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Written By BBC Hindi

कंटीली तारबाड़ से घेर दिए गए गांव

सिमटता देहात-2

barbed village | कंटीली तारबाड़ से घेर दिए गए गांव
BBC
- राजेश जोशी (दिल्ली)

दूर से देखने पर ये गांव कड़ी सुरक्षा वाली जेल जैसे नजर आते हैं। उनके चारों ओर मिट्टी का ऊंचा पुश्ता और उसके ऊपर कंटीले तार बाड़ लगा दिए गए हैं। गांव में घुसने और निकलने के लिए सिर्फ, एक या ज्यादा से ज्यादा दो रास्ते छोड़े गए हैं।

ये गांव हमेशा से ऐसे नहीं थे। अभी पिछले साल तक हिंदुस्तान के आम गांवों की तरह यहां भी बस्ती की सरहद से खेतों का सिलसिला शुरू होता था, जिनमें फसलें लहलहाया करती थीं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा से लगे गौतम बुद्ध नगर जिले के इस इलाके में अब जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल कंपनी स्पोर्ट्स सिटी बना रही है जिसमें भारत के सबसे पहली फॉर्मूला वन कार रेस ट्रैक के अलावा गॉल्फ कोर्स, फाइव स्टार होटल, झीलों और आलीशान लैंडस्केप लक्जरी टाउनशिप आदि होंगे।

दो साल पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून के तहत कई गांवों की ढाई हजार एकड़ जमीन अघिग्रहीत करके जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल कंपनी को दे दी थी।

जेपी ग्रुप ही ग्रेटर नोएडा को आगरा से जोड़ने वाला 165 किलोमीटर लंबा यमुना एक्सप्रेस वे अपनी ही लागत से बना रहा है। सरकार ने इसके एवज में जेपी ग्रुप को एक्सप्रेस वे के किनारे किनारे की जमीन पर पांच लक्जरी टाउनशिप बना कर बेचने और मुनाफा कमाने की अनुमति दी है।

प्रभावित गांव : अट्टा गूजरान, अट्टा गुनपरा, औरंगपुर, अट्टा फतेहपुर, सलारपुर, रीलखा, छपरगढ़, उस्मानपुर, खरेली, बालूखेड़ा, मूँजखेड़ा, जगनपुर, और डेरी खूबन आदि गांव स्पोर्ट्स सिटी के दायरे में आते हैं। इसलिए जेपी ग्रुप ने इनके चारों ओर मिट्टी की ऊंची दीवारें बनाकर उनको कंटीले तारों की बाड़ से घेर दिया है।

दरअसल सरकार ने जेपी ग्रुप को रिहायशी बस्तियों से एकदम लगी हुई पूरी जमीन दे दी और कंपनी ने इस जमीन की सरहदों पर तारबाड़ लगा दी जिसके कारण गांव चारों ओर से पूरी तरह घिर गए हैं। जेपी ग्रुप के प्रवक्ता ने कहा कि गांवों की तारबाड़ पंचायतों से हुए समझौते के बाद ही लगाई गई है। उन्होंने कहा कि सरकार से जमीन पट्टे पर मिलने के बाद कंपनी ने उस पर अपनी घेरबाड़ की है।

लेकिन इन गांवों में रहने वाले किसान अलग तरह से सोचते हैं। अट्टा गूजरान के जय प्रकाश कहते हैं, 'स्पोर्ट्स सिटी बना रही कंपनी का मकसद है कि देहात अलग रहे, हमारे संपर्क में न आए। इसलिए दीवारें खींच दी गई हैं।'

उन्होंने कहा, 'देहाती लोगों के बर्ताव, रहन-सहन और खाने पीने से इन लोगों को नफरत है। ये चाहते हैं कि इनके विदेशी लोग ही वहां रहें और हमारे लोग वहां न जा पाएं।'

इन गांवों तक पहुंचने के लिए स्पोर्ट्स सिटी के दायरे से होकर गुजरना पड़ता है और अजनबियों पर जेपी कंपनी के सुरक्षा गार्ड कड़ी नजर रखते हैं।

स्थानीय लोगों की मदद से हम किसी तरह अंदर पहुंचे और हमारी मुलाकात हुई गुनपरा गांव की पूनम से। उन्होंने बताया कि जेपी ने सारा गांव घेर लिया है। हमारे गांवों को भी यहां से हटाने की योजना है। हमें कहीं न कहीं तो जाना पड़ेगा। क्या हम मरेंगे यहां? ये तो हमारे घरों को फोड़ देंगे, ढा देंगे।'

पूनम कहती हैं कि गांव वालों की कोई सुनवाई नहीं करता। 'सब बड़े-बड़े आदमी उनके (जेपी कंपनी) ही हैं। सड़क बहुत दूर हो गई है। किसी के पास घर की सवारी हो तो वो सामान आदि लेने बाहर जाते हैं नहीं तो घर में ही बैठे रहो।'

जोर जबरदस्ती : पूनम के कहा कि किसान अपनी जमीन देने को राजी नहीं थे, लेकिन जोर-जबरदस्ती करके सब जमीन ले ली गई।

पूनम के पति और देवर के पास ढाई बीघे जमीन थी। लेकिन वो सब जमीन स्पोर्ट्स सिटी में चली गई। उन्होंने बताया कि पहले वो साझे में खेती करके गुजारा करते थे, लेकिन खेत चले जाने पर इधर-उधर मजदूरी करके पेट पालते हैं।

अब गांव वाले लगभग इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि किसी तरह की अर्जी और अपील काम नहीं आएगी। पूनम पूरी तरह हताश हैं। उन्होंने कहा, 'साल दो साल बाद हमें यहां से भी भगा दिया जाएगा। जैसे हमारे खेत छिन गए तो घर भी छिन जाएंगे किसी दिन। हम क्या करेंगे? गुथेंगे, मरेंगे तो (हम भी मारेंगे) नहीं तो किसी दिन अपने बच्चों को लेकर निकल जाएंगे।'

अट्टा गूजरान के ही ऋषिपाल कहते हैं, 'गांव वालों के लिए रास्ता नहीं है। चारों तरफ से बाउंड्री करके तारबंदी कर दी है और उन पर कीकर के पेड़ बो दिए गए हैं। पानी निकासी की जगह भी नहीं बची। सारी गंदगी गांव के अंदर ही रहती है।'

औरंगपुर गांव के जगमोहन कहते हैं कि यमुना विकास प्राधिकरण ने जमीन अधिग्रहीत करके जेपी कंपनी को दे दी। उन्होंने बताया कि ग्राम प्रधान ने तारबाड़ लगाने का विरोध भी किया, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई।

जगमोहन ने कहा, 'सरकार से गांव वालों को दहशत होती है। अब गौरमेंट(सरकार) से कोई लड़ाई की जाती है?'