराधियों की भर्ती हो रही है पीएसयू में आप बोलेंगे नहीं? कितने कुख्यात अपराधी हैं सरकार में इनका नाम लेने की आपकी हिम्मत नहीं है क्या?

एक और बात आपके विरोधी कहते हैं कि मुलायमसिंह गाँव, गरीब किसान की बात करते हैं, लेकिन जब से अमरसिंह इनके साथ आए हैं, इनके चारों तरफ जया बच्चन, जया प्रदा, संजय दत्त, नफीसा अली और किशनकुमार जैसे अभिनेताओं की भीड़ बढ़ रही है, करोड़पतियों का जमावड़ा है
समाजवादी विचारधारा किसी की बपौती नहीं है। ऐसा नहीं कि केवल वही समाजवादी हो सकता है, जो लोहिया से मिला हो, उन्हें देखा हो। संजय दत्त की है समाजवादी विचारधारा, अमरसिंह हैं समाजवादी विचारधारा के। जया बच्चन ने माना हैं समाजवादी विचारधारा को।

अमरसिंह पहले कैसे कपडे़ पहनते थे, अब कैसे कपडे़ पहनते हैं। गरीबों के बीच में जाके कितना काम करते हैं। आपका धन्यवाद ऐसे प्रश्नों के लिए, जिनसे कई संदेहों का समाधान हुआ।