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Written By Naidunia
Last Modified: खरगोन , शनिवार, 7 अप्रैल 2012 (00:45 IST)

उपजेलों में चिकित्सा सुविधाओं की कमी

उपजेलों में चिकित्सा सुविधाओं की कमी -
जिले की सभी उपजेलों में बंदियों के स्वास्थ्य को लेकर हालत खराब है। चिकित्सकों व संसाधनों के अभाव में इन बंदियों का उपचार बड़ी चुनौती बन चला है। गंभीर स्थिति में बंदियों को खुले मार्ग से अस्पतालों तक ले जाना मजबूरी है। दोपहिया वाहनों पर इन बंदियों को जिस असुरक्षा में अस्पतालों तक ले जाया जाता है, उन हालात में झाबुआ कांड दोहराने की आशंका बनी रहती है। इस व्यवस्था से बंदी कई लोगों के संपर्क में आ जाते हैं। इन स्थिति से रूबरू होने के बावजूद जेल प्रबंधन विवश-सा है।


जिले में स्थित पाँच उपजेलों में बंदियों को सेहत संबंधी कोई गारंटी नहीं है। मानसिक रूप से स्वयं को कमजोर महसूस करने वाले बंदियों के शारीरिक रूप से अस्वस्थ होने की दशा में भी उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। उपजेलों में स्थायी चिकित्सक नहीं है। सप्ताह-पखवाड़े में अवश्य चिकित्सक बंदियों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए पहुँचते हैं। ऐसे में किसी भी बंदी का स्वास्थ्य खराब होने की स्थिति में मजबूरन उसे उपचार के लिए अस्पताल ले जाना पड़ रहा है। कई बार पुलिसकर्मियों को बंदियों को ले जाने में खासी परेशानी होती है।


दोपहिया पर ले जाते हैं अस्पताल

कुछ जेलों में वाहन सुविधा नहीं होने से यदि रात में किसी बंदी का स्वास्थ्य खराब होता है तो परेशानी खड़ी हो जाती है। बंदी के लिए जेल विभाग द्वारा तत्काल वाहन का इंतजाम करना पड़ता है। कई बार तो बंदी को दोपहिया वाहन पर बैठाकर अस्पताल ले जाना पड़ता है। यही नहीं रात में बंदी को बाहर ले जाना सुरक्षा की दृष्टि से भी खतरनाक होता है।


उधर प्रबंधन की अव्यवस्थाओं के बीच जेलकर्मी परेशान हैं। बंदी को अस्पताल पहुँचाकर ही जेल विभाग के कर्मचारी राहत की साँस ले पाते हैं। वर्तमान व्यवस्था को लेकर सभी उपजेल प्रभारियों का कहना है कि संसाधन सीमित हैं, परंतु बंदियों के स्वास्थ्य के साथ-साथ सुरक्षा व्यवस्था उनकी प्राथमिकता होती है। समय व परिस्थिति अनुसार वाहन व्यवस्था कर अस्पताल ले जाते हैं।