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Written By WD
Last Modified: शुक्रवार, 29 अगस्त 2014 (00:57 IST)

टीनएजर के लिए मां और दोस्त का बैलेंस

टीनएजर के लिए मां और दोस्त का बैलेंस -
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बच्चे की परवरिश में मां का सबसे बड़ा हाथ होता है। कहा जाता है कि बच्चा पिता के बजाय अपनी मां के ज्यादा निकट होता है। और यह सही भी है। मां प्यार से लबरेज़ होती है जो आपकी हर बात सुनती है और आपको सही गलत का फर्क बताती है।

लेकिन जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है, बच्चे और मां के रिश्ते में एक संतुलन लाने की ज़रूरत होती है। टीन एज यानी किशोरावस्था में जब बच्चा कदम रखता है तब एक मां की जिम्मेदारी पहले से अधिक हो जाती है। इस समय आपको दो किरदार निभाने होते हैं, मां का और दोस्त का।

अपने बच्चे के साथ दोस्ताना रिश्ता बनाना सरल नहीं है। बच्चे जब जवान हो जाते हैं तो वे आज़ादी चाहते हैं। वे ऐसी अवस्था में होते हैं जहां ना तो वे बड़े होते हैं ना ही छोटे। ऐसे में एक मां को ही उन्हे सम्भालना होता है और समझाना होता है।

बच्चे बचपन से मां उनके संरक्षण में रहते हैं लेकिन टीन एज उन्हे उस कवच को तोड़ने को कहती है। ऐसे में मां को एक साथी की तरह उनकी मनोदशा को समझते हुए उनसे बरताव करना चाहिए। टीन एज की दहलीज़ पर आकर बच्चे अक्सर अपने माता पिता को दुश्मन समझने लगते हैं क्योंकि माता-पिता उन पर अनुशासन और प्रतिबंधों की ज़ंजीरों से बान्ध देते हैं। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए बल्कि उन्हें अपने बच्चों पर विश्वास करना चाहिए। अपनी टीन एज ज़रा याद करें कि क्या आप अपने समय में विद्रोही नहीं थे?

अपने बच्चे के डिसिज़न का सम्मान करें और उनके नज़रिये से भी चीज़ों को देखने की कोशिश करें। वे हमेशा ही गलत हों ये ज़रूरी नहीं। आप उनके लिए एक रोल मॉडल बनें। उनके दोस्त ज़रूर बनें लेकिन अपने मां होने की गरिमा को बरकार रखते हुए।

बच्चों में अनुशासन के बीज बचपन से रोपें। उन्हें अपनी सीमाओं से अवगत कराएं। महत्वपूर्ण बात यह है कि आप उन पर और वे आप पर विश्वास करें। मां और बच्चे का रिश्ता बहुत प्यारा होता है इसे जटिल न बनाते हुए आपसी सामंजस्य से आकार देते जाएं।