गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

शून्य और सूर्य मुद्रा योग

shunya and surya mudra yoga | शून्य और सूर्य मुद्रा योग
शून्य मुद्रा हमारे भीतर के आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व करती है। मध्यमा अंगुली का संबंध आकाश से जुड़ा माना गया है। शून्य मुद्रा मुख्यत: हमारी श्रवण क्षमता को बढ़ाती है। सूर्य मुद्रा हमारे भीतर के अग्नि तत्व को संचालित करती है। सूर्य की अंगुली अनामिका को रिंग फिंगर भी कहते हैं। इस अंगुली का संबंध सूर्य और यूरेनस ग्रह से है। सूर्य ऊर्जा स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करती है और यूरेनस कामुकता, अंतर्ज्ञान और बदलाव का प्रतीक है।
 
(1) शून्य मुद्रा shunya mudra benefits
विधि : मध्यमा अर्थात शनि की अंगुली को हथेलियों की ओर मोड़ते हुए अंगूठे से उसके प्रथम पोर को दबाते हुए बाकी की अंगुलियों को सीधा रखते हैं। इसे शून्य मुद्रा कहते हैं।
 
लाभ : यह शरीर के सुस्तपन को कम कर स्फूर्ति जगाती है। प्रतिदिन चार से पांच मिनट अभ्यास करने से कान के दर्द में आराम मिलता है। बहरे और मानसिक रूप से विकलांग लोगों के लिए यह मुद्रा लाभदायक है।
 
(2) सूर्य मुद्रा surya mudra
विधि : सूर्य की अंगुली को हथेली की ओर मोड़कर उसे अंगूठे से दबाएं। बाकी बची तीनों अंगुलियों को सीधा रखें। इसे सूर्य मुद्रा कहते हैं।
 
लाभ : इस मुद्रा का रोज दो बार 5 से 15 मिनट के लिए अभ्यास करने से शरीर का कोलेस्ट्रॉल घटता है। वजन कम करने के लिए भी इस मुद्रा का उपयोग किया जाता है। पेट संबंधी रोगों में भी यह मुद्रा लाभदायक है। बेचैनी और चिंता कम होकर दिमाग शांत बना रहता है। यह मुद्रा शरीर की सूजन मिटाकर उसे हलका बनाती है।