Last Modified: भोपाल ,
गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012 (07:46 IST)
सवा नौ हजार केकर्ज में सूबे का हर बाशिंदा!
आपने अपनी जरूरतों के लिए किसी वित्तीय संस्थान से भले ही कर्ज न लिया हो लेकिन राज्य सरकार की देनदारी के लिहाज से देखें तो अभी सूबे का हरेक शख्स सवा नौ हजार रुपए का कर्जदार है।
दरअसल, विकास के कामों को अंजाम देने के लिए सूबे की सरकार जो कर्ज लेती है, वह प्रदेश की जनसंख्या के हिसाब से हर व्यक्ति को कर्जदार बना देता है।
कांग्रेस के रामनिवास रावत के शासन पर कर्ज संबंधी सवाल के लिखित जवाब में वित्त मंत्री राघवजी ने बताया कि बीते वित्तीय वर्ष तक शासन पर कुल 67 हजार 197 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज था। 2010-11 में सरकार ने बाजार से 39 सौ करोड़ रुपए कर्ज लिया था। जबकि केन्द्र सरकार से 10 सौ 94 करोड़, वित्तीय संस्थाओं से 425 करोड़, राष्ट्रीय अल्प बचत निधि को जारी विशेष प्रतिभूतियों का दो हजार 38 करोड़ और अन्य कर्ज 24 सौ आठ करोड़ रुपए लिए गए थे। चालू वित्तीय वर्ष के आंकड़े महालेखाकार द्वारा तैयार किए जाने बाकी हैं।
वित्तमंत्री ने बताया कि कर्ज का बोझ कम करने के लिए 2008-09 में तीन हजार 144 करोड़ रुपए, 2009-10 में 12 हजार 340 करोड़ और 2010-11 में 12 हजार 44 करोड़ रुपए ऋण राशि का भुगतान किया गया। इन अवधियों में क्रमशः चार हजार 191, चार हजार 454 और पांच हजार 48 करोड़ रुपए ब्याज का भुगतान किया गया। जनसंख्या के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति पर औसतन नौ हजार 256 रुपए का कर्ज है।