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Written By भाषा

कायर हैं नक्सलवादी-चिदंबरम

कायर हैं नक्सलवादी-चिदंबरम -
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नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच जारी संघर्ष के बीच में केन्द्रीय गृहमंत्री माओवाद प्रभावित लालगढ़ पहुँचे। वे वहाँ बोले और उपस्थित जनसमूह का दिल जीत लिया। उन्होंने कहा कि नक्सली कायर हैं।

सरकार ने पिछले साल जून में माओवादियों के खिलाफ नक्सल विरोधी अभियान शुरू किया था। इसके बाद यह पहला मौका है जब किसी केंद्रीय मंत्री ने माओवादियों की मजबूत पकड़ वाले लालगढ़ का दौरा किया है। इस मौके पर चिदंबरम ने वहाँ के लोगों से बातचीत की।

इसी दौरान केंद्रीय मंत्री ने एक नवजात की माँ से पूछा कि क्या उसने अपने बच्चे के लिए कोई नाम सोचा है। इस पर वहाँ उपस्थित जनसमूह ने एक सुर में कहा ‘चिदंबरम’। उल्लेखनीय है कि इस बच्चे का जन्म गृहमंत्री के यहाँ पहुँचने से कुछ ही घंटे पहले हुआ। नवजात की माँ से चिदंबरम के इस प्रश्न के बाद लोगों ने उनका ही नाम लिया तथा ठहाका मारकर हँसने लगे।

नक्सल विरोधी अभियानों में फँसे स्थानीय निवासियों से केंद्रीय गृहमंत्री ने उनकी समस्याओं के बारे में जानना चाहा तो लोगों ने अपनी दुर्दशा के बारे में उन्हें विस्तार से बताया जिसे केंद्रीय मंत्री ने धैर्यपूर्वक सुना।

पीसीपीए का बंद : वहीं, ‘पीपुल्स कमेटी अगेन्स्ट पुलिस ऐट्रोसिटीज’ (पीसीपीए) ने चिदंबरम की इस यात्रा का विरोध करने के लिए पश्चिम मिदनापुर, पुरुलिया और बाँकुरा में 24 घंटे के बंद का आह्वान किया है। यह समिति माओवादी समर्थित है।

चिदंबरम ने कहा कि नक्सली कायर हैं। वे जंगलों में क्यों छिप रहे हैं? यदि वे हिंसा छोड़ते हैं तो हम उन्हें वार्ता के लिए न्योता देते हैं। यदि वे सचमुच में विकास चाहते हैं, यदि वे सचमुच में लोगों की समस्याओं का हल करना चाहते हैं, तब उनका वार्ता के लिए स्वागत है।

हिंसा छोड़ें, बात करें : चिदंबरम ने वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठकें बाद यहाँ कहा कि मैंने कहा है कि हम दुनिया की किसी भी चीज के लिए बात कर सकते हैं। उन्हें बस हिंसा छोड़नी होगी। यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र नक्सलियों के खिलाफ सैन्य अभियान चलाने की योजना बना रहा है, इस पर चिदंबरम ने कहा कि नहीं हम नक्सलियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने के बारे में विचार नहीं कर रहे हैं। नक्सलियों से लड़ने के लिये सिर्फ राज्य पुलिस, राज्य सशस्त्र पुलिस और अर्धसैनिक बलों को ही तैनात किया जाएगा। वे यहाँ माओवादी विरोधी अभियान की समीक्षा करने आए हैं।

चिदंबरम ने नक्सलियों द्वारा पीसीपीए को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समर्थन दिए जाने की बात पर चिंता जताते हुए कहा कि यदि उनके पास कोई वास्तविक समस्या है तो वह उनके और राज्य सरकार के बीच वार्ता सुनिश्चित करने के लिए मध्यस्थ बनने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने ग्रामीणों से अपील की है कि वे माओवादियों का समर्थन नहीं करें, जो कार्य वे निडर होकर कर रहे हैं।

कोलकाता से एक हेलिकॉप्टर के जरिये यहाँ आए चिदंबरम ने माओवादी विरोधी अभियान के नतीजे को मिलाजुला बताते हुए कहा कि कुछ खामियों को सुधारने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि नक्सल विरोधी अभियान पश्चिम बंगाल और उड़ीसा तथा झारखंड सहित अन्य राज्यों में एक दीर्घकालीन मामला है और उग्रवादियों को शिकस्त देने में दो से तीन साल का समय लग सकता है।

माओवादी विरोधी अभियान जारी रहेंगे : चिदंबरम ने कहा कि अभी तुरंत कोई जवाब नहीं। पश्चिम बंगाल की दो दिनों की यात्रा पर गए चिदंबरम ने कहा कि माओवादी विरोधी अभियान जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि यह एक दीर्घकालीन प्रक्रिया है और इसे पूरा करने में दो से तीन साल का वक्त लगेगा। आपको धैर्य रखना होगा।

गृहमंत्री ने कहा कि ज्यादती हो रही है या नहीं, इस पर चर्चा की जा सकती है, लेकिन नक्सलियों का समर्थन करना एक बहुत बड़ी गलती है और वे यह गलती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ठीक इसी समय शिक्षा, स्वास्थ्य, राशन और बिजली को लेकर ग्रामीणों को आंदोलित होने के लिए और कारण मिल गए हैं।

किशनजी के बारे में आई एक मीडिया रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा कि पुलिस ने मुझे बताया कि वे उस कहानी के पीछे न जाए कि किशनजी ने साक्षात्कार दिया है। पुलिस बेशक और अधिक कर सकती है और उसे ढूँढ़ निकाल सकती है। उन्होंने पीसीपीए का हवाला देते हुए बताया कि इसके जेल में बंद नेता छत्रधर महतो और उसके भाई असित महतो नक्सलियों का समर्थन कर लोगों के प्रति बहुत ज्यादा गलत कार्य कर रहे हैं।

राजनेता लालगढ़ जाएँ : चिदंबरम ने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से लालगढ़ की यात्रा कर ग्रामीणों से बात करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि बंगाल में कुछ फायदा और कुछ कमजोरियाँ रही है। उड़ीसा और झारखंड में समय लगेगा और यह एक समस्या है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और आंध्रप्रेदश के भागों में हालात बेहतर हुए हैं। (भाषा)