मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
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Written By WD

अपने आप से कहें - आई लव यू

अपने आप से कहें - आई लव यू - अपने आप से कहें - आई लव यू
अनुजा ने बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देखा था और उसने अपना सपना सच भी कर दिखाया। मात्र 28 वर्ष की उम्र में वह अपने छोटे से शहर के काबिल डॉक्टरों में से एक है। लेकिन एक बात उसे कुंठित करती है, अपने दूसरे साथियों की तरह वह विदेश नहीं जा सकीं। बार-बार इस बात को लेकर वह दुखी रहती है।


 
अंशु बीए. फाइनल की छात्रा है, साहित्य की पैठ रखने वाली अभिरुचि संपन्न। दोस्त, परिचित सभी उसके प्रशसंक हैं। लेकिन अपनी साँवली रंगत की वजह से वह खुद को बदसूरत समझती है। 
 
यहां तक कि वह अपने बहुत करीबी दोस्तों की पार्टियों में भी नहीं जाती। जब कोई परिवारजन या आस-पड़ोसी अंशु की प्रशंसा करते हैं तो उसे लगता है वे उसके सांवले रंग का मजाक उड़ा रहे हैं। कोकिल कंठी तीखे नयन नक्श वाली, फिर भी मन से हारी।
 
जिंदगी से शिकवा न करें- 
 
अनुजा और अंशु की तरह ही कई लड़कियां अपने व्यक्तित्व व करियर को लेकर हमेशा हीनभावना में रहती है। अक्सर ऐसे लोगों को शिकायत होती है कि सबसे ज्यादा परेशानियां, समस्याएं, चिंताएं जिंदगी ने उन्हें ही दी है। ज्यादातर लोग सिर्फ अपनी कमजोरियों को ही याद रखते हैं। 
 
'मेरी आंखें आकर्षक नहीं..., मेरे होंठ मोटे हैं, मेरी त्वचा में चमक नहीं, मेरा कोई काम ठीक से नहीं हो पाता, मैं अपनी बात सही तरीके से रख नहीं पाती', वगैरह-वगैरह बहुत सारी चिमगुईयां हमारे आसपास घूम-घूम कर अंदर तक चस्पा हो जाती हैं। यह हमारी स्वाभाविक प्रवृत्ति है कि अपने व्यक्तित्व का नकारात्मक पक्ष हमें बहुत जल्दी नजर आता है।
 
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार अपनी आलोचना से हमारा मनोबल तो गिरता ही है। अंदर ही अंदर आत्महीनता की ग्रंथियां हमारी निराशावादी सोच को कब बढ़ावा देती चली जाती है पता ही नहीं चलता। अक्सर हमारे सोचना का तरीका हमारे माहौल से प्रभावित होता है। 
 
हमारे विकास की प्रक्रिया हमारी सोच को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है, पर इस नकारात्मक प्रभाव से व्यक्तित्व को मुक्त कर पाना इतना भी मुश्किल नहीं है। किसी भी क्षेत्र में सफलता अर्जित करने के लिए सबसे जरूरी है कि हम अपनी क्षमताओं तथा विश्वास को जानें और समझें। 
 
स्वयं की खूबियों का आकलन करने के लिए आत्मनिरीक्षण का सबसे अच्छा यही तरीका है। जरूरी है कि बखूबी इसे ईमानदारी से किया जाए। आत्मनिरीक्षण के बाद अगर आपको खुद में कोई कमी नजर आती है तो हीनभावना लाने के बजाए यह देखें कि आप कौन सा कार्य सबसे अच्छे ढंग से कर सकती हैं। अपनी रुचि संपन्नता को शनैः-शनैः संवारें।
 
जीवन में आगे बढ़ने के लिए महत्वाकांक्षी होना जरूरी है, पर इसका मतलब यह नहीं कि आपकी शत-प्रतिशत इच्छाएं  पूरी हों। अति महत्वाकांक्षी होना आत्मघाती है। फैटेंसी में रहने की आदत यदि आपमें है, तो धीरे-धीरे इसे छोड़ दीजिए। अपनी उपलब्धियां, छोटी-छोटी सफलताओं, उन्नत पायदानों पर चलने की ललक को महसूस करना, एक ऐसी कला है, जो मन को असीम संतुष्टि से भर देती है।
 
सफलता के सही मायने- 
 
सफलता का अर्थ यह बिलकुल नहीं होता कि आप ढेर सारा धन कमाएं और बड़े से बड़े बंगले में रहें। इसका अर्थ है कि प्रतिदिन आपने उस लक्ष्य को पाने की चेष्टा की है जिसे आपने अपने लिए चुना है, जिसे आप अपने व्यक्तित्व के योग्य समझती हैं। लक्ष्य कैसा भी हो, वह हमारे अस्तित्व को अर्थ देता है।
 
करियर में सफल होने के लिए अच्छी पढ़ाई, अच्छी परवरिश का काफी महत्व है। परंतु ऐसा भी हो सकता है कि किसी कारण से बचपन में आपको अच्छी परवरिश नहीं मिली हो, कई अन्य सुविधाओं से आप वंचित रही हैं। इसका अर्थ यह तो नहीं कि अब कुछ नहीं किया जा सकता। 
 
साहित्यकार सारा देसाई का मानना है कि, 'अगर आप महान व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़े तो पाएंगे कि सारी विषम परिस्थितियों के बावजूद जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। जरूरत है स्वयं को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने की।' 
 
अपने गुणों को पहचानें- 
 
यदि कोई आपके व्यक्तित्व पर नकारात्मक टिप्पणी करता है, तो उसे भूल जाएं। बेहतर यह होगा कि आप सिर्फ वैसे ही लोगों से दोस्ती करें या करीबी संबंध बनाएं जो आपकी खामियों के जिक्र के साथ खूबियों की भी सराहना करें। आशावादी व्यक्ति का साथ हर नजरिए से अच्छा है। निराश व्यक्ति का साथ निराश ही बनाएगा। 
 
अगर कोई आपके लिए कुछ करता है तो खुले दिल से उसे धन्यवाद दें। दूसरों के अच्छे गुणों की प्रशंसा कीजिए। ये नन्ही-नन्ही हीर कनियों सी बातें ही जीवन को चमकीला बनाती हैं। जैसे व्यवहार की आप दूसरों से अपेक्षा करती हैं, दूसरों के साथ भी वैसे ही पेश आइए। 
 
कभी कोई बात मन को छू जाए, कोई प्रशंसा मधुर एहसास दे जाए, जब बड़ों के आशीर्वाद आपको सहज मिल जाएं तो कहीं नोट कर लें। अपनी उपलब्धियों..., अच्छी स्मृतियों..., रिश्तों की गहरी जड़ों... पारिवारिक दुःख-सुख की तहरीरों... माता-पिता के कारुण्य भाव या उनके डाँटने के उन पलों को और महत्वपूर्ण गुणों को डायरी में लिखें। 
 
अगली बार जब भी नकारात्मक या निराशावादी विचार आप पर हावी होने लगे तो अपनी डायरी पढ़िए। आप पाएंगी कि आपका तनाव कम हो रहा है। जब आपको एहसास होता है आपके जीवन में अच्छी चीजें हैं और आपका ख्याल रखने वाले लोग भी हैं तो जीवन और भी आसान और सुंदर हो जाता है। इसे व्यावहारिक जीवन में उतारकर देखिए, आपको सब कुछ आसान लगेगा। जीवन में सफलता पाने के लिए यह जरूरी है कि आप अपनी खूबियों और खामियों को पहचानते हुए अपना लक्ष्य निर्धारित करें।