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Written By Naidunia
Last Modified: खरगोन , गुरुवार, 5 अप्रैल 2012 (01:12 IST)

और बढ़ेगी महँगाई, गरीबों को परेशानी!

और बढ़ेगी महँगाई, गरीबों को परेशानी! -
खाद्य सुरक्षा एवं मानक निर्धारण अधिनियम को लेकर बाजार में अनिश्चितता की स्थिति बन गई है। अधिनियम में विसंगतियों के कारण व्यापारी कारोबार को लेकर चिंतित है, तो आम उपभोक्ता बजट के जोड़-तोड़ में लगा है। खुली सामग्री की बिक्री पर रोक लगने से जहाँ मध्यमवर्गीय परिवार को आवश्यकता से अधिक सामग्री खरीदना होगी, वहीं अतिगरीब परिवारों के चूल्हे की आग ठंडी पड़ सकती है। धारणा बन रही है कि इस व्यवस्था से महँगाई बढ़ेगी और गरीबों की धार पतली होगी। अधिनियम के प्रदेश में लागू होने के साथ ही व्यापारियों द्वारा इसका विरोध कर नियमों में संशोधन की माँग की जा रही है। बैठकों में चर्चा और ज्ञापन सौंपने के बाद व्यापारियों ने अब प्रतिष्ठान बंद रखने की तैयारी भी की है। वहीं अधिनियम से अंजान उपभोक्ता व्यापारियों को ही भला-बुरा कहकर आक्रोश जता रहे हैं। उल्लेखनीय है कि नए अधिनियम के तहत दूध डेयरी, मिठाई, तेल, अनाज और किराना सहित अन्य छोटे व्यापारियों को ब्रांड का पंजीयन कराना होगा। इसके अंतर्गत अब तेल या किराना सामान पैकिंग में ही बेचा जा सकेगा। नियमों के उल्लंघन पर बड़ी राशि के जुर्माने का प्रावधान भी है। ग्रामीण परिवेश के साथ-साथ मध्यमवर्गीय परिवार अधिकांश खाद्य सामग्री खुले में खरीदता है। अधिकांश परिवारों की धारणा है कि पैकिंग में सामग्री कम होकर महँगी होती है। ग्रामीण क्षेत्र में विशेषकर पैकिंग सामग्री का प्रचलन प्रायः नगण्य है। व्यापारियों का कहना है कि पीढ़ी दर पीढ़ी ग्राहक उनसे जुड़े हुए हैं। अमीचंद यादव का कहना है कि वह जरूरत की कई घरेलू खाद्य सामग्री खुले रूप में खरीदते हैं। बड़ा परिवार होने के कारण पैकिंग का सामान महँगा होने के कारण नहीं खरीद पाते। श्री यादव ने कहा कि उनका बजट गड़बड़ा जाएगा। उधर तेल व्यवसायी प्रदीप महाजन ने कहा कि वे अधिनियमों का पालन करेंगे, परंतु कुछ समय इसमें व्यावहारिक परेशानी आएगी। इस अधिनियम के तहत व्यापारियों तथा उपभोक्ताओं को परेशानियों के साथ कई लाभ भी होंगे। खाद्य एवं औषधि प्रशासन के नीरज श्रीवास्तव ने कहा कि शुद्धता का ठप्पा लगने के बाद आम उपभोक्ता निश्ंिचत होकर सामान खरीद सकेगा। उपभोक्ता को गारंटी पदार्थ संबंधी पूरी जानकारी लेबल पर मिलेगी। इससे उपभोक्ताओं के पास विकल्प भी रहेंगे। इधर व्यापारियों को पैकिंग में समय व श्रम जरूर लगेगा, परंतु तुलाई के समय व श्रम की बचत भी होगी।