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Written By Author पं. सुरेन्द्र बिल्लौरे

सितंबर 2009 ज्योतिष की नजर में

September month | सितंबर 2009 ज्योतिष की नजर में
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सितंबर माह की ग्रहों की स्थिति को हम देखते हैं तो सितंबर माह में बहुत उलटफेर मौसम एवं जन सामान्य में होंगे। इस माह राजनीति में तनाव रहेगा। विशेषकर शासकों पर। 9 सितंबर पर दृष्टि डालें तो शनि ग्रह कन्या राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। इसका परिणाम यह होगा कि जल का शेषण होगा अर्थात जल की कमी होगी तथा आँधी-तूफान तेज होंगे।

इसी के साथ मध्यप्रदेश की ज्योतिष पर नजर डालें तो इस राज्य के शासकों का क्षय होने की संभावना बनती है। माह के मध्य अर्थात 15 सितंबर शुक्र राशि परिवर्तन कर सिंह राशि में प्रवेश करेगा। परिणामस्वरूप स्वर्ण, लाल वस्तु के साथ पशु के भावों में तेजी आएगी। इसी के साथ वर्षा नहीं होने के योग बनेंगे। अन्य धान्य महँगे होंगे।

16 सितंबर को सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करने जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप उत्तर तथा पश्चिम के देशों में पीड़ा कष्ट के योग बनते हैं। परंतु पूर्व देशों में युद्ध का भय बना रहेगा। सूर्य ऐसी राशि में प्रवेश करने जा रहा है, जिससे दक्षिण के देशों में सुभिक्षि, सुख प्रदान करेगा।

ग्रह जब-जब अपनी राशि अथवा नक्षत्र बदलते हैं तो शुभ-अशुभ फल का प्रभाव पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक जीव एवं प्राकृतिक उत्पादन, उद्योग पर अवश्य पड़ता है। इस माह भूकंप आदि प्राकृतिक प्रकोप होगा। इसी के साथ ईशान देश का प्रभाव भंग अर्थात विच्छेद होने के योग बन रहे हैं। अन्न का भाव अधिक बढ़ेगा एवं अग्नि का प्रकोप व भय रहेगा।

'शनेश्च पंचकं दृष्टवा पाताले कंपते फणी। ईशान देशभंगश्च बहिदाहो महर्धता।।

जब-जब प्राकृतिक अथवा प्रभु की बनाई हुई संरचना पर मनुष्य द्वारा या किसी भी परिस्थिति में छेड़छाड़ हुई है अथवा ग्रहों की अनिष्ट दृष्टि पड़ी है, इसका परिणाम ठीक न आकर दुष्प्रभाव आया है। 24 सितंबर से बुध वक्री गति से सिहं राशि में प्रवेश करेगा इसके परिणामस्वरूप सभी धान्यों के भाव स्थिर रहेंगे। एवं स्वर्ण के साथ देवदार का भाव तेज होगा। माह के अंत में शक्कर सस्ती होने की दृष्टि बन रही है।

मौसम पर विशेष ज्योतिष नजर डालें तो सूर्य के साथ शनि स्थित होने से एवं इसी के पीछे (अर्थात सूर्य के पीछे) शुक्र एवं बुध के स्थित होने से वर्षा व तेज वायु कहीं हल्की ओलावृष्टि होने की संभावना बनती है। कहीं-कहीं खंड वृष्टि भी होगी। दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड में ऋतु परिवर्तन की पूर्ण संभावना बनती है।