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Written By BBC Hindi
Last Modified: मंगलवार, 28 जनवरी 2014 (12:28 IST)

इंटरनेट पर ‘गंदी बात’ से सुरक्षित है आपका बच्चा?

इंटरनेट पर ‘गंदी बात’ से सुरक्षित है आपका बच्चा? -
भारत में 17 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट यूजर हैं और प्रतिदिन ये आंकड़ा बढ़ रहा है। कंप्यूटर और मोबाइल के जरिए इंटरनेट तेजी से आपके और हमारे घरों में घुस रहा है। लेकिन तेजी से पैर पसारते इंटरनेट ने एक गंभीर खतरे को भी जन्म दिया है, और वो है इंटरनेट पर बच्चों से संबंधित पोर्नोग्राफी का निर्माण और प्रसार।
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युनिसेफ की एक रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में करीब 40 लाख ऐसे वेबसाइट हैं जिनमें अवयस्कों का नग्न चित्रण किया गया है। इसमें दो साल तक के बच्चे भी शामिल हैं।

भारत में इंटरनेट सुरक्षा की मुहिम चला रही संस्था ‘डेवलपिंग इंटरनेट सेफ कम्युनिटी’ (डीआईएससी) का कहना है कि इंटरपोल यानी अंतरराष्ट्रीय अपराध पुलिस संस्था के एक शोध के अनुसार भारत में किसी भी वक्त करीब पांच हजार लोग इंटरनेट पर बाल यौन शोषण से जुड़ी सामग्रियों के प्रसार का हिस्सा बन रहे हैं।

भारत में इंटरनेट सुरक्षा का हाल : भारत में डीआईएससी के प्रोजेक्ट मैनेजर सलीम अहमद कहते हैं, 'इंटरनेट पर बच्चे विशेष तौर पर खतरे में होते हैं। इसलिए जरूरी है कि समाज, पुलिस व्यवस्था और जागरूक लोग साथ मिलकर इस तरह की गतिविधियों के खिलाफ सचेत रह सके और जहां संभव हो कार्रवाई की जा सकें।'

डीआईएससी और सीएमएआई, झारखंड पुलिस-साइबर डिफेंस, साइबर पीस जैसी कुछ संस्थाएं, लोगों के बीच इंटरनेट पर सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए 11 फरवरी को ‘इंटरनेट सेफ्टी डे’ मनाने की तैयारी कर रही है। इनसेफ और यूरोपीय संघ जैसी संस्थाएं भी ‘इंटरनेट सेफ्टी डे’ का समर्थन कर रही है।

सलीम अहमद बताते हैं कि बच्चों को सोशल मीडिया साइटों से भी खतरा हो सकता है।

सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल कैसे...अगले पन्ने पर...


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'सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल' : उन्होंने कहा, 'सोशल मीडिया साइटों पर बच्चे अपनी गलत उम्र बताकर अकाउंट खोल लेते हैं, जहां आपराधिक प्रवृत्ति के लोग पहले से ही मौजूद होते हैं। उनके अपने तरीके होते हैं बातों में फुसलाकर सही उम्र पता करने की जिसके बाद वो आसानी से बच्चों को शिकार बना लेते हैं। ऐसे लोगों से बचने के लिए जागरूकता की जरूरत है।'

भारत तीसरा सबसे बड़ा इंटरनेट यूजर है और संस्था का मानना है कि इस तेज प्रसार का सीधा असर बाल यौन शोषण और पोर्नोग्राफी के प्रयोग और प्रसार पर पड़ता है। डीआईएससी और सीएमएआई जैसी संस्थाओं का मानना है कि नए आईटी कानून में ऐसे अपराध के खिलाफ कड़े प्रावधान हैं, लेकिन इनको सुचारू ढंग से लागू किए जाने की जरूरत है।