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कोयला के तार भाजपा नेता से जुड़े

रायपुर| Naidunia| Last Modified शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012 (00:57 IST)
भटगाँव कोल ब्लाक में कम कीमत पर खनन की अनुमति जिस कंपनी को दी गई है, वह नागपुर की है और संकेत हैं कि इसके प्रबंधन के तार भाजपा के एक बड़े नेता से जुड़े हैं। यही कारण है कि कांग्रेस ने इसे मुद्दा बना लिया है और भाजपा को भी बचाव में उतरना पड़ा है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल का कहना है कि कंपनी उसी संचेती ब्रदर्स की है, जिसे दुर्ग बायपास के निर्माण मामले में जमा 17.35 करोड़ रुपए अवैध तरीके से वापस कर दिया गया था। उन्होंने सीबीआई जांच की मांग की है। इससे पहले खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने कहा कि कैग की रिपोर्ट ही काल्पनिक है। ज्ञात है कि सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक कम कीमत पर खनन की अनुमति देने के कारण राज्य सरकार को लगभग 1052 करोड़ रुपए की हानि हुई है।


श्री पटेल ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि विधानसभा में सीएजी की रिपोर्ट पेश होने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह चर्चा से पीछे हट गए। समय से पहले बजट सत्र समाप्त कर दिया गया। जबकि विपक्षी सदस्य सदन को किसी न किसी तरह 13 अप्रैल तक चलाना चाह रहे थे। श्री पटेल ने कहा कि सीएजी की रिपोर्ट ने रमन सरकार के भ्रष्टाचार को पूरी तरह उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा कि भटगाँव कोल ब्लाक में जिस एसएमएस इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी का नाम आया है उसके डायरेक्टर अजय, अभय और आनंद संचेती हैं।


कोयले से घाटा, सिरे से नकारा

राज्य खनिज विकास निगम (सीएमडीसी) केअध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने घाटे को सिरे से नकार दिया है। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि रिपोर्ट काल्पनिक है। हानि या लाभ की गणना कोल ब्लॉक में कार्य प्रारंभ होने के बाद ही की जा सकती है। बेवजह इसे राजनीतिक रूप दिया जा रहा है। उन्होंने स्वीकारा कि भटगांव-2 व भटगांव-2 विस्तार दोनों ही कोल ब्लॉक का आबंटन चर्चित संचेती ब्रदर्स की कंपनी मेसर्स एसएमएस इंफ्रास्ट्रक्चर नागपुर को दिया गया है।


श्री अग्रवाल ने कहा कि हमने ऐसा कोई काम नहीं किया, जिससे निगम को आर्थिक क्षति उठानी पड़ी हो। निगम के संचालक मंडल ने पहले निविदा की शर्तों और उसके बाद उच्चतम निविदा की दर को मंजूरी प्रदान की है। निविदा की शर्तों के अनुसार संयुक्त उपक्रम कंपनी द्वारा स्वीकृत ऑफर दर या होने वाले लाभ का 51 प्रतिशत जो भी अधिक हो, सीएमडीसी को देना होगा। कंपनी में सीएमडीसी का शेयर 51 प्रतिशत रहेगा। सीएमडीसी ने जेवी पार्टनर के चयन के लिए वर्ष 2008 में निविदा आमंत्रित की। भटगांव-2 के लिए अधिकतम ऑफर 552 स्र्पए व भटगांव-2 विस्तार के लिए अधिकतम ऑफर 129.60 प्रति मीट्रिक टन था। सीएजी द्वारा आपत्ति की गई है कि दोनों कोयला ब्लॉक सन्निहित है और उपलब्ध कोयले की गुणवत्ता समान थी। यह आपत्ति सही नहीं है। दोनों के ज्योलाजिकल स्वरूप में काफी अंतर है। भटगांव-2 नदी से दूर है, जबकि भटगांव-2 विस्तार नदी के पास है। भटगांव-2 विस्तार में नदी के किनारे काफी लंबे बंड का निर्माण करना पड़ेगा, इसलिए इसमें कंपनियों ने स्र्चि नहीं दिखाई। इन तथ्यों के आधार पर सीएजी द्वारा सीएमडीसी को 1052 करोड़ स्र्पए की राजस्व हानि काल्पनिक है।

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