अंतरिक्ष में पहुँच चुके भारत के चंद्रयान-1 ने अपनी पहली तस्वीरें भेज दी हैं। चाँद पर भारत का पहला मानवरहित अभियान, चंद्रयान-1 दो साल के लिए 22 अक्टूबर को प्रक्षेपित किया गया है।
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इन दो सालों में चंद्रयान-1 पृथ्वी के चारों ओर पाँच अलग-अलग कक्षाओं में घूमेगा। बेंगलुरु में इसके संचालकों ने इस यान को पृथ्वी के सामने से गुजरते वक्त उसके टेरेन मैपिंग कैमरा से तस्वीरें लेने का भी निर्देश दिया था।
चंद्रयान ने अपनी कक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से तीन मिनट तक अपने इंजन को चालू किया, जिसने उसे चंद्रमा के कुछ नजदीक पहुँचा दिया। यह इस यान का अपनी तरह का चौथा कौशल था, जिसने इसकी कक्षा को चंद्रमा से दूरी के आधे से भी ज्यादा तक बढ़ा दिया। इसी तरह का एक और कौशल चंद्रयान को चंद्रमा के नजदीक पहुँचा देगा, जहाँ पृथ्वी से 384 हजार किलोमीटर की दूरी होगी।
पृथ्वी का नजारा : पहली तस्वीर जिसे नौ हर किलोमीटर की ऊँचाई से लिया गया था, में ऑस्ट्रेलिया का उत्तरी किनारा दिख रहा है। अन्य तस्वीरें जिन्हें 70 हजार किलोमीटर की ऊँचाई से लिया गया है, में ऑस्ट्रेलिया का दक्षिणी किनारा दिखता है।
टेरेन मैपिंग कैमरा उन 11 वैज्ञानिक उपकरणों में से एक है, जिन्हें चंद्रयान-1 के साथ भेजा गया है। यह कैमरा श्वेत-श्याम तस्वीरें लेता है और इसका रिजोल्यूशन करीब पाँच मीटर है.
जहाँ चंद्रयान-1 चंद्रमा तक पहुँचा, यह उसकी कक्षा में चला जाएगा और चंद्रमा का त्रिआयामी नक्शा तैयार करेगा और उसकी सतह पर मौजूद तत्वों और खनिजों के विवरण एकत्रित करेगा।
इस मिशन को भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में बढ़ रहे एशिया के दूसरे देशों के साथ कदमताल कर पाएगा।
बेंगलुरु में इसरो टेलीमेट्री, ट्रेकिंग एंड कमांड नेटवर्क के अलावा ब्यालेलू में भारत के अंतरिक्ष नेटवर्क एंटेनाओं की मदद से चंद्रयान-1 की लगातार निगरानी की जा रही है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का कहना है कि चंद्रयान-1 की सभी व्यवस्थाएँ एक दम चुस्त-दुरुस्त हैं।