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Written By BBC Hindi
Last Modified: गुरुवार, 4 जुलाई 2013 (11:38 IST)

महिलाएं कर रही हैं किशोरों का यौन शोषण

- ब्रजेश उपाध्याय (वॉशिंगटन)

महिलाएं कर रही हैं किशोरों का यौन शोषण -
अमेरिकी गृह मंत्रालय का कहना है कि देश के नाबालिग सुधार गृहों में अभी भी यौन शोषण की घटनाएं जारी हैं और इस अपराध में वहां काम कर रही महिलाएं भी शामिल हैं।
BBC

नब्बे प्रतिशत मामलों में पाया गया है कि महिला कर्मचारियों ने अपनी निगरानी में रह रहे किशोरों को निशाना बनाया और उनके साथ सेक्स संबंध बनाए। मंत्रालय की ओर से जारी इस रिपोर्ट ने इस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों के बीच एक बहस छेड़ दी है।

कैलिफोर्निया स्थित गैर-सरकारी संस्था जस्ट डिटेंशन इंटरनेशनल की प्रमुख लोविसा स्टैनोव ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि नाबालिग न्याय तंत्र का ये पहलू अनदेखा-अनसुना रहा है और सुधार गृहों में काम कर रहे अधिकारी भी इसे बहुत अहमियत नहीं देते।

उनका कहना था, 'बहुत लोग ये दलील भी देते हैं कि ये नाबालिग किशोर ही महिला कर्मचारियों को बहका देते हैं और गलती इन किशोरों की ही है। ये सही नहीं है।'

स्टैनोव का कहना है कि इन किशोरों को ये समझाने की जरूरत है कि इस तरह का सेक्स एक अपराध है और आगे चलकर उन पर इसका बेहद बुरा असर पड़ेगा क्योंकि इस तरह के संबंधों को आपसी सहमति से हुए सेक्स का दर्जा नहीं दिया जा सकता और ये समझाना सुधार गृह के कर्मचारियों की जिम्मेदारी है।

'90 फीसदी महिलाएं शोषण में शामिल' : गृह मंत्रालय को इस तरह के शोषण की जानकारी सबसे पहले 2010 में मिली जब उन्होंने नाबालिग सुधार गृहों में रह रहे 9000 किशोरों का सर्वे किया।

इनमें से 10 प्रतिशत से भी ज्यादा ने कहा कि वहां के कर्मचारियों ने उनका यौन शोषण किया है और इनमें से 92 प्रतिशत महिला कर्मचारी थी।

ताजा रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन सालों में स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। देश के 326 सुधार गृहों में हुए सर्वेक्षण के अनुसार अभी भी 90 प्रतिशत मामले ऐसे हैं जिनमें महिला कर्मचारियों ने किशोरों के साथ सेक्स संबंध बनाए हैं।

पुरुष कर्मचारियों के हाथों भी इन नाबालिगों का शोषण हुआ है और इसका शिकार बने दो तिहाई किशोरों का कहना था कि उन्हें सेक्स संबंध के बदले में खास सुविधाएं दी गईं और तोहफे भी मिले।

इक्कीस प्रतिशत किशोरों का कहना था कि उन्हें सेक्स के बदले शराब और नशीली दवाएं दी गई। स्टैनोव का कहना है कि इस मामले को और भी गंभीरता से लेने की जरूरत है क्योंकि समाज में महिलाओं के हाथों पुरुष का सेक्स शोषण बलात्कार की तरह नहीं देखा जाता।

ओहायो के सुधार कार्यक्रम के पूर्व निदेशक रह चुके रेगी विलकिन्सन का कहना है कि इस तरह के मामलों में सहमति से सेक्स हो ही नहीं सकता क्योंकि दोनों पक्षों के बीच ताकत के संतुलन में आकाश-जमीन का अंतर है।

सोशल मीडिया पर बहस : इस रिपोर्ट ने सोशल मीडिया पर भी बहस छेड़ दी है। एक पक्ष का कहना है कि यही अपराध यदि पुरुषों ने नाबालिग लड़की के साथ किया होता तो उन्हें 25 साल की सजा होती। अगर महिला कर्मचारी पर ये आरोप साबित भी होता है तो उसे दो-तीन साल से ज्यादा की सजा नहीं होगी।

वहीं एक पक्ष ये भी कह रहा है कि ये नाबालिग किशोर दुनिया को अच्छी तरह समझते हैं और जिसे शोषण कहा जा रहा है वो दरअसल आपसी सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध हैं।

अमेरिकी वयस्क जेलों में बलात्कार एक भारी समस्या है लेकिन वहां ये घटनाएं कैदियों के बीच होती है। अधिकारियों और कर्मचारियों का सीधा हाथ नहीं देखा गया है।

नाबालिग सुधारगृह भी इससे अछूते नहीं रहे हैं, लेकिन वहां कर्मचारियों की भूमिका पर अंगुली उठ रही है और गैर-सरकारी संगठन इसकी तह तक जाने की मांग कर रहे हैं।