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Last Updated : बुधवार, 21 जनवरी 2015 (18:23 IST)

वर्ल्ड कप के 'मैन ऑफ द टूर्नामेंट'

वर्ल्ड कप के 'मैन ऑफ द टूर्नामेंट' - Man of the tournament in world cup
विश्वकप में 1992 से 'मैन ऑफ द टूर्नामेंट' दिए जाने की शुरुआत हुई। इससे पहले वर्ल्ड कप में मैन ऑफ द  मैच दिए जाते थे। आइए जानते हैं कौन बने 1992 से वर्ल्ड कप के मैन ऑफ द टूर्नामेंट। इसमें दो बार भारतीय  क्रिकेटर मैन ऑफ द टूर्नामेंट बने।

1992 : मार्टिन क्रो (न्यूजीलैंड, 456 रन)
 
न्यूजीलैंड का क्रिकेट मार्टिन क्रो के वक्त जितना समृद्ध था, उतना कभी किसी दौर में नहीं रहा। और शायद यही  कारण है कि 1992 के बाद न्यूजीलैंड का ग्राफ लगातार गिरता ही चला गया। ऑलराउंडर मार्टिन क्रो का करिश्माई  खेल ही था, जिसके बूते पर वे 1992 के वर्ल्डकप में टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का तमगा अपने सीने पर चस्पा  करने में कामयाब रहे। क्रो बल्ले से 456 रन निकले। 
 
22 सितम्बर 1962 में जन्में मार्टिन क्रो प्रतिभा के धनी थे और जल्दी ही उन्हें इसका पुरस्कार भी मिल गया।  उन्हें क्रिकेट की बाइबल कही जाने वाली 'विस्डन' पत्रिका ने 1985 में दुनिया का सबसे युवा बल्लेबाज के लिए  चुना। क्रो का क्रिकेट करियर 1980 की शुरुआत से प्रारंभ हुआ और उन्होंने 1996 में अपना बल्ला खूंटी पर टांग  दिया। क्रो ने 77 टेस्ट मैचों में 5444 और 143 वनडे मैचों में 4704 रन बनाए। टेस्ट में उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर  299 रन और वनडे में नाबाद 107 रन रहा है।

1996 : सनथ जयसूर्या (श्रीलंका, 221 रन और 7 विकेट)
 
श्रीलंका के धाकड़ ऑलराउंडर सनथ जयसूर्या को 1996 के वर्ल्डकप में दोहरे प्रदर्शन की बदौलत 'मैन ऑफ द  टूर्नामेंट' बनने का सौभाग्य मिला। उन्होंने अपने बल्ले से 221 रन तो बनाने ही साथ ही स्पिन गेंदबाजी करके 7  विकेट भी हासिल किए। 30 जून 1969 में जन्में जयसूर्या के वनडे करियर की शुरुआत  26 दिसम्बर 1989 में  ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुई जबकि उन्होंने पहला टेस्ट मैच 22 से 26 फरवरी1991 में न्यूजीलैंड के खिलाफ  खेला। 
 
श्रीलंका सरकार में सांसद जयसूर्या ने वनडे करियर में 12 हजार से ज्यादा रन बनाए और 300 विकेट लिए।  1999 से 2003 तक वे श्रीलंका टीम के कप्तान भी रहे। उन्होंने दिसम्बर 2007 में टेस्ट क्रिकेट से और जून  2011 में वनडे से संन्यास लिया। जयसूर्या ने 110 टेस्ट मैच में 6973 रन और 445 वनडे मैचों में 13430  रन बनाए। टेस्ट क्रिकेट में उनका उच्चतम स्कोर 340 (भारत के खिलाफ) और वनडे में 189 रन है।

1999 : लांस क्लूसनर (दक्षिण अफ्रीका, 281 रन और 17 विकेट)
दक्षिण अफ्रीका के सफलतम ऑलराउंडरों में से एक रहे लांस क्लूसनर ने इंग्लैंड में आयोजित 1999 के वर्ल्डकप  में बल्ले से जौहर तो दिखाया ही साथ ही गेंदबाजी में करिश्माई प्रदर्शन करके सर्वाधिक 17 विकेट लेकर टूर्नामेंट के  सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार जीता। 
 
4 सितम्बर 1971 को जन्में क्लूसनर ने दक्षिण अफ्रीका के लिए 49 टेस्ट मैचों में 1906 रन और 171 वनडे  मैच खेलकर 3576 रन बनाए। टेस्ट क्रिकेट में उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 174 और वनडे में नाबाद 103 रन रहा। 
 

2003 :  सचिन तेंदुलकर (भारत, 673 रन 2 विकेट) 
‍दक्षिण अफ्रीका में होने वाले इस वर्ल्ड कप में भारत ने फाइनल तक पहुंचा, जहां उसकी भिड़ंत ऑस्ट्रेलिया से हुई।  इस मैच में भारत को 125 रनों से हार मिली। इस फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50  ओवरों में 2 विकेट खोकर 359 रन बनाए। इसमें रिकी पोंटिंग की 140 रनों की धुआंधार पारी भी शामिल थी।
 
लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम 39.2 ओवरों में 234 रनों पर ऑलआउट हो गई। तेंदुलकर इस मैच में  सिर्फ 4 रन बनाकर आउट हो गए।

ग्लेन मक्ग्राथ ( 26 विकेट) 2007 : इस वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के महान गेंदबाजों में शामिल ग्लैक मक्ग्राथ मैन ऑफ द टूर्नामेंट बने। 9  फरवरी 1970 को जन्मे मक्ग्राथ ने ऑस्ट्रेलिया के इस जुझारू गेंदबाज ने ऑस्ट्रेलिया के द्वारा जीते गए लगातार  तीन विश्वकप में एक अहम भूमिका निभाई। 
 
मैक्ग्राथ ने विश्वकप में खेले गए 39 मैचो में 71 विकेट लिए, इस दौरान उनका बेस्ट बॉलिंग विश्लेषण 15 रन  देकर 7 विकेट रहा। मैक्ग्राथ ने 15 रन पर 7 विकेट नामीबिया के खिलाफ लिए थे। मैक्ग्राथ विश्वकप में 2 बार  पांच या पांच से अधिक विकेट ले चुके हैं।विश्वकप में मैक्ग्राथ का इकोनॉमी रेट 3.96 रहा। ग्लेन मैक्ग्राथ अब तक  हुए विश्वकप में बॉलरों के श्रेणी में सबसे बेस्ट बॉलर हैं।  
 

युवराज सिंह ( 362 रन और 15 विकेट) 2011 :

 वर्ल्ड कप 2011 में भारत ने खिताब जीता और इस खिताबी जीत में युवराज सिंह ने अहम भूमिका निभाई। युवराज ने इस टूर्नामेंट में 362 रनों के साथ 15 विकेट भी लिए और मैन ऑफ द सीरीज़ बने।  
 
भारत इस वर्ल्ड कप में विजेता तो बन गया, लेकिन क्रिकेटप्रेमियों को बाद में यह पता चला कि इस  वर्ल्ड कप में ऑलराउंडर प्रदर्शन करने वाले युवराज कैंसर से जूझ रहे थे।
 
293 वन-डे मैच खेलने वाले युवराज 36.37 के औसत के साथ 13 शतक और 51 अर्द्धशतक बना चुके हैं।  उन्होंने वन-डे में कुल 8329 रन बनाए हैं। इसके अलावा 5.09 के इकोनॉमी रेट के साथ उन्होंने वन-डे में 111  विकेट भी लिए हैं।