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Written By BBC Hindi

मोटों को एंटीबॉयटिक की अधिक डोज

मोटों को एंटीबॉयटिक की अधिक डोज -
BBC
डॉक्टरों की एक शोध टीम का कहना है कि मोटे व्यक्तियों को एंटीबॉयटिक की डोज समान्य से अधिक दी जानी चाहिए।

शोध टीम का कहना है कि सभी मरीजों को एक सामान्य एंटीबॉयटिक की डोज देने का दृष्टिकोण अब प्रभावी नहीं रह गया है और मोटे मरीजों को अधिक डोज देने की जरूरत है। ये शोधकार्य एक प्रतिष्ठित जनरल 'द लेंसेट' में छपा है।

अमेरिका और ग्रीस के शोधकर्ता डॉक्टरों का कहना है कि ब्रिटेन में जनरल प्रैक्टिशनरों की पेशेवर संस्था रॉयल कॉलेज ऑफ जनरल प्रैक्टिशनर को इस बाबत दिशा-निर्दश देने के लिए और काम करने की जरूरत है, ताकि यह तय किया जा सके कि कैसे और कितना डोज बढ़ा जाए।

जीपीएस का कहना है कि ये एक दिलचस्प सिद्धांत है, लेकिन इसका अंत महँगा होता जा रहा है।

बढ़ता मोटापा : इंग्लैंड में लगभग प्रत्येक चार में से एक व्यक्ति मोटापे से पीड़ित है और ये दर वर्ष 1993 की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है।

डॉक्टरों का कहना है तथ्यों के अनुसार लोगों की काया बढ़ती जा रही है इसलिए सभी नौजवानों को एक ही साइज की एंटीबॉयटिक की गोली देना अब प्रभावी नहीं रहा है।

उनका कहना है कि व्यक्ति का आकार और यहाँ तक की चर्बी के अनुपात से भी एंटीबॉयटिक के कंसेंट्रेशन का फर्क पड़ता है।

डॉक्टरों का कहना है कि कम डोज से एंटीबॉयटिक के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी पैदा होती है जबकि उसके उलट औसत से कम काया वाले मरीजों को अधिक डोज देने से उसका बुरा प्रभाव भी होता है।

डॉक्टरों का कहना है कि डोज की मात्र को ठीक किया जा सकता है यदि यह शोध मोटे मरीजों पर किया जाए।

प्रोफेसर स्टीव फील्ड का कहना है कि वो उपयुक्त एंटीबॉयटिक देने के कदम को प्रोत्साहित करेंगे। उनका कहना है कि मरीज लंबे और बड़ी काया के होते जा रहे हैं। इसलिए मरीजों को उपयुक्त दवा दी जाए।

फील्ड के अनुसार एंटीबॉयटिक की विभिन्न डोज तैयार करने से दवा कंपनियों का खर्च बढ़ सकता है। इस समय अधिकतर दवाइयाँ की दो तरह की डोज़ बाजार में उपलब्ध हैं।