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Written By BBC Hindi
Last Modified: शुक्रवार, 8 मार्च 2013 (15:38 IST)

चांद पर जाओ, करोड़ों का इनाम पाओ

Moon_Mining_Reward | चांद पर जाओ, करोड़ों का इनाम पाओ
BBC
यूं ही नहीं कहते कि आसमां के आगे जहां और भी हैं। सिलिकॉन वैली में अब एक नया मोर्चा खुल गया है, चांद के रहस्यों को समझने का और इससे पैसा बनाने का। अब दौड़ चांद में सबसे पहले खनन करने की है।

गूगल ने चांद पर जाने वाली निजी कंपनियों के लिए 200 लाख डॉलर या करीब 110 करोड़ भारतीय रुपए के बराबर के भारी-भरकम पुरस्कार की घोषणा की है।

किसको मिलेगा इनाम? : शर्त है कि इसके लिए कंपनी चांद पर रोबोट उतारे, जो उसकी सतह पर 500 मीटर चलकर जांच करे और इसका हाई डेफिनेशन वीडियो 2015 तक धरती पर वापस भेजा जाए।

मिशन पूरा करके दूसरे स्थान पर रहने वाली कंपनी को भी 50 लाख डॉलर का इनाम दिया जाएगा।

इसके अलावा 5 किमी तक चलने, पानी ढूंढने और चांद पर इंसान की पहले से मौजूदगी के निशान, जैसे कि अपोलो के पहुंचने के निशान, पर अतिरिक्त इनाम भी दिया जाएगा।

मून एक्सप्रेस उन 25 कंपनियों में से एक है जो चांद पर उतरकर पैसा कमाने के बारे में सोच रही हैं। नासा ने उसे अपनी सुविधाओं का इस्तेमाल करने और अंतरिक्ष यान की जांच की इजाजत दे दी है।

बीबीसी संवाददाता अलेस्टर लीहेड ने मून एक्सप्रेस की प्रयोगशाला में जाकर चांद पर जाने की उसकी तैयारी को देखा।

कंपनी के सीईओ बॉब रिचर्ड्स कहते हैं, 'चांद पर उतरने के लिए हमारी प्रोद्यौगिकी का ध्यान मून लैंडर पर है।' कंपनी ने मून लैंडर का प्रोटोटाइप तैयार कर लिया है और वो उसे नासा की प्रयोगशाला में जांच रही है।

मून एक्सप्रेस जैसी कंपनियों के सामने पहली चुनौती मून लैंडर को चांद पर खुद ही उतरने योग्य बनाना है। इसकी सफलता क्रांतिकारी परिणाम दे सकती है।

चांद में क्या रखा है? : बॉब रिचर्ड्स कहते हैं, 'ये ठीक है कि हम चांद के बारे में अभी ज़्यादा जानते नहीं हैं लेकिन हम ये जानते हैं कि चांद पर धरती के पूरे भंडार से ज़्यादा प्लैटिनम ग्रुप की धातुएं हो सकती हैं।'

वो ये भी कहते हैं, 'इसके अलावा चांद पर पानी है। पानी सौर मंडल की सूरत बदलने वाली शक्ति है, पानी रॉकेट का ईंधन है, पानी खेती करने में मददगार हो सकता है, पानी ज़िंदगी दे सकता है।'

लेकिन इस दौड़ में वो अकेले नहीं हैं। चीन चांद के लिए रोबोट्स और इंसानों वाले अभियान तैयार कर रहा है। वो इसकी असीम संभावनाओं वाली जमीन भी चाहता है।

चांद पर हक किसका? : लेकिन क्या कोई अकेला व्यक्ति या देश चांद की ज़मीन पर कब्ज़ा कर सकता है? 1967 की बाहरी अंतरिक्ष संधि के अनुसार ऐसा नहीं हो सकता।

अंतरिक्ष वकील, जेम्स डंसटन कहते हैं, 'बाहरी अंतरिक्ष संधि में चांद पर स्वतंत्र पहुंच, स्वतंत्र प्रयोग और स्वतंत्र दोहन को न सिर्फ प्रोत्साहित किया गया है बल्कि शर्त बना दिया गया है।'

वो कहते हैं कि, 'अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार आप चांद के मालिक नहीं हो सकते, लेकिन आप वहां जा सकते हैं और इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। सवाल ये है कि इन दोनों में आप संतुलन कैसे कायम करेंगे।'

लेकिन मून एक्सप्रेस जैसी कंपनियों की नजर तो अभी चांद के व्यावसायिक दोहन में है। रिचर्ड्स कहते हैं, 'चांद के व्यावसायिक दोहन का मतलब है कि हम चांद को इंसानी दुनिया के करीब ला रहे हैं, वो दुनिया जिसे इंसान अपनी समझता है।'