शनिवार, 20 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. योग
  3. आलेख
  4. किसे कहते हैं योगी?
Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

किसे कहते हैं योगी?

चश्मा हटाओ फिर देखो यारों...

yogi | किसे कहते हैं योगी?
निश्चित ही आप आसन और प्राणायाम में पारंगत किसी व्यक्ति को योगी कहना चाहेंगे, या फिर किसी योग के चमत्कार को बताने वालों को आप योगी कहते होंगे। लेकिन हम आपको बताना चाहते हैं कि योगी होने के लिए आसन या प्राणायाम करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

NDND
आज के दौर में जितने भी योगाचार्य आप देख रहे हैं उनमें से शायद एक भी व्यक्ति योगी नहीं होगा। तब योग ग्रंथों अनुसार योगी किसे कहते हैं। आइए, यही जानने का हम प्रयास हम करते हैं।

कृष्ण ने कहा है कि योगस्थ या योगारूढ़ व्यक्ति वह है जो स्थितप्रज्ञ है और जो ‍नींद में भी जागा हुआ रहता है। आज के हमारे योगी तो जागे हुए भी सोते से लगते हैं।

योग का मूल मंत्र है चित्त वृत्तियों का निरोध कर मन के पार जाना। कुछ लोग आसन-प्राणायाम का अभ्यास करे बगैर भी उस स्थिति को प्राप्त कर लेते हैं, जिसको योग में समाधि कहा गया है।

यम, नियम, आसन, प्राणायाम और प्रत्याहार तो योग में प्रवेश करने की भूमिका मात्र है, इन्हें साधकर भी कई लोग इनमें ही अटके रह गए, लेकिन साहसी हैं वे लोग, जिन्होंने धारणा और ध्यान का उपयोग तीर-कमान की तरह किया और मोक्ष नामक लक्ष्य को भेद दिया।

वेदों में जड़बुद्धि से बढ़कर प्राणबुद्धि, प्राणबुद्धि से बढ़कर मानसिक और मानसिक से बढ़कर 'बुद्धि' में ही जीने वाला श्रेष्ठ कहा गया है। बुद्धिमान लोग भुलक्कड़ होते हैं ऐसा जरूरी नहीं और स्मृतिवान लोग बुद्धिमान हों यह भी जरूरी नहीं, लेकिन उक्त सबसे बढ़कर वह व्यक्ति है जो विवेकवान है, जिसकी बुद्धि और स्मृति दोनों ही दुरुस्त हैं। उक्त विवेकवान से भी श्रेष्ठ होता है वह व्यक्ति जो मन के सारे क्रिया-कलापों, सोच-विचार, स्वप्न-दुख से पार होकर परम जागरण में स्थित हो गया है। ऐसा व्यक्ति ही मोक्ष के अनंत और आनंदित सागर में छलाँग लगा सकता है।

कैसे रहें जाग्रत : योग कहता है कि अपने शरीर और मन की अच्छी और बुरी हरकतों के प्रति सजग रहें अर्थात दूर हटकर इन्हें देखने का अभ्यास करते रहें। समय-समय पर इनकी समीक्षा करते रहें। बस, जैसे-जैसे यह अभ्यास गहराएगा, तुम्हें खुद को समझ में आएगा कि हमारे भीतर कितना कचरा है और यह सब कितना बचकाना है।

इसे इस तरह समझे मसलन की आप इस वक्त यह लेख पढ़ रहे हैं, लेकिन पढ़ते वक्त भी आपका ध्यान कहीं ओर होने के बावजूद भी आप समझ रहे हैं। आपका हाथ कहाँ है सोचें और आप इस वक्त क्या सोच रहे हैं यह भी सोचें।

गहराई से और पूरी ईमानदारी से स्वीकार करें कि यहाँ लिखा गया तब आपको पता चला कि मेरा हाथ कहाँ था और मैं इसके अलावा और क्या सोच रहा था। सिर में दर्द होता है तभी हमें पता चलता है कि हमारा सिर भी है। आप शरीर और विचार के जंजाल से इस कदर घिरे हुए हैं कि खोए-खोए से रहते हैं।

विचार का चश्मा हटाकर तब खोल दें अपनी खुली आँखों को और योगी होने की ओर बढ़ाएँ सिर्फ एक कदम। दूसरा कदम स्वयं उठने के लिए तैयार रहेगा।