गुरुवार, 18 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. वेबदुनिया विशेष 07
  4. »
  5. आईना - 2007
Written By WD

भारत-अमेरिका में छाया रहा परमाणु करार

भारत-अमेरिका में छाया रहा परमाणु करार -
भारत-अमेरिका असैनिक परमाणु करार की छाया वर्षभर महाशक्ति और उभरती शक्ति के बीच संबंधों के उतार चढ़ाव का कारण बनती रही। इस दौरान दोनों देशों ने उच्च तकनीक रक्षा सहयोग तथा तकनीकी हस्तांतरण के संबंध में भी एक नई शुरुआत की।

तथ्यात्मक दृष्टि से देखा जाए तो वर्ष 2007, वर्ष 2006 के मुकाबले बहुत अधिक अलग नहीं रहा। इस पूरी अवधि में इस बात को लेकर कयास लगाए जाते रहे कि क्या भारत और अमेरिका कथित 123 समझौते को आगे बढ़ा पाएँगे, जो हेनरी जे हाइड शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा सहयोग अधिनियम को औपचारिक रूप प्रदान करेगा।

इस समझौते को कानूनी रूप प्रदान करते हुए राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने वर्ष 2006 के अंतिम दिनों में हस्ताक्षर किए थे। इस करार को लेकर दोनों देशों में राजनीतिक माहौल भी काफी गर्माया रहा।

रक्षा सहयोग के हिसाब से 17 जनवरी 2007 को भारतीय नौसेना को दिए जाने वाले लैंडिंग प्लेटफार्म यूएसएस ट्रेंटन का हस्तांतरण भी चर्चा में रहा। विमानवाहक पोत विराट के बाद भारतीय नौसेना को दिया जाने वाला यह दूसरा विशाल पोत होगा।

अमेरिका के साथ ही भारत में भी एक राजनीतिक और वैज्ञानिक तबका इस बात को लेकर संशय में रहा कि हाईड एक्ट का 18 जुलाई 2005 और दो मार्च 2006 के भारत और अमेरिकी नेताओं के संयुक्त बयानों से कितना लेना देना है।

लेकिन सीनेट की विदेश संबंध समिति के निवर्तमान अध्यक्ष सीनेटर रिचर्ड लुगार ने विधेयक की सराहना करते इसे राष्ट्रपति की सर्वाधिक महत्वपूर्ण रणनीतिक राजनयिक पहल करार दिया।

वर्ष 2007 के दौरान बिजनेस तथा आर्थिक समुदाय ने हाईड एक्ट और उसके बाद की गतिविधियों को द्विपक्षीय परमाणु कारोबार की दिशा में बढ़ने की प्रक्रिया में एक प्रमुख कदम बताया।

दोनों देशों में इस करार को लेकर हो रहे विरोध का उप विदेश मंत्री निकोलस बर्न्स ने एकदम सटीक जवाब देते हुए कई बार कहा कि हमारे दोनों देशों जैसे विशाल लोकतंत्र में आपको हमेशा ऐसे लोग मिलेंगे जो विपरीत राय रखेंगे। लेकिन मुझे लगता है कि हमने वास्तव में अमेरिका तथा भारत में बहुसंख्यक लोगों का विचार हासिल कर लिया है।

गौरतलब है कि भारत और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी द्वारा सुरक्षा मापदंडों पर समझौता होने तथा 45 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह द्वारा इस पर अपनी सहमति की मोहर लगाए जाने के बाद करार को फिर से कांग्रेस की मंजूरी हासिल करनी होगी।