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Written By WD

जानें धौती कर्म को

Dhauti kriya | जानें धौती कर्म को
...शरीर को स्वस्थ्य और शुद्ध करने के लिए छ: क्रियाएँ विशेष रूप से की जाती हैं। जिन्हें षट्‍कर्म कहा जाता है। शरीरिक शुद्धि के बिना आसन-प्राणायाम का पूर्ण लाभ नहीं प्राप्त होता सकता है।

ये क्रियाएँ हैं:-
1. त्राटक 2. नेती. 3. कपाल भाती 4. धौती 5. बस्ती 6. नौली। इस बार जानें धौती कर्म को।

ND
1. वमन धौती : पाँच छ: ग्लास गुनगुना पानी पी लें। पानी में थोड़ा नमक डाला जा सकता है। इसके बाद दोनों हाथों को जाँघ पर रखकर थोड़ा आगे की ओर झुक कर खड़े हो जाइए।

उड्डीयान बंध लगाकर नौली क्रिया करें। पिया हुआ गुनगुना जल को वमन के माध्यम से पूरी तरह बाहर निकाले दें। आप दो अँगुलियों को गले में डालकर वमन क्रिया का आरंभ कर सकते हैं।

इस क्रिया से पित्त की अधिकता समाप्त होती है।

2. बहनीसार धौती : जमीन पर सीधे लेट जाइए। अपनी दोनों एड़ियों को नितम्बों से सटा कर रखिए। नाभी को अंदर खींच कर छोड़ें। इसका एक सौ बार अभ्यास करें।

इससे पेट की अनेक बीमारियाँ दूर होती हैं। पाचन की गति बढ़ती है और शरीर स्वस्थ होता है।

3. वातसार धौती : होठों को संकुचित कर धीरे-धीरे तब तक वायु अंदर खीचिए जब तक पेट भर नहीं जाता। इसके पश्चात नौली क्रिया करें और दोनों नासिकाओं से वायु बाहर निकालें। इसे काकी मुद्रा या काकी प्राणायाम भी कहते हैं।

इससे नाड़ी शुद्ध होती है, शरीर स्वस्थ और हल्का बनता है।

4. वस्त्र धौती : पतले कपड़े को मुँह के द्वारा पेट में ले जाकर फिर धीरे-धीरे सावधानी पूर्वक बाहर निकाला जाता है।

इसे हठयोग के प्रवीण गुरु के प्रत्यक्ष निर्देशन में सीखना चाहिए। इसके पहले बताई गई धौती का अभ्यास करना अधिक सरल और सुरक्षित है।

पुस्तक : आसन, प्राणायाम, मुद्रा और बंध (Yaga Exercises For Health and Happiness)
लेखक : स्वामी ज्योतिर्मयानंद
हिंदी अनुवाद : योगिरत्न डॉ. शशिभूषण मिश्र
प्रकाशक : इंटरनेशनल योग सोसायटी