शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. आईना 2016
  4. Indian Olympic athlete, Rio Olympic, Indian boxer, Olympic Game
Written By

साल 2016 : ओलंपिक में मिली निराशा, बना नया महासंघ

साल 2016 : ओलंपिक में मिली निराशा, बना नया महासंघ - Indian Olympic athlete, Rio Olympic, Indian boxer, Olympic Game
नई दिल्ली। प्रशासनिक अव्यवस्था में 4 साल तक लटके रहने और ओलंपिक के निराशाजनक अभियान के बाद भारतीय मुक्केबाजी को वर्ष 2016 में नए महासंघ के रूप में उम्मीद की नई किरण दिखी जबकि इस दौरान पेशेवर मुक्केबाजी ने भी भारत में अपने पांव पसारे।
मुक्केबाजी में वर्ष 2016 का सबसे सकारात्मक पहलू 4 साल तक चली रस्साकसी के बाद नए राष्ट्रीय महासंघ का गठन रहा। प्रशासकों के बीच आपसी खींचतान का असर मुक्केबाजों पर भी पड़ा और रियो ओलंपिक में लचर प्रदर्शन का सबसे बड़ा कारण भी इसे ही माना गया।
 
इस दौरान भारत में पेशेवर मुक्केबाजी ने भी पांव पसारे और इस दौरान विजेंदर सिंह ने दिल्ली में अपने प्रशंसकों के सामने डब्ल्यूबीओ एशिया पैसेफिक सुपर मिडिलवेट के खिताब का सफलतापूर्वक बचाव भी किया। भारत में हालांकि पेशेवर मुक्केबाजी को लोकप्रियता हासिल करने में थोड़ा समय लगेगा, क्योंकि यहां लोग अब भी क्रिकेट और ओलंपिक पदकों के दीवाने हैं।
 
जब ओलंपिक पदकों की बात आती है तो भारतीय मुक्केबाजों ने निराश किया। रियो ओलंपिक में केवल 3 भारतीय पुरुष मुक्केबाज शिव थापा, मनोज कुमार और विकास कृष्ण ही जगह बना पाए जबकि इससे पहले 2012 के लंदन खेलों के लिए 7 पुरुष और 1 महिला मुक्केबाज ने क्वालीफाई किया था।
 
भारतीयों को कड़ा ड्रॉ मिला और उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में नहीं खेलने का भी खामियाजा भुगतना पड़ा। तीनों भारतीय पदक जीतने में नाकाम रहे। इससे पहले भारत के लिए 2008 में विजेंदर और 2012 में एमसी मेरीकॉम ने मुक्केबाजी में कांस्य पदक जीते थे। 
 
अगस्त में रियो की नाकामी का ही असर था कि कई बार टाले जाने के बाद आखिर में सितंबर में चुनाव कराए गए और नए महासंघ भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) का गठन हुआ। इसके अधिकतर पदाधिकारियों को सर्वसम्मति से चुना गया। नए महासंघ ने 1 महीने के अंदर ही पुरुष और महिला दोनों वर्गों में राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन कराया।
 
रिंग के अंदर की बात की जाए तो शिव थापा चीन में एशियाई क्षेत्र के ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट के जरिए रियो खेलों में जगह बनाने वाले पहले मुक्केबाज बने थे। एल. देवेंद्रो सिंह (52 किग्रा) और मेरीकॉम (51 किग्रा) दोनों ने इस साल अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन वे ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाए।
 
मेरीकॉम के लिए राहत की बात यह रही कि उन्हें 5 विश्व चैंपियनशिप जीतने के लिए वर्ष के आखिर में अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (आईबा) का लीजेंड अवॉर्ड मिला। उन्होंने इसके बाद ही आगे से 48 किग्रा में हिस्सा लेने का फैसला किया, क्योंकि यह कयास लगाए जा रहे हैं उनका यह पसंदीदा भार वर्ग 2020 टोकियो ओलंपिक में शामिल किया जा सकता है। (भाषा)
ये भी पढ़ें
भारत के अगले गैर खिलाड़ी डेविस कप कप्तान होंगे महेश भूपति